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Updated: 04 मार्च, 2018 04:18 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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विश्व के सबसे लोकप्रिय सितारों में शुमार फवाद खान आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. फवाद के बारे मेंये किसी से छुपा नहीं है कि, वो न सिर्फ अपने देश पाकिस्तान में बल्कि हिंदुस्तान में भी लाखों दिलों की धड़कन हैं. कई लड़कियों को फवाद की स्माइल भाती है. तो वहीं कुछ लड़कियां उनकी दाढ़ी पर मर मिटती हैं. लड़कियां फवाद पर मरे भी क्यों न? आज हमारे सामने ऐसे कई शोध आ चुके हैं जिनमें ये माना गया है कि, क्लीन शेव मर्दों के मुकाबले महिलाओं को वो पुरुष ज्यादा अच्छे लगते हैं, जिन्होंने दाढ़ी रखी होती है. वैसे बात जब दाढ़ी की आती है तो पाकिस्तान का जिक्र स्वाभाविक है. पाकिस्तान, उस लिस्ट में टॉप तीन में है, जहां के पुरुष दाढ़ी रखने के कारण अच्छे लगते हैं.

दाढ़ी, इस्लाम, पाकिस्तान, हरामदाढ़ी को लेकर पाकिस्तान का नया फरमान विचलित करने वाला है

अब अगर हम आपसे ये कहें कि, पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के ईमान पर फवाद की दाढ़ी का बाल गड़ रहा है. तो एकबार ये सब सुनकर आपको भी अटपटा लगेगा. मगर ये सच है. फैशन इंडस्ट्री, टीवी और फिल्मों की बदौलत हॉट ट्रेंड में रहने वाली दाढ़ी, पाकिस्तान के लोगों के लिए एक गहरी चिंता का विषय बन गयी है. पाकिस्तान के कठमुल्लों ने फवाद की दाढ़ी या फवाद जैसी दाढ़ी रखने वालों को इस्लाम के खिलाफ एक बड़ी साजिश माना है.

ध्यान रहे कि, भले ही पाकिस्तानी पुरुष दाढ़ी में अच्छे लगते हों. मगर उनकी दाढ़ी उनके धर्म "इस्लाम" को एक फूटी आंख भी नहीं भाती है. खबर है कि पाकिस्तान में स्टाइलिश दाढ़ी रखने को गैर इस्लामिक बताते हुए इसे बैन करने की मांग की जा रही है. द ट्रिब्यून एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट पर अगर गौर करें तो, दाढ़ी के नए-नए स्टाइल को बैन करने के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की डेरा गाज़ी खान डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने प्रस्ताव पारित किया है. डेरा गाज़ी खान डिस्ट्रिक्ट काउंसिल लोगों की डिज़ाइनर दाढ़ी से बेहद आहत है और इसे हराम मानकर इसे इस्लाम के खिलाफ एक बड़ी साजिश बता रही है.

दाढ़ी, इस्लाम, पाकिस्तान, हराम डिजाइनर दाढ़ियां इन दिनों पाकिस्तान में खूब लोकप्रिय हैं

अपने प्रस्ताव में डेरा गाज़ी खान डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने माना है कि नए तरीकें इजाद कर या फिर किसी "हीरो" से प्रेरणा लेकर उसी अंदाज में दाढ़ी रखना इस्लाम की शिक्षा के विरुद्ध और रसूल द्वारा बताते गए सुन्नाह के खिलाफ है. बताया जा रहा है कि डेरा गाज़ी खान डिस्ट्रिक्ट काउंसिल इस कारण अपने युवाओं से बेहद खफा है. डेरे का मानना है कि फैशन के चलते युवा जान बूझकर दाढ़ी का मजाक बना रहे हैं अतः ऐसे लोगों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए.

इस प्रस्ताव के जरिये पाकिस्तान के तरक्की पसंद युवाओं को चकित करने वाले आसिफ खोसा का मत है कि, युवा गलत रास्ते पर हैं और उन्हें सुन्नाह (इस्लामिक शिक्षाओं) के बारे में जागरूक करने की जरूरत है. ध्यान रहे कि इस प्रस्ताव में दाढ़ी के अलग-अलग कटों जैसे फ्रेंच कट और नई स्टाइल वाली दाढ़ी पर आपत्ति जताई गयी है. आपको जानकार आश्चर्य होगा मगर इस प्रस्ताव को बहुमत से पास कर लिया गया है और आगे की कार्यवाही के लिए कमिश्नर के पास भेज दिया गया है.

दाढ़ी, इस्लाम, पाकिस्तान, हराम कट्टरपंथियों का मानना है कि पाकिस्तान के युवा सिनेमा से प्रेरित होकर ऐसा कर रहे हैं

 

बहरहाल ये कोई पहला मौका नहीं है जब इस्लाम की आड़ में पाकिस्तान ने अपने मानसिक दिवालियेपन का परिचय दिया है. इससे पहले डिज़ाइनर बुर्के न पहनने, बाल और दाढ़ी न रंगने, गाना न सुनने, जींस न पहनने, मोबाइल का इस्तेमाल न करने समेत कई ऐसे प्रस्ताव पाकिस्तान की तरफ से हमारे पास आ चुके हैं जिनको देखकर ये अपने आप ही महसूस हो जाता है कि पाकिस्तान को उसका कट्टरपंथ लगातार गर्त के अंधेरों में ढकेल कर उसे विकास और शिक्षा के मुख्यमार्ग से लगातार पीछे कर रहा है.

दाढ़ी, इस्लाम, पाकिस्तान, हरामपाकिस्तान के कट्टरपंथियों की मांग है कि जो दाढ़ी का मजाक बना रहे हैं उन्हें सख्त से सख्त सजा मिले

चूंकि बात दाढ़ी और पाकिस्तान की चल रही है तो ऐसे में यहां ये बताना बेहद ज़रूरी है जिस सुन्नाह का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान के डेरा गाज़ी खान डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के लोगों ने ये बवाल खड़ा किया है उसे रसूल की उन हदीसों को देखना चाहिए जिनमें उन्होंने व्यक्तिगत स्वच्छता की बात की थी और चेहरे के बालों (दाढ़ी) को सही आकार में रखने को कहा था.

अंत में हम अपनी बात खत्म करते हुए बस इतना ही कहेंगे कि अब वो वक़्त आ गया है जब पाकिस्तान को ये बात बेहतर ढंग से समझ लेनी चाहिए कि दीन में दाढ़ी है न कि दाढ़ी में दीन है. वो दीन जो दाढ़ी पर बहस की बात नहीं बल्कि शिक्षा, विकास और उन्नति की बात करता है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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