ओलंपिक से भी बड़े पैरालंपिक का प्रसारण भारत में क्यों नहीं ?
ये पहली बार है जब भारत की ओर से खिलाड़ियों के लिए इतने बड़े इनाम की घोषणा की गई हो. लेकिन ये बेहद दुख की बात है कि पैरालंपिक का प्रसारण भारत के किसी भी चैनल पर नहीं हो रहा है.
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हाल ही में रियो ओलंपिक का समापन हुआ. भारत से पी.वी. सिंधू और साक्षी मलिक को खूब सम्मान मिला. अब 7 सितंबर से 18 सितंबर से चलने वाले पैरालंपिक के लिये भारत ने कमर कस ली है. भारत चाहेगा कि रियो ओलंपिक का अधूरा सपना इस पैरालंपिक में पूरा हो जाए.
रियो ओलंपिक में 17 दिनों के दौरान कुल 306 इवेंट्स हुए जबकि पैरालंपिक के 11 दिनों में ही 528 इवेंट्स होंगे. कुल 23 खेल शामिल किए गए हैं. जिनमें कनूईंग और ट्रायथलन पहली बार पैरालंपिक में शामिल किए गए हैं.
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| पैरालंपिक के 11 दिनों में 528 इवेंट्स होंगे |
खेल मंत्रालय ने पैरालंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है. स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 75 लाख रुपए, रजत पदक जीतने वाले को 50 लाख और कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी को 30 लाख रुपए देने की घोषणा की गई है. भारत की तरफ से पदक की सबसे बड़ी उम्मीद भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया हैं. एथेंस पैरालंपिक-2004 में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले झाझरिया का यह चौथा पैरालंपिक है. रियो पैरालंपिक में कुल 4300 पैरा एथलीट 23 खेलों में प्रतिस्पर्धा करते दिखेंगे.
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| एथेंस पैरालंपिक-2004 में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया था देवेंद्र झाझरिया ने |
ये पहली बार है जब भारत की ओर से इतने बड़े इनाम की घोषणा की गई हो. हांलाकि हमारे खेल मंत्री पहले ही बड़े उत्साहित रहते हैं. रियो ओलंपिक वाले हादसे तो आपको याद होंगे ही. मगर ये एक अच्छी पहल है. लेकिन ये बेहद दुख की बात है कि पैरालंपिक का प्रसारण भारत के किसी भी चैनल पर नहीं हो रहा है. सरकार को पैसे की घोषणा करने से अच्छा इस बात पर ध्यान देना चाहिए था की लोग इसे देखें. मगर अफसोस सरकार इसमें नाकामयाब रही.
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भारत ने अब तक 08 मेडल जीते
पैरालंपिक में आज तक अमेरिका ने सबसे अधिक 2,066 मेडल जीते हैं. दूसरे नंबर पर 1,643 मेडलों के साथ ग्रेट ब्रिटेन है और 1,450 मेडल के साथ जर्मनी की तीसरा स्थान है. मात्र 19 एथलीटों की टीम रियो गेम्स में भारत की तरफ से हिस्सा लेगी. भारतीय एथलीट पांच स्पर्धाओं- एथलेटिक्स, पॉवरलिफ्टिंग, शूटिंग, आर्चरी और स्विमिंग में भाग लेंगे.
भारत को सबसे ज्यादा पदक की उम्मीद जेवलिन थ्रो और हाई जम्प में हैं. भारत ने अब तक 10 पैरालंपिक गेम्स में भाग लिया है और 8 मेडल जीते हैं. मुरलीकांत पेटकर ने भारत के लिए 1972 में पहला स्वर्ण पदक जीता था और देवेन्द्र झाझारिया ने 22 वर्ष बाद जेवलिन में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था. चार वर्ष पहले, गिरिशा नागाराजेगौड़ा ने हाई जंप में रजत पदक जीता था. भारत का पैरालंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एथेंस गेम्स में था, जब दल ने एक स्वर्ण तथा एक कांस्य पदक जीता था. इस बार दल का इरादा ज्यादा पदक जीतने का होगा.
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| भारतीय एथलीट एथलेटिक्स, पॉवरलिफ्टिंग, शूटिंग, आर्चरी और स्विमिंग में भाग लेंगे |
कैसे होता है पैरालंपिक?
इस बार कुल 4,350 पैरालंपिक एथलीट रियो पहुंचे. 1960 में हुए पहले पैरालंपिक के मुकाबले यह संख्या 11 गुनी है. इस बार 176 देशों के एथलीट का शामिल होना अब तक का सबसे बड़ा रिकार्ड है.
पैरालंपिक में एथलीटों को दस तरह की शारीरिक अक्षमताओं के आधार पर बांटा जाता है. इसका मतलब ये हुआ कि एक ही इवेंट में कई लोगों को गोल्ड मेडल मिल सकता है. जैसे 2012 लंदन में पुरुषों के 100 मीटर डैश में 15 पैरालंपिक गोल्ड जीते गए.
पैरालंपिक्स में एथलीट्स को ओलंपिक वाले एथलीटों के मुकाबले कहीं ज्यादा तकनीकी उपकरणों की जरूरत होती है. एक टेक्निकल आर्म में करीब 15,000 छोटे हिस्से फिट होते हैं. इसके अलावा करीब 1,100 व्हीलचेयर टायर और 300 प्रोस्थेटिक पैर भी हैं. आयोजन के दौरान 100 मेकैनिक मौजूद होंगे जिन्हें हर दिन औसतन 2,000 मरम्मत के काम करने होते हैं.




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