New

होम -> सिनेमा

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 23 फरवरी, 2019 07:05 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
  • Total Shares

कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले के बाद पूरे भारत में पाकिस्तान को लेकर जितना गुस्सा है उतनी ही तल्खी कश्मीर को लेकर भी बनी हुई है. कश्मीरी लोगों का बायकाट और उन के साथ हो रहा भेदभाव भी इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बेहद गंभीर और तनावपूर्ण वातावरण में एक फिल्म की चर्चा अचानक से होने लगती है. फिल्म का नाम है 'notebook' जो सलमान खान फिल्म्स के बैनर तले बनी है. इस फिल्म की चर्चा क्यों हो रही है उसकी एक नहीं कई वजह हैं.

पहली वजह

पहली वजह सबसे खास है. और वो है कश्मीर. फिल्म कश्मीर पर बनी है. वो कश्मीर जिसके लिए कहा गया है कि धरती पर अगर स्वर्ग कहीं है तो वो यहींहै, यहीं है, यहीं है. कश्मीर की वादियां, झीलें, खुला आसमान, शिकारे और खूबसूरत नजारे...इस फिल्म में सब कुछ है. शायद कश्मीर के ये नजारे हम बरसों बाद देख रहे हैं. आज के माहौल में कश्मीर ऐसा दिखता ही नहीं. दिखती हैं तो सिर्फ बंदूकें, सेना के जवान और पत्थर फेंकते लोग. आज का कश्मीर जिहाद के रंग में रंगा है, जहां से सिर्फ बुरी खबरें ही आती हैं.

ऐसे वक्त में भारत के लोग कश्मीर के खूबसूरत रंगों को फिर से इस फिल्म के माध्यम से देख सकेंगे. हालांकि बंदूकों और धमाकों की आवाजें तो फिल्म के ट्रेलर में भी दिखाई दे रही हैं, लेकिन ये तो कश्मीर का सत्य है जिससे भागा नहीं जा सकता.

notebookनोटबुक सलमान खान फिल्म की आने वाली फिल्म है जो 29 मार्च को रिली हो रही है

दूसरी वजह

दूसरी वजह है इस फिल्म की कहानी. जैसा कि देखा गया है कि सलमान खान की वो फिल्में जिनमें वो नए कलाकारों को ब्रेक देते हैं वो फिल्में चलती नहीं हैं. और तो और वो कलाकार भी फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ स्ट्रगल करते रह जाते हैं. उदाहरण के लिए- फिल्म 'हीरो' में उन्होंने आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली और सुनील शेट्टी की बेटी आथिया शेट्टी को लॉन्च किया था. और 'लवयात्री' जिसमें सलमान खान के बहनोई आयूष शर्मा और वरीना हुसैन ने डेब्यू किया था. दोनों ही फिल्में और फिल्मों में काम करने वाले कुछ खास नहीं कर पाए. वजह रहीं कमजोर स्क्रिप्ट और कमजोर अभिनय.

लेकिन नोटबुक को भी इन्हीं फिल्मों की लिस्ट में रखना गलत होगा. क्योंकि फिल्म की कहानी नई और एक दम फ्रेश है. हीरो हीरोइन अपनी एक्टिंग से कितना प्रभावित करते हैं यो तो बाद में पता चलेगा, लेकिन ट्रेलर ने इतना तो बता दिया है कि ये कहानी लोगों के दिलों को छुएगी जरूर. आज की जेनेरेशन को देखते ही प्यार हो जाता है लेकिन इस कहानी में शायद लोग प्यार के अहसास को करीब से समझ पाएंगे. क्योंकि बिना किसी को देखे, और सुने प्यार हो जाना आज के वक्त में तो नामुमकिन सा लगता है. वहीं कश्मीर पर बनी अब तक जितनी भी फिल्में याद हैं उनमें आतंकवाद ही अहम था. फिजा, हैदर, जैसी फिल्मों ने दर्शकों ने सिर्फ हिंसा देखी है, लेकिन इस फिल्म में लोग प्रेम को महसूस करेंगे.

notebookफिल्म की कहानी एकदम अलग है

तीसरी वजह

तीसरी वजह इस फिल्म की हीरोइन प्रनूतन हैं जो बीते दौर की बेहतरीन अदाकारा नूतन की पोती और मोहनीश बहल की बेटी हैं. हालांकि प्रनूतन में नूतन की झलक बस इतनी ही है जितना कि उनके नाम में शब्द नूतन का जुड़ा होना. यानी वो अपने पापा की बेटी ज्यादा लगती हैं. पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वो एक स्टार किड हैं और दूसरी बड़ी बात कि सलमान खान मोहनीश बहल अच्छे दोस्त हैं.

नोटबुक अगर प्रनूतन की डेब्यू फिल्म है तो इसके हीरो जहीर इकबाल की भी पहली फिल्म है. जहीर इकबाल फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं हैं, उनके पिता एक बिल्डर हैं और सलमान खान के बचपन के दोस्त भी हैं. इसलिए सलमान खान अपने दोस्तों के बच्चों को इस फिल्म से लॉन्च करके अपनी दोस्ती निभा रहे हैं.

notebookप्रनूतन और जहीर दोनों की ये डेब्यू फिल्म है

फिल्म का ट्रेलर बेहद प्रभावित करता है. इसे देखकर हर सिने प्रेमी ने ये तो तय कर ही लिया होगा कि ये फिल्म देखनी ही है. और वजह इन तीनों में से कोई भी हो सकती है. फिल्म का ट्रेलर ऐसा है मानो सुलगते हुए कश्मीर पर बारिश की फुहार पड़ गई हो. एक तरफ कश्मीर को लेकर बहस जोरों पर है, वहीं लोगों का गुस्सा भी चरम पर. और ऐसे में सलमान खान एक खूबसूरत कश्मीर को पर्दे पर ला रहे हैं. जैसे गोलियों की आवाजों के बीच में कोई गुनगुना रहा हो...बुमरो बुमरो श्याम रंग बुमरो...

इस फिल्म के साथ कुछ भी हो सकता है. हो सकता है कि प्रनूतम और जहीर अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लें, ये भी हो सकता है कि ये फिल्म सलमान खान के साथ हो रहे उस इत्तेफाक को झूठा साबित कर दे और फिल्म सुप हिट हो जाए. लेकिन हो ये भी सकता है कि कश्मीर की अफरातफरी में सलमान खान की ये नोटबुक कहीं गुम हो जाए. फिल्म 29 मार्च हो रिलीज़ हो रही है, जिसमें करीब एक महीने का वक्त है. हो सकता है तब तक फिजा में नर्मी आ जाए.

ये भी पढ़ें

घोड़ा नकली हुआ तो कंगना का राष्ट्रवाद कैसे नकली हो गया?

आलिया भट्ट भले ही 'निर्दोष' हैं, लेकिन कंगना भी दोषी नहीं हैं

मणिकर्णिका के कृष की हालत हृतिक जैसी हो गई है!

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय