अनुपमा कब तक रोकर मुंह सुजाती रहेगी, तलाक लेने बाद भी 'बेचारी' क्यों बनी हुई है?
एक उदास चेहरे की महिला ने हर घर की महिला को अपने साथ दुखी किया, रूलाया, अपने साथ हंसाया और आगे बढ़ने की हिम्मत दी. पति सौतन ले आया, सास पसंद नहीं करती थी, बच्चे पूछते नहीं थे, पड़ोसी भाव नहीं देते थे फिर भी अनुपमा को उन सबके ही बीच रहना है, लेकिन क्यों?
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अनुपमा (Anupamaa) अब किसी परिचय की मोहताज नहीं है लेकिन लोगों को अब इस सीरियल से शिकायत होने लगी है. एक उदास चेहरे की महिला ने हर घर की महिला को अपने साथ दुखी किया, रूलाया, अपने साथ हंसाया और आगे बढ़ने की हिम्मत दी. जब वह हाय बेचारी और अबला नारी से एक सशक्त महिला बनने की कोशिश कर रही थी तो गृहिणियों ने उसका खूब साथ दिया लेकिन अब अनुपमा को पसंद करने वाली महिलाएं की उसकी कहानी से खुश नहीं हैं. हालांकि अनुपमा' ने टीआरपी दौड़ में इस हफ्ते नंबर वन पॉजिशन हासिल की है. ये लोकप्रिय शो 3.9 की रेटिंग के साथ नंबर वन पर बना हुआ है. शायद इन लोगों को अनुपमा रोते हुए ही पसंद है, लेकिन कुछ तो परेशानी भी है...
ई दुख काहें खत्म नहीं होता बे
दरअसल, भारत के लोगों का सिर तीन लोगों के सामने ही झुकता है, देवी मां, अपनी मां और अनुपमा... तुलसी के बाद सबसे ज्यादा रोकर मुंह सुजाने वाली महिला अनुपमा ही है. अरे अनुपमां की जिंदगी का दुख है जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. वह घर के एक सदस्य का दुख सुलझाती है तबतक दूसरा किसी परेशानी में पड़ जाता है. अब तो यह नाटक कुछ ज्यादा ही नाटक करने लगा है. अनुज जब उसकी जिंदगी में आया तो लोगों को लगा कि कुछ तो सही हुआ. उन दोनों की दोस्ती प्यार में तो बदली लेकिन अभी भी वहीं की वहीं रूकी है क्योंकि अनुपमा को पहले अनुज की बहन मालविका की जिंदगी संभालनी है.
सुनिए अनुपमा देखने वालों का अब उससे क्या शिकायत है?
अनुपमा शो की फैन सोनी का कहना है कि अनुपमा शादी के 25 साल तक अपने परिवार में पिसती रही. तलाक के बाद भी उन्हीं में क्यों पिस रही है, वह वनराज को क्यों नहीं एकदम छोड़ देती? असल जिंदगी में कौन सी महिला ऐसे एक्स पति की शक्ल रोज देखना चाहेगी जिसने उसे इतना प्रतताड़ित किया हो? वह क्यों वनराज की परेशानियों से चिपकी हुई है. हर पल उसके आस-पास आ जाती है. अब उसे वनराज और परिवार को किनारे कर अपने बारे में सोचना चाहिए.
रश्मि का कहना है कि एक तो इश उम्र में अनुपमा और अनुज का ये टीनएज वाला रोमैंस और बैकग्राउंड गाना हजम नहीं होता है. यह सच में कल्पना में ही हो सकता है. असल जिंदगी में ये संभव नहीं है. पता नहीं राइटर को अब क्या हो गया है. कहानी को एक ही जगह रोककर खींचा जा रहा है. अब तो मुझे भी बोरिंग लगने लगा है.
एक महिला ने रो-रोकर और टेंशन दे-देकर पुरुषों को पछाड़ते हुए टीआरपी पर कब्जा जमा ही लिया है
लिली कहती हैं कि जबसे मुक्कु आई है कहानी का रूख ही बदल गया है. वनराज ने पहले अनुपमा को छोड़ा अब पैसे के लिए काव्या से तलाक लेना चाह रहा है. मतलब ऐसे तो रिश्ते से भरोसा ही उठ जाए. अगर अनुपमां अकेले रहती. अपनी जिंदगी में आगे बढ़ती तो कुछ समझ भी आता और दूसरी महिलाओं को प्रेरणा मिलता लेकिन अब तो सब गुड़ गोबर कर दिया है. मैंने अब देखना भी छोड़ दिया है.
पिया का कहना है कि एक तो इन घर के सदस्यों के अलावा कहीं और का कुछ सीन भी आजकल नहीं दिखता. केवल परिवार के लोग हर त्योहार पर घर में तमाशा करते रहते हैं. लड़ते रहते हैं. अचानक से गुस्सा हो जाते हैं और अचानक से नाचने लगते हैं. असल जिंदगी से महिलाएं खुद को अनुपमा से जोड़कर देखती थीं. कई ने तो पतियों को भी देखने की लत लगा दी और नोंकझोक भी कर ली लेकिन अब जो दिखाया जा रहा है वह सिर से ऊपर जा रहा है. समझ नहीं आ रहा है कि अनुपमां चाहती क्या है? कभी-कभी तो काव्या ही सही लगती है.
वैसे जितना बदलाव अनुपमा में आया है उतना आपकी जिंदगी में नहीं आने वाला है बहनों. अनुपमा के ख्वाब सजाकर पति से लड़ लो लेकिन पति के लिए अपनी पहचान मत खोना. रूपाली गांगूली ने अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया है. आखिर एक महिला ने रो-रोकर और टेंशन दे-देकर पुरुषों को पछाड़ते हुए टीआरपी पर कब्जा जमा ही लिया है, कुछ तो बात है.
अब लोगों को समझ आ गया है कि जो समय अनुपमा को मिला है वह हमें तो नहीं मिलने वाला है. माने, पति सौतन ले आया, सास पसंद नहीं करती थी, बच्चे पूछते नहीं थे, पड़ोसी भाव नहीं देते थे फिर भी अनुपमा को उन सबके ही बीच रहना है, लेकिन क्यों?
इतने उतार-चढ़ाव अनुपमा की जिंदगी में आते हैं उतना किसकी जिंदगी में आते हैं भाई? तो बहनों अब खुद को अनुपमा में देखना बंद कर दो और अपने रास्ते हकीकत की दुनिया वाले बनाओ...तुम मत पिसना अनुपमां जैसे और मत झुकना वरना जिंदगी रोते ही बीत जाएगी...
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