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Updated: 12 मार्च, 2021 04:46 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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भगवान शिव (lord Shiva) बहुत ही भोले हैं. एक लोटा जल चढ़ाने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं. शिव के गुणों को अपने जीवन में उतार कर हर इंसान सुखी हो सकता है. शिव यानी कल्याणकारी या शुभकारी. यजुर्वेद में शिव को शांति दाता बताया गया है. शिव में ‘शि’ का मतलब पापों का नाश करने वाला है जबकि ’व’ का अर्थ देने वाला यानी दाता से है. वहीं कुछ लोग अपनी इच्छा पूरी करने के लिए शिव के नाम का बहाना बनाकर खुद को सही साबित करने की कोशिश करते हैं. कुछ लोग ऐसे हैं जो शिव (Mahashivratri 2021) के रूप को गलत तरीके से पेश करते हैं. ऐसे लोग शिव को उस रूप में दिखाने की कोशिश करते हैं जो वो हैं ही नहीं. हम आपको कुछ ऐसे ही कामों के बारे में बता रहे हैं.

 Maha Shivratri 2021 Live Updates, Mahashivratri, happy Mahashivratri, Mahashivratri 2021, Lord Shiva ptrasad Bhangशिवभक्तों की कुछ बातें ऐसी हैं जिनका शिव से कई वास्ता नहीं है

फिलहाल बात उस भगवान शिव की जिन्होंने सृष्टि की स्थापना की. इस सृष्टि के आधार और रचयिता यानी स्त्री-पुरुष शिव और शक्ति के ही स्वरूप हैं. शिव नें संपूर्ण सृष्टि की रक्षा के लिए विष पिया था. वहीं सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है. यानी आपके आस-पास कितने भी विषैले लोग हों आप उन पर विजय पा सकते हैं. शिव ने बाघ की खाल पहनी हुई है. इसका मतलब उन्होंने हिंसा और अहंकार को दबा रखा है. शिवलिंग का भस्म से अभिषेक किया जाता है, इसका मतलब इससे है कि अपनी शारीरिक बनावट पर घमंड मत करो क्योंकि यह संसार नश्वर है. शिव का वाहन चार पैरों वाला जानवर बैल है जो धर्म का प्रतीक है. जिसका मतलब धर्म, कर्म काम और मोक्ष से है. बैल खेती हल जोतता है, इसे गृहस्थ जीवन से भी जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि शिव को आदर्श मुखिया और गृहस्थ माना जाता है.

चलिए अब उन कामों के बारे में आपको बताते हैं जो लोग शिव के नाम का बहाना बनाकर करते हैं. ऐसो लोग खुद को बहुत बड़ा शिव भक्त बताते हैं. जबकि 'भोले' असल में ऐसे हैं ही नहीं. वो तो लोगों का दुख हरने वाले हैं.

1- नशा करने का बहाना

कुछ सालों में एक ऐसा तबका सामने आया है जो खुद को शिवभक्त बताता है और नशा करता है. ड्रग्स, गांजा (hemp weed drugs) फूंकने वाले लोग बोलते हैं कि इसमें बुराई क्या है, यह को शिव का प्रिय प्रसाद है. ऐसे लोग शिव को इसी रूप से जानते हैं. पुराने समय में जो भक्त थे वो प्रसाद के रूप में कभी-कभार लेते थे, लेकिन न्यू जनरेशन के लोग इसे फैशन से जोड़कर देखते हैं और गांजा फूंकते हुए सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करते हैं. कई लोगों की ऐसी मानसिकता है कि गांजा लेने के बाद दिमाग तेजी से काम करता है. कई लोगों को यह भी लगता है सिगरेट में केमिकल होता है और गांजे में नहीं होता है. जबकि यह गलत धारणा है. ज्यादा गांजा लेने वाला इंसान को जब इसकी लत लग जाती है तो इसे छुड़ाना आसान नहीं होता है. साथ ही अगर इसकी ज्यादा मात्रा ले ली जाए तो इंसान पागल तक हो जाता है. शिव को इस तरह से इतना ज्यादा दिखाने की कोशिश की गई है कि कई विदेशी लोग  बाबा भोले को नशे से ही जोड़कर देखते हैं. जबकि सामान्य नजरिए से देखें तो शिव का भांग-धतूरा लेने से मतलब यह था कि जो मिले वही खा लेना चाहिए. इंसान को सरल जीवन जीना चाहिए. शिव को नशा के रूप में दिखाने वाले लोग खुद नशे में पड़े रहते हैं और अपने परिवार को परेशान करते हैं. ऐसे लोग भक्त तो नहीं हो सकते, हां अपना नुकसान जरूर करते हैं.

2- किसी से भी दोस्ती का बहाना

शिव के गले में सर्प, कानों में बिच्छू होने से मतलब यह है कि हमारे आस-पास कितने बुरे लोग क्यों ना हों अगर आप सही हैं तो वे आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते. वहीं शिव टोली में सभी देवगण से लेकर भूत-पिशाच भी शामिल थे. इसका मतलब सामान्य भाषा में समझें तो शिव भेदभाव नहीं करते थे. जो आज के जमाने में लोग अमीर-गरीब देखते हैं. शिव के लिए एक समान हैं. शिव खूबसूरती और बदसूरती में यकीन नहीं करते. आपको लोगों से दोस्ती जात-पात और धर्म के आधार नहीं करनी है. लोगों से उनके रंग और समुदाय की वजह से भेदभाव नहीं करना है जो हमारे समाज में अक्सर किया जाता है, लेकिन आज के समय में दोस्ती बहुत सोच समझकर करनी चाहिए. जिस संगत में आप रहेंगे उसका असर आपके ऊपर भी पड़ेगा. यह नहीं कि आप शिव का उदाहरण देकर खुद को सही साबित करने की कोशिश करें और गुंडे, बदमाश जैसे अपराध किस्म के लोगों से दोस्ती कर लें. आज के जमाने में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने मतलब के लिए किसी भी अपराधी या नशेड़ी से दोस्ती कर लेते हैं, घरवाले समझाने की कोशिश करें तो शिव का उदाहरण सुनाने लगते हैं.

 

3- गंदा संदा रहने के लिए शिव का बहाना

अक्सर कई लोग शिवभक्त बताते हैं और कई दिनों तक नहाते भी नहीं हैं. बाल-दाढ़ी बढ़ाकर उनके जैसा होने का दिखावा करते हैं. दरअसल, शिव वाघंबर पहनने से मतलब यह है कि कपड़े तन ढंकने के लिए होते हैं और हमेशा ऐसे वस्त्र धारण करने चाहिए जो सुलभ हों. महंगे कपड़े आपको आम लोगों से दूर कर सकते हैं, ज्यादा महंगी चीजों के भागने से इंसान सुखी नहीं रहता, क्योंकि उसकी इच्छाएं बढ़ती जाती है. शिव-पार्वती जब साथ में होते हैं तो पार्वती को पूरे साज-श्रृंगार में दिखाया जाता है जबकि शिव की वेशभूषा कैसी है यह लगभग सबको पता है. शिव का रूप जीवन की समानता और सरलता का प्रतीक है. कुछ लोग कई दिनों तक नहाते नहीं है. बाल और दाढ़ी भी नहीं कटाते और खुद को शिवभक्त होने का बहाना बनाते हैं, क्योंकि ऐसे लोग शिव के रूप को समझ ही नहीं पाते. बढ़े हुए बाल और दाढ़ी में गांजा फूंकते हुए फोटो शेयर करते हैं और अपनी पहचान इसी रूप में बनाते हैं और कहते हैं कि मैं शिवभक्त हूं. जबकि आपको नहाना नहा-धोकर शिव की पूजा करनी चाहिए. अपनी पर्सनैलिटी को साफ-सुथरा रखना चाहिए. आपका व्यक्तित्व अच्छा रहेगा तभी जीवन में सफलता हासिल होगी.

4- शिव के नाम पर अंधविश्वास

कई लोग शिव चर्चा के नाम पर भूत-प्रेत भगाने का दावा करते हैं. भोली-भाली महिलाओं को ठगने का काम करते हैं. वहीम ढोंगी बाबा शिव चर्चा के नाम पर लोगों को यह कहकर बेवकूफ बनाते हैं कि शिव की कथा सुनते ही जिन लोगों पर बाहरी या भूत-पिशाच का साया होगा वह हमेशा के लिए भाग जाएगा. अंधविश्वास के नाम पर एक महिला ने समाधि लेनी चाही तो वहीं एक लड़की ने अपनी जीभ काट ली थी. ऐसे लोगों भगवान शिव के नाम नुकसान ही कर सकते हैं, इसलिए इनके बहकावे में मत आए. शिव की महिमा अपरंपार है. वे सृष्टि की जननी है, वे लोगों का बुरा कभी नहीं चाहते. इसलिए शिव के असली रूप को जानिए, ना की मनगढ़ंत कहानियों के ऊपर जो लोगों ने अपने फायदे के लिए बनाई है. 

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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