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Updated: 29 जून, 2017 11:18 PM
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हजारों गायों के हिंगोनिया गौशाला में मरने के बाद किरकिरी झेल रहे राजस्थान में अब गायों को वीआईपी ट्रीटमेंट मिलेगा. प्रदेश में गायें अब बीपीएल और मनरेगा मजदूरों से ज्यादा कमाएंगी और वो भी बिना पसीना बहाए और बिना जिम्मेदारी उठाए. वसुंधरा सरकार का गाय मंत्रालय अब राज्य में प्रति गाय के हिसाब से रोजाना 70 रुपए और बछड़े को 35 रुपए खाने के लिए देगी. इस पैसे के इंतजाम के लिए कई विभागों के पैसे के अलावा 33 तरह के लेन-देन पर 10 फीसदी का काऊ टैक्स लगा दिया गया है.

आपको बता दें कि राजस्थान सरकार राज्य के प्रत्येक व्यक्ति के सभी तरह के वेलफेयर पर 26 रुपए 65 पैसे ही खर्च करती है. वहीं राजस्थान में शहर में 28 रुपए और गांव में 25 रुपए 16 पैसे तक कमाने वाला बीपीएल होता है. इन सबके बीच गायों के लिए सरकार ने इतनी राशि दे दी है कि हर गरीब-बेरोजगार को आज गायों की आवभगत देखकर ईर्ष्या हो जाएगी.

जयपुर के हिंगोनिया गौशाला की दिल दहला देने वाली तस्वीरें कौन भूल सकता है. मरी हुई और मरती हुई गायों की तस्वीरों ने वसुंधरा सरकार के देश में गाय मंत्री और गाय मंत्रालय करने के दावों की पोल खोल कर रख दी थी. लेकिन अब सरकार ने गायों को वीआईपी ट्रिटमेंट देने का फैसला किया है. राज्य के हिंगोनिया गौशाला समेत दूसरे गौशालाओं को प्रति गाय 70 रुपए और प्रति बछड़े 35 रुपए देने का एलान किया है.

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जनवरी में पहली बार गोपालन विभाग ने ये राशि प्रति गाय 32 रुपए प्रति बछड़े 16 रुपए के हिसाब से तीन महीने के लिेए दी थी. उसके बाद आपदा प्रबंधन विभाग ने राज्य के तेरह जिलों और जयपुर जैसे बड़े शहरों में नगर निगम के अकाल राहत और आपदा प्रबंधऩ मंत्रालय ने सभी गो शालाओं में प्रति गाय के हिसाब से रोजाना 70 रुपए और बछड़े को 35 रुपए देने का फैसला किया है.

सरकार ने निर्देश दिए हैं कि ये राशि इनके खान-पान पर खर्च होंगें. इसके लिए गौशाला में सीसीटीवी लगाना होगा और चारा खिलाने की सीडी सरकार को सौंपनी होगी. सरकार ने लक्ष्य रखा है कि सभी लावारिश गायों को गोशाला में ले जाकर सेवा की जाएगी. राजस्थान के सबसे बड़े हिंगोनिया गौशाला में सरकार अक्षय पात्र संस्था को प्रति गाय 70 रुपए और प्रति बछड़े 35 रुपए गायों के रख रखाव के लिए दे रही है.

जयपुर नगर निगम ये पैसै हिंगोनिया गौशाला को दे रहा है. जबतक सरकार के पास गो टैक्स से 500 करोड़ का गो फंड इकट्ठा नही हो जाता है तब तक राज्य सरकार अकाल की स्थिति मानते हुए आपदा प्रबंधन के नियमों के तहत ये पैसे दे रही है.

सूत्रों की मानें तो नगर निगम ने राज्य सरकार को ये लिखा है कि ये पैसा ज्यादा है इसे 50 रुपए प्रति गाय के हिसाब से किया जाए. उधर विपक्ष का कहना है कि सरकार आम लोगों के वेलफेयर में तो कटौती कर रही है लेकिन हिंगोनिया में मारी गईं गायों का पाप धोने के लिए गायों को 70 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से दे रही है और वो भी सभी गौशालाओं को नहीं देकर केवल राजनीति कर रही है.

हिंगोनिया गौशाला के कमिश्नर भगवान सिंग गठाला के अनुसार राज्य सरकार के निर्देशानुसार वो अक्षयपात्रा को प्रति गाय 70 रुपए और प्रति बछड़े 35 रुपए के हिसाब देते हैं. आपदा राहत के नियमों के अनुसार ये पैसे मिल रहे हैं जिसे गायों के चारे-पानी और रख रखाव पर खर्च करने हैं. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अर्चना शर्मा का कहना है कि आमजनता के सोशल वेलफेयर की स्कीम तो बंद करते जा रहें और गायों को 70 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से दे रहे हैं वो भी सभी गोशालों को नही दे रहे हैं. पैसे की कमी की वजह से नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की वजह से इतनी सारी गायें हिंगोनिया में मरी थी.

फिलहाल राज्य में 2319 गोशालाओं में 671452 गाये हैं जिनको अनुदान मिलेगा. सरकार के इस घोषणा के बाद गोशालाओं में गायों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मसलन हिंगोनिया गौशाला को हीं लें. पहले वहां करीब 8500 गायें थी लेकिन जब से 70 रुपए और 35 रुपए गाय-बछड़े के लिए मिलना शुरु हुआ है वहां गायों की संख्या अप्रैल में करीब 13 हजार से ज्यादा हो गई है. सवाल उठता है कि एक गाय 70 रुपए और बछड़ा 35 रुपया में क्या खाएगा. मसलन एक किलो पशु आहार 15 रुपए प्रति किलो के हिसाब से आएगा और हरा चारा खुदरा में भी खरीदें तो 4-5 रुपए प्रति किलो मिलेगा जबकि थोक में तो ये और भी सस्ता हो सकता है.

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लेकिन हर कोई गायों की तहर खुश किस्मत नहीं है. मसलन आम जनता की हालात ही देख लीजिए. बजट पर अध्ययन करने वाली संस्था बार्क के अनुसार राजस्थान सरकार हेल्थ, फैमिली वेलफेयर, शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति, शहरी आवास, जल और कचरा निस्तारण, वेलफेयर फॉर एससी एसटी, लेबर, सोशल वेलफेयर और ग्रामीण विकास पर सलाना प्रति व्यक्ति 9727.61 पैसे खर्च करती है. यानी सरकार प्रति व्यक्ति के सभी तरह के वेलफेयर पर 26 रुपए 65 पैसे खर्च करती है. इस राशि को गायों पर प्रतिदिन के हिसाब से खर्च की जानेवाली राशि को देखें तो आधी से भी कम है.

जयपुर के पिंजरापोल गोशाला में गायों की देखभाल करने वालों को सरकार की तरफ घोषित न्यूनतम मजदूरी 201 रुपए रोजाना मिलती है. 74 साल के नारायण सिंह गोशाला की नौकरी करते थे. अब पांच लोगों का परिवार गायों की सेवा करता है और उसके बदले गोशाला से 201 रुपए एक व्यक्ति के नाम मिलते है.

यानी प्रति व्यक्ति रोजना करीब 40 रुपए प्रति व्यक्ति कमाते हैं. इसी में पूरा खर्च करना पड़ता है. करीब 80 साल के हरदे सिंह 14 साल पहले रिटायर हुए हैं. अब पति-पत्नी गोशाला में काम कर 201 रुपए रोजाना कमाते हैं तो घर चलता है. इनका कहना है कि रोज के 201 रुपए से परिवार नहीं चलता है.

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राज्य में करीब 21 लाख लोग बीपीएल हैं जिनको सरकार की तरफ से ऐसी सुविधा कभी आपदा राहत के तहत भी नही मिली है. जैसलमेर की प्यारी देवी को रोज के 70 रुपए खर्च करना तो दूर 70 रुपए रोज के कमाने को भी नही मिलते है. जैसलमेर के हीं पर्वत सिंह है जिन्हें नरेगा में साल में 100 दिन के काम के बदले 189 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलते हैं. जिसे अगर प्रतिदिन के हिसाब से देखे तो एक व्यक्ति को 52 रुपए मिलते है. यानि राजस्थान सरकार की नजर में गाय से भी कमतर इंसान की जरुरत है.

राजस्थान में गाय मंत्रालय भले हीं बन गया है लेकिन अलग-अलग विभाग जैसे नगर निगम, पशुपालन विभाग और गोपालन विभाग गायों की देखभाल कर रहा है. राज्य में स्टाम्प पेपर की खरीद से लेकर रजिस्ट्री समेत 33 तरह के फायनेंशियल ट्राजेक्शन पर काउ टैक्स 1 अप्रैल 2017 से लग रहा है. साथ ही सभी सरकारी कर्मचारी से भी 30 रुपए कि कटौती हर माह गो सेवा के लिए की जा रही है. जिससे गायों के लिए चारा खरीदा जाएगा. राजस्थान सरकार का मानना है कि एक बार 500 करोड़ का फंड बन जाए तो गायों के लिए सुविधा के और इंतजाम किए जा सकेंगें.

लेकिन हिंगोनिया गोशाला के अनुभव बताते हैं कि गायें कभी फंड और पैसे के अभाव में नहीं मरी. हिंगोनिया में गायें इसलिए मरीं क्योंकि सरकारी पैसे की लूट मची थी. गरीब किसान भी गाय पाल लेता है बिना 70 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से सरकारी अनुदान लिए हुए. उसकी गाय कभी मरती भी नही है. ऐसे में गाय के नाम पर पैसे बांटने की मुहिम कहीं भ्रष्टाचार के लिए एक और स्रोत न खोल दे.

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