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Updated: 01 जनवरी, 2018 05:09 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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साल का पहला दिन है और एक ऐसी खबर आ रही है जिसने न सिर्फ सियासी गलियारों और विपक्ष बल्कि समाज विशेषकर मुस्लिम समाज को हिलाकर रख दिया है. खबर है की ट्रिपल तलाक की याचिकाकर्ता इशरत जहां ने भाजपा ज्वाइन कर ली है. हो सकता है कि किसी व्यक्ति के भाजपा ज्वाइन करने को एक आम खबर की तरह देखा जाए. मगर जब बात इशरत जहां की हो और उनके भाजपा ज्वाइन करने की तो इसका खबर बनना और मीडिया में हाइप पाना लाजमी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस खबर में कई तत्त्व जुड़े हैं और आज के राजनीतिक परिपेक्ष में इन तत्वों का अर्थ इतना गहरा है कि बिना इनके आज की राजनीति पर चर्चा शायद न हो सके.

इशरत जहां, भाजपा, तीन तलाक, नरेंद्र मोदी    इशरत जहां का भाजपा ज्वाइन करना आने वाले वक़्त में पश्चिम बंगाल की राजनीति को प्रभावित करने वाला है

कह सकते हैं कि, ये खबर अपने आप में एक कम्प्लीट पैकेज है. एक ऐसा पैकेज जिसमें तलाकशुदा इशरत के रूप में एक मुस्लिम है, मुस्लिम महिला हितों की बात पर अपनी राजनीति को नए आयाम पर ले जा रही भाजपा है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री मामता बनर्जी हैं, सरकारी नौकरी है, गरीबी है और नरेंद्र मोदी हैं. बात बहुत साधारण है जिस चीज से नरेंद्र मोदी का नाम जुड़ जाता है वो चीज अपने आप में ब्रांड बन जाती है. शायद अभी इसे जल्दबाजी कहा जाए मगर वो दिन दूर नहीं जब हम भाजपा में इशरत जहां को मुस्लिम महिला हितों के ब्रांड के रूप में देखें.

सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक तीन तलाक का मुद्दा ले जाने वाली पश्चिम बंगाल की इशरत जहां उन पांच याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जो अपने तलाक के बाद से बदहाली की जिंदगी जी रही हैं. बताया जा रहा है कि लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिनियम)-2017 विधेयक के पास होने के बाद इशरत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट किया है और भाजपा में आने का फैसला किया है.

गरीबी की मार झेल रही इशरत भाजपा में आ गयी है और जल्द ही उन्हें नौकरी भी मिल जाएगी. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. पश्चिम बंगाल महिला मोर्चा की अध्यक्ष लॉकेट चटर्जी भी इशरत के इस फैसले से खुश हैं. उन्होंने इशरत को मिठाई खिलाकर पार्टी में अपनाते हुए कहा है- 'चूंकि इशरत जहां आर्थिक तंगी से गुजर रही हैं. अतः वो मोदी सरकार से आग्रह करेंगी कि उन्हें नौकरी दी जाए.' ध्यान रहे कि चटर्जी ने राज्य की ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए ये भी कहा था कि मुख्यमंत्री ने इशरत की स्थिति जानते हुए भी उनकी किसी भी प्रकार की कोई भी मदद नहीं की है.

2020 में बंगाल में चुनाव हैं ऐसे में इशरत का राजनीति के मैदान में आना पूरे राज्य के अलावा देश भर में एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है और शायद यही कारण है की सोशल नेटवर्किंग साइट "ट्विटर" पर भी लोग इस खबर को अपने नजरिये से देख रहे हैं और इसपर अपने तर्क दे रहे हैं.

उपरोक्त ट्वीट और इशरत के इस फैसले को देखकर एक बात तो साफ है भले ही पश्चिम बंगाल का चुनाव दूर है मगर जो तैयारियां चल रही हैं उनको देखकर यही लग रहा है कि बंगाल का चुनाव रोचक और कई लिहाज से बेहद खास होने वाला है. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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