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Updated: 10 सितम्बर, 2019 03:18 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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प्रियंका चोपड़ा के फैंस आज बहुत खुश हैं. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार प्रियंका चोपड़ा की हिंदी फिल्म भारतीय दर्शकों के सामने आने वाली है. प्रियंका चोपड़ा को पिछली बार 2016 में फिल्म 'जय गंगाजल' में देखा गया था. 3 साल बाद प्रियंका चोपड़ा एक बार फिर एक हिंदी फिल्म में नजर आने वाली हैं- 'The Sky Is Pink'.

फिल्म में Priyanka Chopra, Farhan Akhtar, Zaira wasim और Rohit Saraf हैं. ये जायरा वसीम की भी आखिरी फिल्म है. कुछ समय पहले ही उन्होंने बॉलीवुड को अलविदा कहा है. फिल्म 13 सितंबर को Toronto International Film Festival में दिखाई जाएगी और भारत में ये 11 अक्टूबर को रिलीज होगी.

क्यों खास है ये फिल्म

- इस फिल्म के खास होने के पीछे कई वजह हैं. ये फिल्म हिंदी और अंग्रेजी दोनों में बनी है. अंग्रेजी टाइटल रखने के पीछे ये भी एक वजह है. हालांकि टाइटल आजादी, पहचान और प्यार तीनों को दर्शा रहा है.

- इस फिल्म में Priyanka Chopra का नाम बतौर actor और co producer लिखा जा रहा है. जिसको लेकर वो काफी उत्साहित भी हैं. बतौर निर्माता ये प्रियंका की पहली हिंदी फिल्म है जिसमें वो काम भी कर रही हैं. ये वो फिल्म है जिसपर प्रियंका ने अपनी शादी के चार दिन पहले तक काम किया था.

- इस फिल्म की कहानी काल्पनिक नहीं बल्कि 100% सच्ची है. कहानी मोटिवेशनल स्पीकर आयशा चौधरी के परिवार की है. आयशा जानलेवा बीमारी pulmonary fibrosis से पीड़ित थीं और 18 साल की उम्र में दुनिया छोड़कर चली गई थीं. ये लव स्टोरी होते हुए भी एक फैमिली फिल्म है जिसे पूरा परिवार एक साथ देख सकता है.

- फिल्म की निर्देशक शोनाली बोस हैं जिन्हें एक बेहतरीन निर्देशक के तौर पर जाना जाता है. उनकी फिल्म अमू(2005) और मार्गरिटा विद अ स्ट्रॉ (2014) को बहुत पसंद किया गया था. इस फिल्म से शोनाली भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं. इसमें उन्होंने अपने जीवन के दर्द को भी उकेरने की कोशिश की है.

the sky is pink11 अक्टूबर को रिलीज हो रही है the sky is pink

आयशा चौधरी जो मरकर भी प्रेरित करती हैं

आयशा चौधरी को जन्म से ही SCID(Severe Combined Immuno-Deficiency) नाम की गंभीर बीमारी थी. वो तब केवल 6 महीने की थी जब उसका पहला bone marrow transplant किया गया था. bone marrow transplant के साथ pulmonary fibrosis का खतरा बना होता है. ये वो बीमारी है जो फेफड़ों के टिशू को प्रभावित करती है जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है. 2010 में आयशा जब 13 साल की हुईं तब इस बीमारी का पता चला.

आयशा के फेफड़ों की क्षमता केवल 35% थी जिसकी वजह से उसे चलने और सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत होती थी. वो बहुत जल्दी थक जाती थी. वो धीरे काम करती थी उसे मदद की जरूरत होती थी. इसकी मां अदिति कहती हैं कि उसकी हालत जितनी खराब हुई उसके साथियों ने उसे उतना ही अस्वीकार्य महसूस करवाया लेकिन वो उससे भी ज्यादा दृढ़ होती गई. जल्द ही आयशा को स्कूल भी छोड़ना पड़ा. लेकिन वो रुकी नहीं. 14 साल की उम्र में आयशा motivational speaker बन गईं. आयशा ने कई बड़े प्लेटफार्म पर प्रेरणादायक भाषण दिए. 2011 और 2013 के INK सम्मेलनों में भी आयशा स्पीकर रहीं. 2013 में TEDxPune में भी आयशा ने भाषण दिया था.

aisha chaudhryआयशा का किरदार जायरा वसीम ने निभाया है

आयशा को ऑक्सीजन का सिलेंडर अपने साथ लेकर घूमना पड़ता था. उसे पेंटिंग और लिखना बहुत पसंद था. अपने जीवन के अंतिम महीनों में आयशा ने 5000 शब्दों की एक किताब भी लिखी My Little Epiphanies. जिसे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लॉन्च किया गया था. लेकिन बुक प्रकाशित होने के कुछ ही घंटों बाद आयशा चल बसीं.

वो अपनी बातों से हर हारे हुए को जीत के करीब ले आती थीं. वो आयशा जिसे पता था कि वो ज्यादा दिन नहीं जीने वाली, वो दूसरों को जीने के सही मायने बताती थी. वो आयशा जिसकी हर एक सांस एक संघर्ष के बराबर थी, वो दूसरों को संघर्ष करना सिखाती थी. वो कहती थी कि- 'हम हर एक पल दो बार जीते हैं- एक अपने जेहन में और एक जब हम उसे असल में जी रहे होते हैं'

आयशा के पिता निरेन चौधरी का कहना है कि उन्होंने आयशा से तीन सबक सीखे- समाज को वापस लौटाना, आभार व्यक्त करना और कठिनाइयों से न घबराना. निरेन कहते हैं- 'उसने सिखाया था कि चढ़ने के लिए सबसे ऊंचा पहाड़ खोजो. अपनी अक्षमता के बावजूद भी वो जीवन का आनंद लेना चाहती थी. उसने मुझे सपने देखने और चांद को लक्ष्य बनाने की हिम्मत दी.'

आयशा सब जानती थी, और खुद भी खुश रहना चाहती थी और अपनी बातों से अपने टूटे हुए माता-पिता को भी खुश देखना चाहती थी. आयशा की बीमारी ने उसके माता-पिता से ही बहुत कुछ नहीं छीना बल्कि इस समाज से भी एक प्रेरणा को छीन लिया. वो आज होती तो न जाने और कितनों को जीना सिखाती.

आयशा की मां और शोनाली के दर्द एक से

शोनाली बोस अनोखी कहानियों को पर्दे पर लाने के लिए जानी जाती हैं. जीवन के कड़वे सच जिसे अमूमन पर्दे पर दिखाया नहीं जाता वो शोनाली दिखाती हैं. फिल्म margarita with a straw में cerebral palsy से पीड़ित बेटी और कैंसर से पीड़ित मां के रिश्तों को बहुत संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया था. शायद ही कोई निर्देशक इस तरह सोचता हो. 'The Sky Is Pink' में भी शोनाली ने जीवन के उस बेहद नाजुक हिस्से को छुआ है, जिसे कभी छुआ नहीं गया.

फिल्म भले ही आयशा चौधरी के इर्द गिर्द घूमती हो लेकिन ये असल में आयशा के माता-पिता की कहानी है. जो उनके पूरे जीवन को दिखाती है- जब उन्हें प्यार हुआ और आयशा की मौत के 6 महीने बाद तक. यूं समझिए कि ये उन मां-बाप के दर्द, हिम्मत और जज्बे को पर्दे पर लाने की एक कोशिश है जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य ही अपने बीमार बच्चे को बचाना होता है. ऐसे कई पेरेंट्स हैं जिनके बच्चे किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, ऐसे कई हैं जिन्होंने बच्चे को आखिरी समय तक बचाने की हर संभव कोशिश की. इस कोशिश में कई लोग बिखर गए लेकिन कई ऐसे भी रहे जो उबर गए और जिन्होंने दूसरों को हिम्म्त दी. ये किसी के भी जीवन का एक बहुत संवेदनशील हिस्सा होगा, जिसे इस फिल्म के जरिए दिखाया जा रहा है. लेकिन मकसद सिर्फ उन माता-पिताओं को प्रेरित करनी ही है.

ऐसे संवेदनशील विषय को चुनना किसी चुनौती से कम नहीं होता. लेकिन शोनाली बोस ने इसे चुना. वजह ये है कि ये कहानी शोनाली बोस के दिल के बहुत करीब है. 2010 में शोनाली ने भी अपने 16 साल के बेटे ईशान को एक भयानक एक्सिडेंट में खो दिया था. वो भी उस मां का दिल रखती हैं जिसमें अपने खोए हुए बच्चे की असीम यादें, अपार ममता और ढेर सारा दुख बसा होता है. वो टूटकर भी खड़ी रहती है. शोनाली से बेहतर उस मां के दर्द और हिम्मत को पर्दे पर और कौन उतार सकता था. आयशा की मां का रोल भले ही प्रियंका चोपड़ा निभा रही हों, लेकिन मां का दर्द दोनों का साझा है.

the sky is pinkहर किसी के दिल के करीब होगी ये फिल्मSky Is Pink Trailer प्रभावित करता है

हालांकि फिल्म का ट्रेलर देखकर ही ये अंदाजा होता है कि फिल्म किस तरह की है और देखने लायक है भी या नहीं. तो The Sky Is Pink का ट्रेलर काफी प्रभावशाली है. पहली बात तो ये हैं कि फिल्म एक पारिवारिक फिल्म है. शुरुआत में प्रियंका चोपड़ा और फरहान अख्तर की युवावस्था दिखाई गई है जब उन दगोनों में प्यार होता है. कपड़ों के स्टाइल को देखते हुए कह सकते हैं कि ये 90 का दशक होगा.

the sky is pink फरहान अख्तर और प्रियंका चोपड़ा आयशा के माता-पिता का किरदार निभा रहे हैं

ट्रेलर के बैकग्राउंड में आवाज जायरा वसीम की है जो आयशा का किरदार निभा रही हैं. वही अपने माता-पिता की कहानी दर्शकों को सुना रही हैं. शुरुआत में लव स्टोरी दिखाई गई है. पहले से ही एक बच्चा और उसके बाद एक unexpected pregnancy. फिर उसे रखने या नहीं रखने की उल्झन और आखिरकार बच्ची का जन्म. यहां तक सब ठीक था लेकिन बहुत से लोगों का जीवन इतना भी सरल नहीं होता. बच्ची को गंभीर बीमारी, उसके बाद शुरू होती है उसे बचाने की जद्दोजहद जिसमें कैसे माता-पिता खुद को हारा हुआ महसूस करने के बावजूद भी संघर्ष करते रहते हैं, इलाज के लिए पैसों का संघर्ष या फिर बच्चे के लिए खुशियां जुटाने का, वो दुखी होते हैं, झुंझलाते हैं, लड़ते-झगड़ते भी हैं, लेकिन इन सब में एक चीज हमेशा सबसे ऊपर होती है...वो बीमार बच्चा.

The Sky Is Pink को देखने की भी वजहें कम नहीं हैं. इसे निर्देशन के लिए देखिए या फिर अपने फेवरेट सितारों की शानदार अदाकारी के लिए, इसे आयशा के लिए देखिए या उसके कभी न हारने वाले माता-पिता के लिए, ये जानने के लिए भी देख सकते हैं कि आसमान का रंग pink क्यों है. लेकिन एक पेरेंट के तौर पर तो इसे देखना बनता ही है. और शायद तभी आप जान पाएंगे की आपके आसमान का रंग कैसा है. उम्मीद की जा रही है कि ये फिल्म Toronto International Film Festival में कई कीर्तिमान स्थापित करेगी. फिल्हाल तो इसके लिए अक्टूबर तक का इंतजार करना ही होगा.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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