Mika virus: आखिर क्यों कुछ लोग महिलाओं से बदसलूकी के आदी हो जाते हैं
मीका सिंह पर एक बार फिर यौन शोषण का आरोप लगा है. मीका की बात छोड़ें और इसे मोटे तौर पर देखें तो ऐसे कई लोग होते हैं जो लगातार एक ही तरह के जुर्म करते हैं और उन्हें हैबिचुअल ऑफेंडर्स कहा जाता है.
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मीका सिंह को दुबई पुलिस ने सेक्शुअल हैरेसमेंट के मामले में अरेस्ट किया है. ये गिरफ्तारी कल हुई है. उन्होंने 17 साल की एक ब्राजीलियन मॉडल को अश्लील तस्वीरें भेजीं और मुंबई में फिल्मों में काम दिलाने का वादा भी किया. मीका सिंह के साथ ये पहली बार नहीं हुआ है कि वो किसी यौन शोषण के मामले में फंसे हों. मीका हमेशा ही इसी तरह के विवादों में फंसते रहे हैं, चाहे राखी सावंत को किस करने का मामला हो, चाहे किसी और लड़की के यौन शोषण का मामला हो, मीका सिंह को हमेशा इसी तरह की बातों के लिए दोषी पाया जाता है. अब हर बार तो मीका सिंह निर्दोश नहीं हो सकते न. उनके जुर्म को छोटा कहना गलत होगा क्योंकि ऐसा करना सिर्फ उन्हें बढ़ावा देने जैसा ही है. पर एक बात तो पक्की है कि बार-बार एक ही तरह का क्राइम करने वालों को कोई न कोई बहाना मिल ही जाता है क्राइम करने का.
ये सिर्फ मीका सिंह की बात नहीं है. ये एक वायरस की तरह है जो ऐसे लोगों के अंदर पाया जाता है जो बार-बार क्राइम करते हैं. इन्हें नाम दिया गया है हैबिचुअल ऑफेंडर्स (Habitual Offenders). भारत और साथ ही कई देशों में बाकायदा ऐसे लोगों के लिए नियम और कानून बनाए गए हैं. भारत में ऐसे लोगों के लिए Habitual Offenders Act 1952 को देखा जाता है. हैबिचुअल ऑफेंडर्स वो लोग होते हैं जो एक ही तरह का क्राइम करने के आदी होते हैं. पर ऐसा क्यों?
हैबिचुअल ऑफेंडर्स अक्सर एक ही तरह का जुर्म करते हैं चाहें वो छोटा हो या फिर बड़ा
इसके जवाब मनोविज्ञान यानी साइकॉलोजी देती है. ऐसे लोगों को करियर क्रिमिनल भी कहा जाता है. इनके लिए अरेस्ट होना या इनपर कोई केस चलना नई बात नहीं होती. अवॉर्ड विनिंग इंटरनेशनल राइटर और क्रिमिनोलॉजिस्ट Jennifer Chase कुछ बातें बताती हैं जो हैबिचुअल क्रिमिनल्स में अक्सर पाई जाती हैं.
1. रैश्नलाइजेशन या युक्तिकरण यानी अपनी बात को सही साबित करना-
ये लोग अक्सर अपनी बात को सही साबित करने में लग जाते हैं और इनके लिए वो क्राइम, क्राइम नहीं रह जाता. जैसे रेपिस्ट या सेक्शुअल ऑफेंडर को ये कहते सुना जा सकता है कि लड़की तो ऐसे चल/उठ/बैठ/बोल/सुन रही थी वो तो ये चाहती ही थी. या फिर कोई कार चोर कहे कि अगर वो चाहते कि चोरी न हो तो अपनी कार का खुद ध्यान रखते. उन्हें अपने व्यवहार में बदलाव दिखता ही नहीं है.
2. हकदारी या अपना हक साबित करना
ऐसे लोगों के लिए “me, me, me” वाला फंडा ही सही होता है. या यूं कहें कि उन्हें ये फंडा ही सही लगता है. ऐसे लोगों को लगता है कि वो कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि जिंदगी उनके इर्द-गिर्द घूमती है.
3. एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर
अगर कोई मनोविज्ञान के बारे में थोड़ा भी जानता है तो उसे इस डिसऑर्डर के बारे में पता होगा. इसे क्रिमिनल थिंकिंग भी कहा जाता है. करियर क्रिमिनल या हैबिचुअल ऑफेंडर्स कभी ही किसी और के बारे में सोचते हैं या उन्हें सहानुभूति की भावना से देखते हैं. ऐसे लोगों को सामाजिक बंधनों में बंधना पसंद नहीं है और इनमें सेल्फ कंट्रोल की भी कमी होती है.
4. भावुकता
भले ही ऐसे लोग एंटी सोशल व्यवहार करने के आदी हो, लेकिन ये खुद को गलत नहीं समझते क्योंकि किसी न किसी के प्रति इनके मन में भावुकता होती है. जैसे बच्चे या जानवर आदि के लिए इनका व्यवहार थोड़ा सॉफ्ट होता है.
5. त्वरित फैसले लेने वाले
हैबिचुअल ऑफेंडर्स त्वरित फैसले लेते हैं और अपने स्वाभाव में संयम नहीं रख पाते. हमेशा इम्पल्सिव फैसले लेना इनके स्वाभाव में होता है. ऐसे में अपने गुस्से पर भी धैर्य नहीं रख पाते और ये अक्सर खराब फैसले ले लेते हैं.
6. पारिवारिक समस्याएं
अक्सर देखा गया है कि हैबिचुअल ऑफेंडर्स कहीं न कहीं पारिवारिक समस्याओं से परेशान होते हैं. वो कहीं न कहीं अपने परिवार से अलग रहते हैं. परिवारिक समस्याएं ही ऐसी मानसिकता को जन्म देती हैं.
7. आसानी से ध्यान भटक जाता है
करियर क्रिमिनल्स का ध्यान आसानी से भटक जाता है. ऐसे लोग एक ही काम पर फोकस नहीं कर पाते हैं और यही कारण है कि सामाजिक मामलों में इनका ध्यान कम होता है क्योंकि अक्सर एक चीज़ पर ध्यान न लगा पाने के कारण इन्हें समस्या होती है घुलने मिलने में.
8. पावर सेंट्रिक
अक्सर ऐसे लोग पावर सेंट्रिक होते हैं और रोजमर्रा की समस्याओं को या फिर अन्य लोगों को ताकत की परीक्षा के तौर पर लेते हैं. ऐसे में अपना सक्षम दिखाने वाली मानसिकता भी कहीं न कहीं एक तरह का हैबिचुअल क्रिमिनल पैदा करती है. ऐसे लोग जेल से नहीं डरते. इन्हें ऐसा कहते सुना जा सकता है कि 'ठीक है जो भी है देख लेंगे, जेल से डर नहीं लगता.'
9. अजेयता
जैसा की पहले भी कहा गया है ऐसे लोगों को जेल जाने का डर नहीं होता, उन्हें ये नहीं लगता कि वो किसी भी तरह से फंसने वाले हैं. 'मैं तो कभी पकड़ा नहीं जाऊंगा' वाली बात उनके दिमाग में रहती है. उनको लगता है चूंकि ये उन्होंने पहले भी किया है और आगे भी करेंगे तो वो पकड़े नहीं जाएंगे.
ऐसे लोगों को नियमों के बाहर रहने की आदत होती है और भी कई तरह के मुद्दे होते हैं जो इस तरह के लोगों को गलत काम करने के लिए प्रेरित करते हैं जैसे उम्र, हालात, पावर, पैसा आदि.
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