New

होम -> समाज

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 12 जून, 2017 03:02 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

सीटी बजाने से लेकर बलात्कार और छेड़छाड़ तक यौन उत्पीड़न की ये कुछ ऐसी करतूत हैं जिनसे दुनिया में ज्यादातर महिलाओं का सामना कभी ना कभी जरुर होता है. खासकर सड़कों पर तो ये रोजमर्रा की बात होती है. एक ओर जहां हम समाज को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ये सवाल अभी भी बना हुआ है कि महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर प्रताड़ित करने में आखिर पुरूषों क्या और क्यों मजा आता है. इसी का पता लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक स्टडी किया.

वे लोग ये जानना चाहते थे कि पुरूषों का सड़कों पर महिलाओं को परेशान करने के पीछे का कारण क्या है. इस बात से तो कोई इंकार नहीं कर सकता कि महिलाएं जब कभी भी घर के बाहर निकलती हैं, तो उन्हें सुरक्षित महसूस नहीं होता. तो आखिर ये क्या है? क्या यह पितृसत्तात्मक मानसिकता है या फिर उनकी असामान्य मानसिकता है जो उन्हें एक महिला को परेशान करने के लिए मजबूर करती है? या यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि वे अपनी हवस पर काबू नहीं रख पाते हैं?

मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में पुरुषों और महिलाओं के व्यवहार और लिंग और समानता पर संयुक्त राष्ट्र महिला विभाग ने अपनी स्टडी में पाया कि पुरूषों द्वारा सड़क उत्पीड़न के पीछे मुख्य कारण है- मज़ा आना. जी हां सही पढ़ा आपने. महिलाओं को प्रताड़ित करने और उनका शोषण करने में पुरुषों को मज़ा आता है. ये कारण अपने आप में जितना हास्यास्पद है, उतना ही खून खौलाने वाला भी.

Sexual Harassment, Men, Woman, UNकपड़े होते हैं जिम्मेदार

इस स्टडी में 90% पुरुषों का जवाब था कि उन्होंने महिलाओं को सिर्फ मस्ती के लिए परेशान किया.

मिस्र में सड़कों पर महिलाओं के साथ प्रताड़ना और शोषण की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. यहां के 64% पुरुषों ने महिलाओं को परेशान करने की बात मानी. दूसरी मिस्र के पड़ोसी देश मोरक्को में सिर्फ 33% पुरुषों ने ही इस बात को स्वीकार किया. ये आंकड़े चौंकानें वाले हैं. हालांकि ये आंकड़े गलत भी हो सकते हैं क्योंकि शोधकर्ताओं ने माना कि स्टडी के दौरान कई पुरुषों ने झूठ बोला हो.

हालांकि पुरुषों द्वारा सड़कों पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ का कारण सिर्फ मज़ा नहीं है. बल्कि कई पुरुषों ने अपने द्वारा किए गए छेड़छाड़ के लिए महिलाओं के कपड़ों को दोषी ठहराया. स्टडी में पाया गया कि 74% पुरुषों ने महिलाओं को उनके भड़काऊ कपड़ों की वजह से परेशान किया.

अगर आपको लगता है कि प्रताड़ित करने और शोषण करने के लिए महिलाओं को दोषी बताने में सिर्फ पुरुषों का ही हाथ होता है तो आप गलत सोचते हैं. महिलाओं के साथ उत्पीड़न के लिए उनके कपड़ों की लंबाई को जिम्मेदार ठहराने में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम नहीं हैं. लगभग 85% महिलाएं इस बात को मानती हैं कि 'भड़काऊ कपड़े पहनने वाली महिलाएं प्रताड़ना के योग्य हैं.' जबकि 43% महिलाओं ने इस बात को माना कि 'जो औरतें रात में घर के बाहर घुमती रहती हैं दरअसल वो खुद परेशानी को बुलावा देती हैं.'

इस स्टडी में न सिर्फ समाज की सामूहिक मानसिकता सामने आई है, बल्कि ये भी दिखाता है कि आखिरकार हर बात घूम फिरकर महिला के कपड़ों पर ही आकर टिक जाती है. पुरुषों से अपनी सोच बदलने की बात सोचना तो बेवकूफी है ही, महिलाओं के इस तरह की सोच का अंदाजा नहीं था. और जबतक ये नहीं बदलेगा तब तक कुछ भी नहीं बदलने वाला. ना सोच, ना समाज.

ये भी पढ़ें-

‘संस्कृति’ अभी तक कन्फ्यूज्ड है

मोलेस्टर को तो लड़की चाहिए, साधारण हो या हिरोइन फर्क नहीं पड़ता

इस महिला का सिर्फ कपड़े उतारना दिखा या कुछ और भी ?

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय