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Updated: 20 अप्रिल, 2018 01:16 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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किसी बिल्डिंग की छत के छोर पर अगर कोई इंसान खड़ा दिखाई दे जाए तो दिल धक्क.. से रह जाता है कि... कहीं कूद न जाए... और यहां एक नहीं 84 थे.

project84इमारत की छत पर खड़े किए गए 84 पुतले

नजारा ऐसा कि शरीर में सिहरन दौड़ जाए. लंदन के ITV हेडक्वॉटर की इस बिल्डिंग पर खड़े ये 84 लोग किसी को भी डरा सकते थे. पर शुक्र है कि ये असल इंसान नहीं बल्कि पुतले थे. जिन्हें जान बूझकर बिल्डिंग के छोर पर खड़ा किया गया था, जिससे कि लोग इन्हें अनदेखा न कर पाएं, जिससे लोग इस बात को गंभीरता से लें कि 84 की संख्या कम नहीं होती. 84 की संख्या तब बहुत ज्यादा होती है जब हर सप्ताह 84 लोग अपनी जान दे रहे हों.

project84आत्महत्या करने वाले लोगों के घरवालों के साथ मिलकर आर्टिस्ट ने उन्ही की तरह दिखने वाले पुतले बनाए

जी हां, आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इंगलैंड में हर दो घंटे में एक आदमी अपनी जान खुद ले लेता है. यानी हर सप्ताह 84 पुरुष आत्महत्या करते हैं. ये आंकड़े निसंदेह डराने वाले हैं. ब्रिटेन में पुरुषों की मौत के कारणों में से सबसे बड़ा कारण आत्महत्या ही है. यहां आत्महत्या करने वालों में 75% लोग सिर्फ परुष होते हैं. और इसी बात को समझाने के लिए पुतले लगाने की ये कवायद की गई जिसे प्रोजेक्ट 84 का नाम दिया गया.

ये प्रोजेक्ट इस तरह से दिखाया गया जैसे लोग आत्महत्या कर रहे हों, जैसे वो आत्महत्या का फ्लैशबैक दिखा रहा हो, वो ये सोचने पर मजबूर कर रहा था कि काश लोगों को मरने से रोक लिया गया होता.

project84हर एक पुतला हर उस व्यक्ति को दर्शा रहा था जिसने आत्महत्या की

क्या है प्रोजेक्ट 84-

प्रोजेक्ट 84, CALM (The Campaign Against Living Miserably) नाम की एक संस्था ने शुरू किया है जो पुरुष आत्महत्या को रोकने के लिए समर्पित है. ये प्रोजेक्ट 26 मार्च को लॉन्च किया गया. इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी आर्टिस्ट मार्क जेनकिंस की मदद ली गई जिन्होंने 84 पुतले इमारत की छत पर खड़े किए. हर एक पुतला हर उस व्यक्ति को दर्शा रहा था जिसने आत्महत्या की. चूंकि औसतन हर हफ्ते 84 लोग आत्महत्या करते हैं इसलिए 84 पुतले लिए गए. ऐसा करने का मकसद केवल लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना था जिसके लिए न तो कोई आवाज उठाता है और न ही सरकार प्रयास करती नजर आती है.

2016 में CALM द्वारा किए गए ऑडिट के मुताबिक तनाव झेल रहे केवल 55% पुरुष ही इस बारे में किसी को बताते हैं, जबकि महिलाओं में ये प्रतिशत 67 है. इस कैंपेन के जरिए लोगों को एक दूसरे से बात करने पर जोर दिया गया. क्योंकि बात करने से तनाव कम होता है और आत्महत्या के ख्याल को रोककर बदलाव लाया जा सकता है.

project84बातचीत से रोकी जा सकती हैं आत्महत्याएं

लोग इस नजारे को देखकर दंग थे, वो आंकड़े जो सिर्फ खबरों में दर्ज रहते थे वो अब सामने खड़े होकर लोगों को न सिर्फ डरा रहे थे बल्कि चेता भी रहे थे कि ये रोका जा सकता है.

अब बात भारत की-

अगर आप ये सोचकर आश्चर्य कर रहे हैं कि केवल इंग्लैंड में पुरुष आत्महत्याओं की दर ज्यादा है तो एक बार अपने देश के बारे में भी जान लीजिए. NCRB 2015 के मुताबिक देश में 133,623 आत्महत्याएं की गईं जिसमें से 91,528 पुरुषों ने कीं और 42,088 महिलाओं ने यानी आत्महत्या करने वाले 68% लोग पुरुष थे. तो देश भले ही कोई भी हो लेकिन ये सत्य है कि महिलाओं कि तुलना में पुरुष ज्यादा आत्महत्याएं करते हैं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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