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Updated: 13 जून, 2021 06:12 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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क्या दुनिया में हर चीज की कीमत लगाई जा सकती है...शायद नहीं तो फिर किसी महिला की इज्जत की कीमत कैसे तय कर दी गई. देश में कई जगहों पर आज भी महिला के साथ हुए अपराध को समझौते से दबाने से कोशिश की जाती है. क्या इतना आसान है, किसी महिला से दुष्कर्म करके उसे उसकी कीमत देना. दरअसल, संभल में हयातनगर थानाक्षेत्र के एक गांव में ससुर ने बहू के साथ रेप किया (Sambhalpur rape case) और इस बात की जानकारी जब पति को लगी तो उसने पीड़िता यानी अपनी पत्नी को तीन तलाक दे दिया. सिर्फ इतना ही नहीं आरोप लगा रही पीड़िता को पंयाचत ने जो न्याय दिया वह सुनकर आपका दिमाग भी चकरा सकता है.

Rape, Sambhal rape case, panchayat decision, panchayat decision in sambhalpur rape case पंचायत के इस फैसले ने रेपिस्ट को हौसला दे दिया!

पंचायत ने समझौते में रेप के बदले विवाहिता को 75 गज जमीन और चार लाख रुपये नकद दिए जाने का फरमान सुनाया और इसके साथ ही मियां-बीवी का रिश्ता भी खत्म हो गया. यानी हुआ यूं की बेटे ने निकाह तोड़कर पिता की गलती की सजा अपनी बेगम को दी.

इसे पीड़िता ऐसे समझे कि, 4 लाख रूपए लो और भूल जाओ कि तुम्हारा कभी निकाह हुआ था, भूल जाओ की तुम किसी की बेगम बनी थी और भूल जाओ यह कि तुम्हारे साथ पिता समान तुम्हारे ही ससुर ने दुष्कर्म किया था. तुम्हारा रेप हुआ है और हम उसकी कीमत दे रहे हैं, आत्मसम्मान को तो याद भी मत करना...तुम तो रेप पीड़िता हो वैसे भी अब समाज में तुम्हारी क्या ही इज्ज्त है.

आप बताइए, क्या इस तरह के फरमान से महिला अपराध को बढ़ावा नहीं मिलेगा. क्या अपराधियों के हौसले बुलंद नहीं होंगे. कितना आसान है ना किसी महिला के साथ गलत करके पैसों के दम पर सजा से बच जाना.

असल में ये जो पंचायतें होतीं है वे ऐसा फैसला क्यों नहीं सुनाती, जिसमें रेप को आरोपी को कड़ी से सजा मिले. इस अपराध के लिए सुलहमाना किया ही क्यों जाता है, क्या ऐसा करने से रेपिस्ट प्रवृति के लोगों का हौसला नहीं बढ़ेगा.

यह क्या कोई पति-पत्नी में हुई नोंकझोक है जो चार लोगों के समझा देने से पहले की तरह ठीक हो जाएगा. महिला के उपर दवाब बनाकर मना लेंगे कि वह पति को माफ कर दे. हम महिलाओं से हमेशा माफी की उम्मीद क्यों करते हैं. हम क्यों उम्मीद करते हैं कि उनका दिल बड़ा होता है इसलिए वे हमारी हर गलती को माफ कर देंगी? पीड़ित महिला के मन में जो घाव, जो पीड़ा है क्या उसे पहले की तरह दोबारा ठीक किया जा सकता है?

असल में हुआ यह कि पहले महिला ने पुलिस को इस मामले में कार्रवाई के लिए तहरीर दी थी. जिसमें पीड़िता ने जान से मारने और दुष्कर्म के आरोप लगाए थे. लेकिन जैसे ही इस मामले की जानकारी पंचायत को हुई तो समझौता कराने के प्रयास शुरू हुए और बाद में पुलिस को फैसलानामा दिया गया.

इस समझैते में महिला को साथ हुए दुष्कर्म की कीमत लगाई गई और उसे डेढ़ लाख रुपये दे दिए गए. वहीं बाकी ढ़ाई लाख रुपये बाद में दिए जाने की बात तय हुई. इस फैसले के साथ ही मियां-बीवी का रिश्ता भी खत्म हो गया. पंचायत ने जो फरमान दिया उसके अनुसार अब महिला के उसके पति से कोई रिश्ता नहीं है.

वाह रे न्याय, जिस महिला का रेप होता है इज्जत भी उसकी ही जाती है. ऐसा घिनौना काम करने वाले रेपिस्ट की नहीं. समाज में बदनामी भी उस महिला की होती है और सवाल भी उसी से पूछा जाता है.

सब के सब पंचायत के सदस्य कैसे भी करके कोशिश करते हैं कि वह महिला किसी भी तरह सुलह के लिए तैयार हो जाए और आरोपी बच जाए. उनकी नजरों में किसी महिला की कीमत बस इतनी है…क्या महिला को 75 गज जमीन और 4 लाख रुपये देने से से दुष्कर्म का दाग धुल जाएगा?

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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