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Updated: 27 सितम्बर, 2016 07:56 PM
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केरल के लोग आवारा कुत्तों से परेशान हैं, या ये भी कह सकते हैं कि कुत्ते वहां के लोगों से परेशान हैं. केरल के कोट्टयम से आए एक विरोध प्रदर्शन के दृश्य शायद यही बयां कर रहे हैं. आवारा कुत्तों के खिलाफ केरल कांग्रेस यूथ विंग सड़क पर उतरा और विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन ये विरोध प्रदर्शन कम और क्रूरता का प्रदर्शन ज्यादा नजर आ रहा था.

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 10 कुत्तों को मारा और फिर उनकी लाशों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं.

कोट्टयम में कांग्रेस यूथ विंग के सदस्यों ने खुद ही 10 कुत्तों को मारा और उन्हें एक ही डंडे से बांधकर उल्टा लटकाकर सड़कों पर प्रदर्शन किया. बताया जा रहा है कि कुत्तों को मारकर और इस तरह प्रदर्शन करके कांग्रेस अपनी पार्टी की सरकार को तुरंत कार्रवाई करने के लिए चेतावनी दे रही थी. लोगों ने हाथों में उन बच्चों की तस्वीरें भी ले रखी थीं, जो कुत्तों के काटने से घायल हुए थे.

ये लोग नारे लगाते हुए सरकार को चेता रहे थे कि अगर उन्होंने जल्द से जल्द इन कुत्तों पर कार्रवाई नहीं की तो वो इसी तरह कुत्तों को मारते रहेंगे. इतना ही नहीं इन मरे हुए कुत्तों को लेकर ये लोग पोस्ट ऑफिस पहुंचे, जहां इन कुत्तों को मेनका गांधी को पार्सल करने की मांग भी की गई. क्योंकि मेनका गांधी ने इतने बड़े पैमाने पर कुत्तों को मारने की आलोचना की थी.   

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अपनी सफाई में यूथ फ्रंट के अध्यक्ष का कहना है कि हमने केवल उन ही कुत्तों को मारा था जो खतरनाक थे. फिलहाल तो जानवरों पर क्रूरता दिखाने के लिए इनके खिलाफ केस दर्ज हो चुका है. जानवर खतरनाक थे तो उन्हें मारना समझ में आता है, लेकिन इस तरह उन्हें डंडे पर बांधकर पूरे शहर में घूमकर उन्होंने यही साबित किया है कि वहां कुत्ते नहीं बल्कि इंसान ज्यादा खतरनाक हैं.

कुत्तों पर क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट

भारत में 3 करोड़ आवारा कुत्ते हैं और 20 हज़ार लोग हर साल रैबीज से मर जाते हैं. केरल में करीब 2.5 लाख आवारा कुत्ते हैं. लिहाजा यहां के लोग काफी समय से इन आवारा कुत्तों को जान से मारने की मांग कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इसमें डॉग्स लवर्स, एनिमल वेलफेयर बोर्ड आदि की याचिकाएं हैं, इनमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें आवारा कुत्तों को खत्म करने के आदेश दिए थे. मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों को निर्देश दिया था कि वे आवारा कुत्तों का स्टेरलाइजेशन और वैक्सिनेशन करें. साथ ही पिछले साल नवंबर में बीमार कुत्तों को खत्म करने के निर्देश दिए जा चुके हैं, जिनसे लोगों की जान को खतरा है. अदालत ने ये भी कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि कुत्तों के प्रति दया का भाव हो, लेकिन साथ ही इस बात को भी देखना जरूरी है कि मानव जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है. बिना मालिक के आवारा कुत्ते समाज के लिए खतरा हैं.   

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 भारत में करीब 3 करोड़ आवारा कुत्ते हैं 

आदमी और जानवर के बीच बढ़ रहा है संघर्ष

ऐसा नहीं है कि केवल केरल में ही कुत्तों का आतंक है, देश के हर राज्य में कुत्तों की बढ़ती संख्या परेशानी बनती जा रही है. नगर निगम कुत्तों पर काबू पाने में असमर्थ है और गुस्साए लोग आवारा कुत्तों की आबादी कम करने के लिए उनपर अमानवीय व्यवहार करने पर आमादा हैं. कोई उन्हें पीटता है, कोई करंट लगाकर मार देता है. इंसानों और कुत्तों के रिश्तों को कुछ उदहरण देकर समझा जा सकता है-

- पंजाब से आदमखोर कुत्तों की खबरें आती रहती हैं. जो इंसानों को सिर्फ काटते नहीं बल्कि पूरा ही खा जाते हैं. ये कुत्ते नहरों के किनारे रहते हैं जहां अक्सर मृत जानवरों को डाल दिया जाता है. बस ये कुत्ते उन्हें खाते हैं और जब कभी इन्हें कुछ नहीं मिलता तो ये लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं. शहर की उन जगहों पर जहां आसपास पोल्ट्री फार्म या फिर मीट की दुकानें होती हैं, वहां कुत्तों को भरपूर मांस मिल जाता है. ये मांस खाने के आदी हो जाते हैं और जब इन्हें इस तरह का मांस नहीं मिलता तो यह आदमखोर बन जाते हैं.

- केरल में कुत्तों का जितना डर लोगों को है, ये कुत्ते भी उनसे उतना ही डरते हैं. अपना अपना शक्ति प्रदर्शन दोनों करते हैं. लोग दूर से ही कुत्तों को देखकर या तो भाग जाते हैं या उन्हें भगाने की कोशिश करते हैं. कुत्ते भी इंसानों के इस व्यवहार को समझते हैं. पालतू कुत्तों को छोड़ दें तो आवारा कुत्ते हमेशा लोगों की आंखों में खटकते हैं, उनसे डर और उनसे घृणा का नतीजा कुत्तों के व्यवहार में भी साफ नजर आता है. वो भी इंसानों को डराते हैं, उन्हें काटते हैं. वरना ऐसे भी कई शहर हैं जहां इंसान और कुत्ते सामंजस्य से रहते हैं. न इंसान कुत्तों को छेड़ते हैं और न कुत्ते उन्हें परेशान करते हैं.

- नागालैंड को ले लीजिए. वहां कुत्ते ही इंसानों से डरते हैं. वो इसलिए कि वहां के लोगों को कुत्ते का मांस बहुत पसंद है. आदिवासी ही नहीं शहरी लोग भी कुत्तों को पकड़कर मारते हैं और मांस पकाकर खाते हैं. एक किलो मांस की कीमत 300 रुपए से भी ज्यादा होती है.

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खैर कुत्तों का आदमखोर होना या फिर उनका इंसानों को डराना और काटना, इस बात पर भी निर्भर करता है कि उनके साथ व्यवहार कैसा होता है. कुत्ते अगर ऐसे हैं तो उसके पीछे असल वजह इंसान हीं हैं. नगर निगम अपना काम करे, लोग अपने व्यवहार में सुधार लाएं, तो शायद कुत्तों का व्यवहार खुद ही बदल जाएगा.

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