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Updated: 23 नवम्बर, 2022 03:03 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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मिडिल ईस्ट के देश कतर को जब फीफा विश्व कप के आयोजन का अधिकार मिला था. तब से ही इस फैसले पर लगातार विवाद होता रहा है. आरोप लगाया जाता है कि फीफा विश्व कप के आयोजन के लिए जारी की गई निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई थी. इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गईं. कई प्रदर्शन हुए. और, सबसे बड़ी बात ये रही कि कतर पर फीफा के अधिकारियों का 'वोट' खरीदने का आरोप लगा. वैसे, कई सालों तक फीफा के पूर्व अध्यक्ष सेप ब्लैटर कतर को फीफा विश्व कप के आयोजन का अधिकार देने के फैसले का बचाव करते रहे.

लेकिन, इसी महीने सेप ब्लैटर ने कबूल किया कि 'कतर को चुना जाना एक गलती थी. मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं.' हालांकि, सेप ब्लैटर के इस बयान को लेकर यही माना जा सकता है कि खुद पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को कमजोर करने के लिए उन्होंने ऐसा कहा है. क्योंकि, कतर को फीफा विश्व कप दिए जाने में सेप ब्लैटर समेत कई फीफा अधिकारियों के वोट ही काम आए थे. खैर, तमाम आरोपों के बावजूद खाड़ी देश कतर में फीफा विश्व कप का आगाज हो चुका है. आइए जानते हैं कि कतर कैसे बना फीफा विश्व कप का मेजबान?

Qatar had bought FIFA World Cup by paying Money know the whole story behind Corruption in Bid Processफीफा विश्व कप के लिए वोट करने वाले 22 में से 16 अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.

कतर ने कैसे जीते वोट?

फीफा विश्व कप का मेजबान बनने के लिए जारी की गई निविदा प्रक्रिया में ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया के साथ कतर भी शामिल था. फीफा विश्व कप का मेजबान बनने के लिए फीफा के 22 अधिकारियों के वोटों से फैसला होना था. इस प्रक्रिया के पहले राउंड में ऑस्ट्रेलिया बाहर हो गया था. दूसरे राउंड में जापान और तीसरे राउंड में दक्षिण कोरिया बाहर हो गया था. और, निर्णायक और आखिरी राउंड में अमेरिका को सिर्फ 8 वोट मिले थे. जबकि, कतर ने 14 वोट पा लिए. कतर की यह जीत चौंकाने वाली थी. क्योंकि, किसी को भरोसा नहीं हो रहा था कि कतर को इतनी आसानी से वोट मिल सकते हैं.

फीफा अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप

कतर को फीफा विश्व कप का मेजबान बनाए जाने के ऐलान के कुछ ही समय बाद फीफा के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे. 22 अधिकारियों की कमेटी में से 17 पर भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से कार्रवाई करते हुए बैन लगा दिया गया. फीफा के तत्कालीन सेप ब्लैटर को भी अपना पद छोड़ना पड़ा. यूईएफए के हेड माइकल प्लेटिनी पर प्रतिबंध लगा. फीफी के वाइस प्रेसिडेंट जैक वॉर्नर पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया. इस मामले को सबके सामने लाने वाले चक ब्लेजर ने भी पैसे लेने की बात कबूल की थी. 2020 में अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने माना था कि कतर को फीफा विश्व कप का मेजबान बनाने के लिए घूस ली गई थी.

कतर के लिए FIFA ने बदल दिए गए नियम

2 दिसंबर, 2010 को ज्यूरिक में फीफा के तत्कालीन अध्यक्ष सेप ब्लैटर ने कतर को 2022 के फीफा विश्व कप के आयोजन की जिम्मेदारी दी थी. उस समय सेप ब्लैटर ने कहा था कि 'हमें नई जगहों पर जाना चाहिए. और, अरब देशों को भी फुटबॉल के विकास का हकदार बनने का मौका दिया जाना चाहिए.' बताना जरूरी है कि कतर की ओर से निविदा प्रक्रिया के चेयरमैन शेख मोहम्मद बिन हमाद अल-थानी ने फीफा विश्व कप का आयोजन पाने के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी. और, जीतने के बाद कतर ने कहा था कि 'वो फुटबॉल के खेल को आगे बढ़ाएंगे. और, हम पर सबको गर्व होगा.' लेकिन, फीफा आयोजन के लिए सिर्फ ऊंची बोली ही काफी नहीं होती है. ये भी देखा जाता है कि उस देश में फुटबॉल को लेकर क्या संभावनाएं हैं?

वैसे, 2022 के फीफा विश्व कप का आयोजन पाने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ कतर भी निविदा प्रक्रिया में शामिल हुआ. जिनमें ऑस्ट्रेलिया वो देश था. जो 2006 के बाद से हर फीफा विश्व कप के फाइनल में जगह बनाता आ रहा था. आसान शब्दों में कहें, तो कतर के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया कहीं ज्यादा बड़ा दावेदार था. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया पहली ही वोटिंग में बाहर हो गया था. वैसे, हाल ही में सेप ब्लैटर ने ये भी कहा था कि 'वो अमेरिका में फीफा विश्व कप का आयोजन चाहते थे. लेकिन, अन्य लोगों के वोटों की वजह से ये नहीं हो सका.' लेकिन, जिस कतर की फुटबॉल टीम कभी ग्रुप स्टेज से ऊपर नहीं बढ़ सकी. और, जिस देश में कभी इस तरह के आयोजन नहीं हुए. वो कतर फीफा विश्व कप का आयोजन करने जा रहा था.

इतना ही नहीं, कतर में फीफा विश्व कप का आयोजन सफलतापूर्वक करवाने के लिए फीफा ने कई नियमों को भी बदल डाला. आमतौर पर फीफा विश्व कप जून-जुलाई के महीने में होता है. लेकिन, फीफा अधिकारियों ने कतर को नवंबर-दिसंबर में इसका आयोजन करने का फैसला सुनाया. क्योंकि, जून-जुलाई में कतर का मौसम बेहद गर्म होता है. वहीं, इस फैसले से कई बड़ी फुटबॉल लीग्स पर भी प्रभाव पड़ा. और, उनका आयोजन फीफा विश्व कप के हिसाब से करने पड़ा. लेकिन, फीफा ने इन लीग्स को विश्व कप के हिसाब से ही शेड्यूल बनाने को कह दिया. इतना ही नहीं, कतर को जब फीफा विश्व कप के आयोजन की जिम्मेदारी मिली. तब उसके पास इस स्तर के फुटबॉल स्टेडियम तक नहीं थे.

कतर ने खूब चमकाई अपनी इमेज

कतर ने फीफा विश्व कप का मेजबान बनने के बाद खुद को एक प्रगतिवादी देश के तौर पर दिखाने की भरपूर कोशिश की. लेकिन, असल में कतर शरिया कानून पर चलने वाला एक इस्लामिक देश ही है. तो, एलजीबीटीक्यू, शराब और महिलाओं से जुड़े कई मामलों पर कतर में सख्त सजा दी जाती है. और, फीफा विश्व कप की मेजबानी से पहले कतर ने खिलाड़ियों से लेकर फुटबॉल फैन्स तक के लिए कई कड़े नियम बना दिए थे. इतना ही नहीं, कतर ने किसी भी तरह के मानवाधिकार का समर्थन करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. और, इस बीच कतर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को चमकाने के लिए पूर्व इंग्लिश फुटबॉलर डेविड बेखम से विज्ञापन करवाए. और, ऐसे ही दर्जनों विज्ञापनों के जरिये खुद को प्रगतिवादी घोषित करने की हरसंभव कोशिश की.

मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप

कतर ने फीफा विश्व कप के आयोजन की जिम्मेदारी मिलने के बाद 12 सालों में दोहा के करीब एक नया शहर ही बसा दिया. फीफा विश्व कप के लिए कतर ने सात बड़े फुटबॉल स्टेडियम, मेट्रो रेल, एयरपोर्ट, होटल, सड़कों समेत मूलभूत सुविधाओं से युक्त एक शहर का निर्माण किया. और, इसके लिए करीब 220 बिलियन डॉलर खर्च किए. लेकिन, करीब 30 लाख की जनसंख्या वाले देश कतर में ये सभी चीजें इतनी आसानी से नहीं बनीं. इसके लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिलीपींस, नेपाल, श्रीलंका और भारत से बड़ी संख्या में मजदूरों को लाया गया.

इन 12 सालों में करीब 6000 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों की मौत हुई. लेकिन, कतर ने कहा कि 'इनमें से सिर्फ 37 मौतें ही फीफा विश्व कप की साइट्स पर हुई हैं. और, इनमें से महज तीन लोगों की मौत ही काम की वजह से हुई है. बाकी सब प्राकृतिक मौत मरे हैं.' कई संस्थाओं ने कतर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया. लेकिन, फीफा इस पर शांत ही रहा. भ्रष्टाचार से लेकर मानवाधिकारों के उल्लंघन तक के गंभीर आरोपों के बावजूद भी कतर से फीफा विश्व कप की मेजबानी वापस नहीं ली जा सकी.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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