New

होम -> समाज

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 19 मार्च, 2016 07:31 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

भारतीय स्वाभाव से सहिष्णु और शर्मीले कहे जाते हैं. सहिष्णुता पर तो लंबी चौड़ी बहस होती ही रहती है लेकिन यहां बात करते हैं भरतीयों के शर्मीलेपन की. 

सर्वे कहता है कि शरमाते हैं भारतीय

ऑनलाइन यौन उत्पाद बेचने वाली वेबसाइट ThatsPersonal.com की स्टडी के मुताबिक भारत के लोग सेक्स संबंधी उत्पाद ऑनलाइन खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि दुकानों पर जाकर इन उत्पादों को खरीदने में उन्हें शर्म आती है. इन उत्पादों में सेक्स टॉयज, कामोत्तेजक जेल, कंडोम, स्प्रे और क्रीम शामिल हैं.

* इस वेबसाइट का इस्तेमाल करने वाले 76% उपभोक्ताओं का कहना है कि दुकान पर जाकर इन प्रोडक्ट्स को खरीदने में वो खुद को असहज और शर्मिंदा महसूस करते हैं.

* 30% उपभोक्ता केवल दो उत्पाद- ल्युब्रीकेंट्स और कंडोम को ही फार्मेसी से जाकर खरीदते हैं. जहां तक कामोत्तजना बढ़ाने वाले अन्य प्रोडक्ट्स की बात है तो केवल 9% उपभोक्ता ही इन्हें दुकानों से खरीदने में सहज महसूस करते हैं.

ये भी पढ़ें- क्या वाकई असली मर्द कंडोम नहीं पहनते?

* ये उत्पाद खरीदने वालों में दिल्ली सबसे आगे है, उसके बाद मुंबई, बंगलुरू, पुणे, और गुड़गांव का नंबर आता है. मणिपाल और पुणे जैसे छात्र बहुल इलाकों को हॉट स्पॉट बताया जाता है.

* देश के महानगरों में 15% महिलाएं सेक्स टॉयज का इस्तेमाल करती हैं.

* 73% पुरुष और 77% महिलाओं का मानना है कि वो इन उत्पादों को ऑनलाइन खरीदने में ही सबसे ज्यादा सहज हैं. 

सिर्फ खरीदारी करने में शर्म?

कंडोम खरीदने में भले ही लोगों के पसीने छूटते हों, लेकिन ये शर्मीले भारतीय दुनिया की प्रमुख डेटिंग साइट 'टिंडर' पर काफी सक्रिय हैं. टिंडर यूज करने वालों में भारत, एशिया का टॉप मार्केट है. भारत में हर रोज 75 लाख यूजर टिंडर को स्वाइप करते हैं. इसमें से 50 फीसदी यूजर्स की उम्र 25 साल से कम है.

ये भी पढ़ें- भारतीय महिलाओं की सेक्स लाइफ के राज खोलता ये सर्वे...

इंटरनेट पर दुनिया में सबसे ज्यादा पोर्न देखने वाले देशों में भारत तीसरे स्थान पर है.

सेक्स में इतनी रुचि दिखाने वाले इन शर्मीले भारतीयों की बदौलत ही सैक्स प्रोडक्ट्स का ये ऑनलाइन बाजार हर साल 35% की दर से बढ़ रहा है. भारत में ये कारोबार फिलहाल 1200-1500 करोड़ रुपए का है. इसकी बढ़ती मांग बता रही है कि 2016 में ये 2,450 करोड़ रुपए और 2020 में 8,700 करोड़ का हो जाएगा.

तो सार ये कहता है कि सेक्स के दरिया में भारतीय गोते तो खूब लगाते हैं, और भरपूर आनंद भी लेते हैं. लेकिन बेझिझक सेक्स प्रोडक्ट्स खरीदना और सेक्स पर खुलकर बात करना भरतीयों के लिए अब भी टैबू है. लेकिन जब देश पोर्न सर्च में दुनिया में अव्वल है, अंतर्राष्ट्रीय डेटिंग साइटों पर भारतीयों ने झंडा गाड़ रखा है, तो लगता नहीं कि बहुत दिनों तक हालात ऐसे रहेंगे. अब दोहरी मानसिकता और टैबू जैसी चीजें खत्म होंगी. समाज में खुलापन भी आएगा और सेक्स, यौन शिक्षा जैसों विषयों पर राजनीति, खेल, फिल्मों की तरह ही खुलकर बात हो सकेगी.

ये भी पढ़ें- अपनी बहू के लिए 'ग्राहक' तलाशते ससुराल वाले! कौन हैं ये...

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय