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Updated: 09 सितम्बर, 2018 12:35 PM
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स्मार्टफोन्स के जमाने में हर किसी को अपने फोन की बैटरी की चिंता है. अब पुराना फीचर फोन वाला जमाना तो रहा नहीं कि एक बार चार्ज करें और दो तीन दिन तक बैटरी को दोबारा चार्ज करने की जरूरत ही न पड़े. आजकल तो लोग पावरबैंक लेकर घूमते हैं क्योंकि उन्हें खुद से ज्यादा फोन की बैटरी की चिंता होने लगी है! पर अगर कभी चार्जर खो जाए या खराब हो जाए तो? तो क्या नया चार्जर लाएंगे, लेकिन यहीं कई लोग गलती कर जाते हैं. बाज़ार में असली जैसे दिखने वाले कई नकली चार्जर हैं जो आपके फोन को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. सस्ते दाम के चक्कर में या कई बार अनजाने में लोग ऐसे चार्जर खरीदकर ले आते हैं और फिर उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है.

नकली चार्जर के नुकसान?

  • फोन गर्म होने का खतरा
  • बैटरी फटने का खतरा
  • फोन के अंदर के सर्किट्स गलने का खतरा
  • फोन देर में चार्ज होगा- फोन की वारंटी भी नकली चार्जर इस्तेमाल करने से खत्म हो सकती है

असली और नकली चार्जर के बीच का अंतर बताना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं. चलिए आज जानते हैं अलग-अलग कंपनियों के असली और नकली चार्जर में फर्क कैसे बताएंगे.

1. सैमसंग-

सैमसंग का असली और नकली चार्जर काफी हद तक एक जैसा ही दिखता है. सबसे अहम अंतर है असली और नकली चार्जर की प्रिंटिंग में. अगर चार्जर में A+ जैसा कोई साइन बना है या फिर मेड इन चाइना लिखा है तो चार्जर नकली हो सकता है. असली सैमसंग चार्जर में UL का लोगो होगा जो एक सर्कल के अंदर होगा. इसका मतलब है Underwriters Laboratories. नकली चार्जर में ये नहीं होगा. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि यूएसबी चार्जर केबल फेक होती है, जबकि चार्जर सही होता है. डुप्लीकेट चार्जर में पोर्ट का रंग थोड़ा डार्क होता है, साथ ही यह ओरिजिनल से अधिक लम्बी होता है.

स्मार्टफोन, चार्जर, सुरक्षा, तकनीकसैमसंग के चार्जर में UL लोगो देखें2. आईफोन-

एपल आईफोन दुनिया भर में उपलब्ध है और उसके फेक चार्जर भी दुनिया भर में पाए जा सकते हैं. असली चार्जर में "Designed by Apple in California" लिखा होगा. चार्जर पर बने लोगो को ध्यान से देखें. फेक और रियल चार्जर में सबसे बड़ा अंतर लोगो से पकड़ा जा सकता है. नकली चार्जर में लोगो के ब्रांड की स्पेलिंग और मार्क में डिफरेंस मिलता है. नकली चार्जर में लोगो का रंग थोड़ा डार्क होगा.

स्मार्टफोन, चार्जर, सुरक्षा, तकनीकआईफोन में चार्जिंग पिन और लोगो में अंतर होगा

3. वनप्लस-

वनप्लस के फेक चार्जर का पता लगाना काफी आसान है. वनप्लस में डैश चार्जर का प्रयोग होता है असली डैश चार्जर को जैसे ही चार्जिंग के लिए लगाएंगे वैसे ही बैटरी चार्जिंग का सिम्बल फोन में फ्लैश के सिम्बल में बदल जाएगा. अगर ऐसा नहीं होता तो चार्जर फेक है.

स्मार्टफोन, चार्जर, सुरक्षा, तकनीकवनप्लस के चार्जर को इस्तेमाल कर अंतर पता लगाया जा सकता है

4. गूगल

गूगल हर बार अपने स्मार्टफोन्स के साथ तेज़ चार्जर देता है. मतलब पिक्सल के साथ हमेशा ऐसा चार्जर आएगा जो फोन को बहुत जल्दी चार्ज कर देगा. अगर ऐसा नहीं हो रहा और फोन चार्ज होने में बहुत समय लगा रहा है तो समझ लीजिए कि चार्जर फेक है.

स्मार्टफोन, चार्जर, सुरक्षा, तकनीकगूगल के चार्जर को भी इस्तेमाल करके अंतर पता लगा सकते हैं

5. शाओमी

अगर चार्जर की केबल 120 सेंटीमीटर से कम है या फिर अडैप्टर आम चार्जर से बड़ा है तो ये फेक हो सकता है. (ये टिप MI फोन्स के लिए है.)

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