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Updated: 24 जनवरी, 2020 11:56 AM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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विराट कोहली (Virat Kohli) और सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) में कौन सबसे अच्छा ODI रन चेजर यानी लक्ष्य का पीछा करने वाला है? कुछ कहेंगे कोहली, तो कुछ कहेंगे सचिन, लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं? भारत को जीत दिलाने के लिए लक्ष्य का पीछा करते हुए सचिन तेंडुलकर ने 124 इनिंग में 55.45 रन के एवरेज से अपने पूरे करियर में करीब 5490 रन बनाए. वहीं दूसरी ओर विराट कोहली ने 86 इनिंग में 96.21 के एवरेज से अब तक 5388 रन बना लिए हैं. उम्मीद है कि भारत-न्यूजीलैंड सीरीज (IND vs NZ series) में ही वे सचिन तेंडुलकर को पीछे छोड़ देंगे. उन्हें तो दुनिया में चेज मास्टर (chase master) भी कहा जाता है. तो क्या एकदिवसीय मैचों (ODI) में विराट कोहली सचिन तेंडुलकर से भी अच्छे चेजर (ODI Chaser) हैं? चलिए आंकड़ों की जुबानी इसे समझने की कोशिश करते हैं...

Virat Kohli vs Sachin Tendulkar run-chaserविराट कोहली कुछ ही मैचों में सचिन तेंडुलकर का एक बड़ा रिकॉर्ड तोड़ देंगे.

डॉन ब्रैडमैन, सचिन तेंडुलकर, वसीम अकरम, शेन वॉर्न और डेल स्टेन जैसे खिलाड़ियों ने क्रिकेट की दुनिया में एक अलग ही मुकाम हासिल किया है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ब्रैडमैन ने कितने शतक बनाए थे, लेकिन आज भी टीम को मैच जीतने के लिए विरोधियों के खिलाफ उनकी जरूरत है. इसी तरह बाकी खिलाड़ी भी टीम के लिए बेहद अहम हैं. तेंदुलकर और कोहली में कौन बेस्ट, ये बहस तब तक अधूरी है, जब तक उनके वक्त के खिलाड़ियों के आंकड़ों को ना देखें. इस बहस को एक सही दिशा देने के लिए हम तेंदुलकर के करियर को दो हिस्सों में बांट कर देखेंगे. पहला उनके डेब्यू से लेकर 1996 तक और दूसरा 1996 से उनके रिटायर होने तक. 1996 को ही इसलिए चुना गया है, क्योंकि जब भारत को दो बल्लेबाज सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाना शुरू किया था. तेंदुलकर के साथ मोहम्मद अजहरुद्दीन, नवजोत सिंह सिद्धू, अजय जडेजा जैसे खिलाड़ी हुआ करते थे.

1989-96 तक हुए सभी 31 मैचों में भारत ने लक्ष्य का पीछा करते हुए उसे हासिल करने में सफलता पाई. इनमें कुल 6 छक्के लगे, जिनमें 2 तेंदुलकर और 2 सिद्धू के नाम दर्ज हैं. तेंदुलकर ने 43.82 के एवरेज से रन बनाए. ये वो वक्त था, जब 1-2 अहम विकेट गिरने के बाद टीम दबाव में आ जाती थी, लेकिन गांगुली और द्रविड़ के आने के बाद वो सब बदल गया. गांगुली ने ओपनर की तरह टीम में आकर तेंदुलकर के साथ शानदार जोड़ी बनाई, जिसकी लोग आज भी तारीफें करते हैं. सचिन और सौरव के नाम अभी भी सबसे अधिक मैचों (17) में 100 रन की जोड़ी बनाने का रिकॉर्ड है.

खिलाड़ी रन पारी औसत
सचिन तेंडुलकर 5490 124 55.45
सौरव गांगुली 2877 61 58.71
मोहम्मद अजहरुद्दीन 1942 53 60.68
युवराज सिंह 1528 42 58.76
वीरेंद्र सहवाग 1500 43 37.50
राहुल द्रविड़ 1407 46 41.38

1996 से लेकर तेंदुलकर के रिटायर होने तक भारतीय टीम के पास तीन अहम बल्लेबाज (अजहर, युवराज और गांगुली) थे, जिससे भारत का रन चेज करने में एवरेज 59 के करीब था. इस दौरान सचिन ने चेजिंग करते हुए 12 शतक मारे, जबकि द्रविड़, धोनी, युवराज और सहवाग ने 1000 रन से अधिक बनाए. चेजिंग की ये विरासत धोनी को कप्तान बनने पर मिली और उन्होंने इसे विराट कोहली को सौंप दिया. टीम ने इसकी अहमियत को ना सिर्फ बनाए रखा, बल्कि खिलाड़ी इसे एक अलग ही लेवल पर ले गए.

2008 में ODI डेब्यू के बाद से ही कोहली ने टारगेट चेज करने में खूब नाम कमाया. टारगेट चेज करते हुए खेलकर विराट कोहली ने अब तक 5388 रन बना लिए हैं. ये रन उन्होंने 96.21 के औसत के बनाए हैं, जो उन्हें बाकियों को आगे दिखाने के लिए काफी है. लेकिन तेंदुलकर की तरह ही कोहली को भी मदद चाहिए थी, ताकि रिकॉर्ड तोड़े जा सकें. रोहित शर्मा, शिखर धवन, गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी विराट कोहली के अहम पार्टनर रहे हैं, जिन्होंने टीम की जीत की ओर बढ़ाने में मदद की.

खिलाड़ी रन पारी औसत
विराट कोहली 5388 86 96.21
रोहित शर्मा 3101 64 63.28
शिखर धवन 2019 47 48.07
गौतम गंभीर 1386 27 60.26
महेंद्र सिंह धोनी 1357 40 90.46

वैसे तो कोहली के 22 ODI शतकों की कोई तुलना नहीं, लेकिन उनके साथी खिलाड़ियों ने भी खूब शतक मारे हैं, जिसने टीम को एक बड़ा स्कोर खड़ा करने में मदद की है. इस दौरान टारगेट का पीछा करते हुए रोहित शर्मा ने 10, धवन ने 5, गंभीर ने 4 और धोनी ने एक शतक मारा है. तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाती है, जब हम भारत की जीत/हार के अनुपात को 3 चरणों में देखेंगे. सचिन के पूरे करियर में जो अनुपात 1.4 था, वह कोहली के समय में तेजी से ऊपर गया. इस समय भारत पूरी दुनिया में एकदिवसीय मैचों में टारगेट चेज करने वाली सबसे बेस्ट टीम है.

 समय अवधि  जीत हार अनुपात
 1990-1996 1.476
 1996-अगस्त 2008  1.144
 अगस्त 2008-2020  2.163

अब इन सब बातों से निष्कर्ष ये निकलता है कि भारतीय टीम 1990 के दशक से 2000 के दशक तक आते-आते एकदिवसीय मैचों में टारगेट चेज करने में बेहतर होती गई है. सचिन तेंडुलकर और विराट कोहली दुनिया के दो बेस्ट चेजर साबित हुए हैं. उनकी मदद की है गांगुली, युवराज, धोनी, रोहित और अन्य खिलाड़ियों ने, जिन्हें भी टीम इंडिया का इतना अच्छा चेजर बनने के लिए क्रेडिट मिलना जरूरी है. रही ये बात कि तेंदुलकर और कोहली में बेस्ट चेजर कौन है तो आंकड़े साफ करते हैं कि विराट कोहली ने क्रिकेट में बाकियों से बड़ा योगदान दिया है. अगर अभी के हिसाब से देखा जाए तो बेशक विराट कोहली सचिन तेंडुलकर से भी अच्छे चेजर साबित हुए हैं.

(लेखक अजय तिवारी इंडिया टुडे डिजिटल में स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट हैं.)

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