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Updated: 21 जनवरी, 2017 04:07 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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हम अक्सर जानवरों के साथ अत्याचार की खबरें सुनते रहते हैं. जिक्र जब इंसान की क्रूरत का होता है तो जिक्र उनका भी होना चाहिए जिनका दिल जानवरों के लिए पसीजता है.

मथुरा से आईं कुछ तस्वीरों में आपको इंसानियत साफ-साफ दिखाई देगी. उत्तर भारत में ठिठुरा देने वाली ठंड से जब आम जन परेशान है, तो जाहिर है जानवरों को भी ये ठंड सताती होगी. लेकिन वो ठहरे जानवर, उन्हें ऊनी कपड़े कहां नसीब होते हैं. लेकिन यहां हाथियों के लिए लोग अपने हाथों से स्वेटर बुन रहे हैं. न सिर्फ स्वेटर बल्कि पायजामे भी.

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 रंग बिरंगी ऊन से बनाए जा रहे हैं हाथियों के लिए कपड़े

यकीनन हाथियों को गर्म कपड़ों में आपने कभी नहीं देखा होगा.

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केयर सेंटर ये कपड़े बनवा रहा है और इसमें गांव की औरतें मदद कर रही हैं

SOS Elephant Conservation And Care Centre में ये रंग बिरंगे ऊनी कपड़े बनाए जा रहे हैं. ये सेंटर उन हाथियों की देखभाल करता है जिन्हें उनके क्रूर मालिकों से छुड़ाकर लाया गया था, जो हाथियों से मारपीट करते और प्रताड़नाएं दिया करते थे. इन हाथियों में कई हाथी विकलांग भी हैं.

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इन पीड़ित हाथियों में बहुत से विकलांग हैं

इस सेंटर को चलाने वाले कार्तिक सत्यनारायण कहते हैं कि 'इतनी ठंड में पहले से ही प्रताणित इन हाथियों को ठंड से बचाना बहुत जरूरी है. क्योंकि ये पहले से ही कमजोर हैं जिससे ठंड की वजह से इन्हें निमोनिया भी हो सकता है. ठंड इनके अर्थिराइटिस को भी बढ़ा सकती है जिससे बचाए गए ज्यादातर हाथी पीड़ित हैं.'

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 चूंकि ये पहले से ही कमजोर हैं इसलिए ठंड से बीमार पड़ सकते हैं

ये सेंटर ऐसे करीब 20 हाथियों का घर है जिन्हें अवैध रूप से बंधक बनाया हुआ था. तस्कर माफिया इनको सर्कस के लिए प्रताड़ित किया करते थे. और ये बहुत खराब स्थिति में थे. 2017 में उम्मीद की जा रही है कि ऐसे 50 हाथियों को और छुड़वाया जाएगा.

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 सेंटर में हाथियों की देखभाल की जाती है जिससे वो एक सामान्य जीवन फिर से जी सकें

देखा जाए तो ये सेंटर हाथियों की देखभाल के लिए ही काम कर रहा है, लेकिन इंसानियत कोई काम नहीं होती. अपने आस पास नजर दौड़ाइए और देखिए कि क्या इस इंसानियत की जरूरत वहां भी है? शायद ठंड से ठिठुर रहा कोई जीव आपको दिख ही जाए. और उसके लिए आपको स्वेटर बुनने की भी जरूरत नहीं..घर में कोई फटा पुराना गर्म कपड़ा भी पहना देंगे तो यकीन कीजिए बेइंतहां खुशी मिलेगी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो जानवर है या फिर कोई जरूरतमंद इंसान.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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