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Updated: 27 जनवरी, 2016 08:43 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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क्या आपने किसी मस्जिद से महिला की आवाज में अजान सुनी है? जवाब 'नहीं' में ही मिलेगा. क्योंकि मुस्लिम महिलाओं को इसकी इजाजत ही नहीं है. भारत के संविधान में भले ही हर इंसान बराबर है, लेकिन आस्था की जगह पर महिलाओं को बराबरी का दर्जा अब भी नहीं मिला है. मंदिर हो या फिर मस्जिद, कई मामलों में महिलाओं के लिए दरवाजे बंद ही हैं.

परंपराओं या शरीयत के नाम पर बंद किए इन दरवाजों को खोलने के लिए अब आवाजें उठने लगी हैं. एक तरफ शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश को लेकर महिलाओं का आंदोलन अपने चरम पर है, वहीं अब मुस्लिम महिलाओं के लिए भी आवाजें बुलंद हो रही हैं. बराबरी का दर्जा दिए जाने को लेकर उठ रहीं इन आवाजों को अब शायद ही कोई रोक पाये.

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शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश को लेकर आंदोलन जारी है, महिलाओं के इस 'हल्ला बोल'वाले रुख को देखते हुए मंदिर प्रशासन अब उनसे बातचीत करने पर राजी हो गया है.

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मुस्लिम महिलाओं को दरगाह और मस्जिदों में जाने की इजाजत नहीं है. शरीयत के कानून के मुताबिक कोई भी महिला दरगाह, कब्र या मस्जिद में प्रवेश नहीं कर सकती, जबकि कुरान में एक भी ऐसी आयत नहीं मिलती जो मुस्लिम औरतों को मस्जिद में प्रवेश के लिए मना करती हो. मुस्लिम महिलाओं पर सुनाए इस फरमान को गैर इस्लामिक करार करते हुए भारतीय मुस्लिम महिला आयोग ने इसका विरोध भी किया पर नतीजा सिफर ही रहा. मस्जिद में प्रवेश तो एक बात है, न जाने कितने मामले हैं जहां मुस्लिम महिलाओं पर पाबंदियां हैं. हिजाब को लेकर फरमान हों, तीन बार तलाक कहकर रिश्ता तोड़ना हो या फिर एक पति को तीन औरतों के साथ बांटना, नुकसान केवल महिला का होता है. महिलाओं की जो दशा मुस्लिम समाज में है शायद ही किसी और धर्म में हो. समाज के सामने अपनी बात रखने की इजाजत इनका कानून इन्हें नहीं देता और जो आवाजें उठती हैं उन्हें हमेशा के लिए दबा दिया जाता है.

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शनि मंदिर में प्रवेश करने को लेकर किया गया आंदोलन भले ही कामयाब हो या न हो लेकिन उन महिलाओं के हौसलों ने हर तबके और धर्म की महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ने की प्रेरणा जरूर दी है. नतीजा ये कि अब मुस्लिम महिलाओं के लिए भी आवाजें उठने लगी हैं. शुरुआत सोशल मीडिया पर #Liberty4MuslimWomen और #MuslimWomenRights से हो रही है. आवाजें किसी भी धर्म से आएं लेकिन आने लगी हैं. उम्मीद है कि ये आवाजें पंचम सुर में निकलें और कामयाब हों. हमें भी इंतजार है उस दिन का जब किसी मस्जिद से मधुर आवाज में अजान सुनने मिल जाये.    

 

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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