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Updated: 08 मार्च, 2023 07:20 PM
श्रुति अग्रवाल
श्रुति अग्रवाल
  @shruti.agrawal.1806
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हनुमान जी की मूर्ति के सामने लड़कियां अपना शरीर सौष्ठव प्रदर्शित नहीं कर सकती ? आखिर क्यों ? कल रतलाम में हुई 13 वीं जूनियर नेशनल बाडी बिलडिंग स्पर्धा में महिला प्रतिभागियों के हनुमान जी की मूर्ति के सामने किए शरीर सौष्ठव प्रदर्शन को लेकर जमकर विवाद हो रहा है. लड़कियों का शील सो कॉल्ड प्रोग्रेसिव भी 'कपड़ों ' से ही नाप रहे हैं . उन सभी को अपना बल-शारीरिक सौष्ठव प्रदर्शित कर रहीं लड़कियां भी अश्लील लग रही हैं. कान खोल कर सुन लीजिए , यदि ईश्वर को कपड़े इतने ही प्रिय होते तो वे हमें कपड़ों के साथ ही इस दुनिया में भेजते ना कि निर्वस्त्र.

अपनी - अपनी सोच को थोड़ा ब्रश कीजिए, आप किसी भी वाद को मानने वाले हो, आपकी सोच यदि लड़कियों के कपड़ों से ऊपर नहीं उठती तो याद रखिए आप गिरे-पड़े ही हैं. वस्त्र इंसानों ने अपनी जरूरतों के हिसाब से बनाए हैं. ओलंपिक हो या स्वीमिंग या जिमनास्टिक या फिर बाडी बिल्डिंग सभी में कपड़े कम ही पहने जाते हैं लेकिन यदि आपको सिर्फ स्त्रियों के कपड़े अखरते हैं तो आपकी आंख में ही कुछ काला है. जिसके कारण आपको दुनिया काली नजर आती है.

Madhya Pradesh, Ratlam, Wrestler, Woman, Hanuman, Body Builder, Oppose, Congressरतलाम में हनुमान की मूर्ति के आगे जो हुआ है उसने विवाद की आंच को हवा दे दी है

आप सब कुछ छोड़कर लड़कियों के कपड़े नापना शुरू कर देते हैं. साथ ही शुरू कर देते हैं सोशल मीडिया पर लिंचिंग. जैसा कल रात इस स्पर्धा के समाप्त होने पर किया गया...फेसबुक, वाट्सअप पर सिर्फ महिलाओं के प्रदर्शन के वीडियो जारी करके विरोध जताया गया.

यदि मंच पर हनुमान जी की मूर्ति से आपत्ति थी तो उसे दर्ज कराया जाता. यहां मंच पर सिर्फ महिला बाडी बिल्डर के शारीरिक सौष्ठव के प्रदर्शन पर आपत्ति थी. इतनी कि मंच को गंगाजल से धोने की बात की जाने लगी. यह बात करने वाले लोग कभी अपने आस-पास की नदियों में फैली गंदगी पर नजर नहीं डालेंगे. वहां सफाई कार्यक्रम में योगदान नहीं देंगे इन्हें बस महिलाओं के कपड़ों का आकलन कर उन्हें गंदा कहना है फिर गंगाजल से सफाई करवानी है. भले ही आस-पास की नदियां नाला बन जाएं.

एकाएक सभी को याद आने लगा है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं. कोई स्त्री उनका दर्शन नहीं कर सकती है . वास्तविकता में हर बालब्रह्मचारी के लिए स्त्री मां का स्वरूप होती है. वे हर स्त्री को मां की तरह ही वंदनीय मानते हैं. बेटी की तरह स्नेह करते हैं. याद रखिए हनुमान दादा तो अपनी मां- बेटियों को बली-महाबली देखकर खुश ही होंगे. आप जरूर नजरों से गिर रहे हैं. हमारी भी हमारे ईष्ट की भी क्योंकि आप किसी भी वाद से जुड़े हो, वास्तविकता में पितृसत्ता से ही ग्रसित हैं.

लेखक

श्रुति अग्रवाल श्रुति अग्रवाल @shruti.agrawal.1806

लेखिका पत्रकार हैं, जिन्हें महिला मुद्दों पर लिखना पसंद है.

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