New

होम -> समाज

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 09 जनवरी, 2018 12:03 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

हम भारतीयों के बीच धर्म कोई भी हो, पति-पत्नी के रिश्ते को गहरा महत्व दिया जाता है और उसे एक संस्था के रूप में देखा जाता है. साथ ही हमारे बीच ये भी मान्यता है कि, पति पत्नी के रिश्ते का निर्माण स्वयं ईश्वर करते हैं और जोड़ियों का भी निर्धारण स्वर्ग में होता है. शायद आप भी इस बात से सहमत हों कि, वर्तमान परिपेक्ष में विवाह के मायने बदल गए हैं. जिसके चलते कहा जा सकता है कि अब पति या पत्नी के बीच चल रहे मतभेदों का तलाक का रूप ले लेना एक बेहद आम बात है. बात जब शादी और तलाक की हो रही है तो, ये भी कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि हम भारतीय अपने रिश्तों के प्रति बेहद सजग हैं और अपनी तरफ से भरसक प्रयास करते हैं कि पति पत्नी के बीच का टकराव और मनमुटाव तलाक की शक्ल न ले. ऐसा इसलिए क्योंकि आज भी हमारे देश में तलाक को एक बड़ी सामाजिक कुरीति के रूप में देखा जाता है.

तलाक, शादी, कोर्ट, वकील  कहा जा सकता है कि तलाक के मामलों में विदेश के मुकाबले भारत की स्थिति बहुत अच्छी है

भारत के विपरीत विदेशों में हालात गंभीर हैं और वहां जरा जरा सी बात पर लोगों का अलग हो जाना कोई नई बात नहीं है. हो सकता है ये बातें आपको उलझन में डाल दें और आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएं कि हम विवाह फिर तलाक पर क्यों बात कर रहे हैं. तो आपको बताते चलें कि आज हम आपको जिस खबर से रू-ब-रू कराने वाले हैं वो विचलित करने वाली खबर है जिसने विदेशों में सामाजिक ताने बाने को अस्त व्यस्त करके रखा हुआ है.

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. खबर है कि अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों के तलाक के केसों से जुड़े वकील इन दिनों बहुत व्यस्त हैं और उन्होंने मांग की है कि 8 जनवरी को 'डिवोर्स डे' घोषित कर दिया जाए. वकीलों के इस कथन के पीछे का तर्क बड़ा दिलचस्प है. वकीलों का तर्क है कि क्रिसमस के बाद ऐसी अर्जियों की भरमार है जिनमें पति और पत्नी एक दूसरे से त्रस्त हैं और तलाक की मांग कर रहे हैं. बात आगे बढ़ाने से पहले आपको एक डेटा से अवगत कराते हैं. डेटा डिवोर्स सपोर्ट सर्विस 'ऐमिकेबल' और गूगल ट्रेंड का है. डेटा के अनुसार जनवरी में, 40 हजार पांच सौ से ज्यादा लोग 'डिवोर्स' (तलाक) सर्च करेंगे. गूगल ट्रेंड से भी जनवरी में इस संख्या में बढ़ोत्तरी होने की बात पता चलती है.

तलाक, शादी, कोर्ट, वकील  जनवरी के पहले हफ्ते में तलाक को लेकर दुनिया के वकीलों की चिंता अपने आप में सारी कहानी बयां कर रही है

गूगल ट्रेंड के अनुसार जनवरी 2012 और जनवरी 2016 में इस दशक में सबसे ज्यादा बार 'डिवोर्स' शब्द सर्च किया गया. ट्रेंड्स के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो मिलता है कि तलाक सर्च करने की ये बढ़ोत्तरी मई और अगस्त के महीनों में भी देखी जाती है. तलाक के मामले क्यों होते हैं इसपर 'ऐमिकेबल' की को-फाउंडर केटी डेली का तर्क अपने आप में हैरत में डालने वाला है. डेली मानती हैं कि क्रिसमस की खुशियों के बाद, अचानक आ जाने वाले सन्नाटे से लोगों में निराशा का संचार होता है और यही तलाक के मामलों का जनक है.

ऐसा इसलिए क्योंकि क्रिसमस के बाद कपल्स को  सबसे ज्यादा आर्थिक परेशानियां प्रभावित करती हैं जिससे रिश्ते खराब हो जाते हैं. जब व्यक्ति इन खराब रिश्तों को नजरंदाज कर देता है तो असल परेशानियां वहीं से शुरु होकर दो व्यक्तियों का जीवन बर्बाद कर देती हैं. डेली ने अपने तर्क में इस बात का भी वर्णन किया है कि इन्हीं तमाम कारणों के चलते जनवरी का पहला वर्किंग डे 'डिवोर्स डे' की तरह हो जाता है.

अतः डेली की बातों को संज्ञान में रखकर हमारे सामने वो कारण आ गए हैं जिनको लेकर पूरा पश्चिम परेशान है और वहां के वकील 8 जनवरी को डिवोर्स डे घोषित करने की मांग कर रहे हैं. अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि देश कोई भी हो, धर्म कैसा भी हो. तलाक भले ही आज एक फैशन बन गया हो मगर ये पूरी दुनिया के सामने एक बड़ी सामाजिक चुनौती है जो एक सभ्य समाज के हित में तो बिल्कुल नहीं है.

ये भी पढ़ें -

मुस्लिम महिलाओं से मोदी को मिलने लगे हैं Return Gift

एक मुस्लिम महिला ने समझाए शादी के फंडे

तीस मिनट और 100 रुपये में होता है इस देश में तलाक

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय