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Updated: 20 नवम्बर, 2018 05:01 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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विदेशों से कई बार ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें हिंदू देवी-देवातों का अपमान दिखता है. कभी जूतों पर भगवान राम की तस्वीर उकेर दी गई, तो कभी टॉयलेट सीट पर भगवान गणेश की तस्वीर छाप दी गई. एक बार फिर से कुछ ऐसा ही हुआ है, जिससे हिंदू धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. इस बार अमेरिका के एक नाइट क्लब के टॉयलेट में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें लगी हुई पाई गई हैं. अमेरिका के ओहियो में रहने वाली भारतीय मूल की अंकिता मिश्रा कुछ सप्ताह पहले न्यूयॉर्क के एक पब House of Yes में गई थीं, जहां उन्होंने ये देखा. जब अंकिता ने वहां के टॉयलेट में भगवान गणेश, शिव, मां सरस्वती और मां काली की तस्वीरें लगी देखीं तो उन्होंने इसे लेकर इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट किया. उसके बाद उन्होंने पब को भी इस बारे में लिखा. आइए जानते हैं उन्होंने अपने पत्र में क्या लिखा.

हिंदू, भगवान, अमेरिकाबाथरूम में लगी हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें देखकर अंकिता को बहुत दुख हुआ.

अंकिता ने यह पत्र पब को लिखा, लेकिन किसी एक व्यक्ति के नाम पर नहीं लिखा. उन्होंने पत्र की शुरुआत में ही लिखा है कि यह पत्र उसके लिए है, जिससे यह मामला जुड़ा हुआ हो (To Whom it May Concern). अंकिता ने इसे लेकर एक ब्लॉग लिखा है, जहां पर पूरी जानकारी दी है. अपने पत्र में अंकिता ने लिखा है-

आधी अमेरिकी होने के साथ-साथ एक अलग रंग की महिला होने चलते मैं सार्वजनिक रूप से चुप रही, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे. हालांकि, House of Yes पब के बारे में अपना अनुभव फेसबुक और इंस्टाग्राम पर शेयर करने के बाद मुझे लगता है कि मैं सीधे आपसे इसे लेकर बात करूं. मुझे यकीन है कि House of Yes वह जगह है, जहां पर मेरी बात को सुना जाएगा और जहां पर बेहतरी के लिए कुछ बदलाव किया जा सकता है.

पिछले शनिवार, 29 सितंबर को मैं Endless Summer में आई थी. करीब एक दशक से ब्रूकलिन की निवासी होने के चलते मैं अक्सर ही अपनी बारटेंडिंग की शिफ्ट खत्म होने के बाद House of Yes पब में आती हूं. यहां पर मैंने बहुत से खूबसूरत लम्हे जिए हैं. मैं यहां डेट के लिए आई हूं, अपने पार्टनर के साथ अक्सर डांस किया है, दोस्तों के साथ भी अक्सर यहां डांस करने आती हूं. मुझे हमेशा इस बात को लेकर गर्व होता है कि इस क्लब के प्रति मेरा आकर्षण कितना अधिक है.

लेकिन शनिवार रात को मुझे गर्व नहीं हुआ. मैं वहां एक ग्रुप के साथ गई हुई थी, जिन्होंने बॉटल सर्विस टेबल ली थी, जो बार के किनारे की तरफ थी. और क्योंकि वह एक मोटी रकम दे रहे थे, इसलिए मुझे डीजे बूथ के पीछे बने वीआईपी प्राइवेट बाथरूम को इस्तेमाल करने का मौका मिला. शुरुआत में जब मैंने टॉयलेट पेपर लेने के लिए हाथ उठाया तो इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि वहां महादेव की तस्वीर है, लेकिन जब धीरे-धीरे मैंने पूरे बाथरूम को देखा तो मुझे पता चला कि वहां गणेश, सरस्वती, ब्रह्मा, शिव, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी और काली की तस्वीरें लगी हुई थीं. मैं एक मंदिर जैसी जगह पर थी, लेकिन ये सब गलत था- मैंने जूते पहने थे और मैं पेशाब कर रही थी.

यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था. मैं एक इंडियन-अमेरिकन हूं. मैं इस स्थिति में पहले भी रही हूं, अनगिनत बार. मैं Rubin Museum of Art में एक टीचिंग आर्टिस्ट थी, जहां अक्सर ही मुझे मेरे कल्चर को लेकर लोगों की बातों का सामना करना पड़ता था. गलत धारणाओं से लड़ना और मेरे कल्चर के दुरुपयोग को लेकर मेरा संघर्ष रोज-रोज, नहीं, हर मिनट की बात हो गई है. लेकिन जब मैंने अपने कल्चर का इतना गलत तरीके से प्रदर्शन देखा तो मुझे झटका सा लगा. जो लोग कंफ्यूज हो रहे हैं, उनके लिए ये कुछ प्वाइंट हैं, जो बताएंगे कि बाथरूम में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाना गलत क्यों है-

1- स्वच्छता और शुद्धता भारतीय परिवारों में एक नियम की तरह है. भारतीय देवी-देवताओं को सम्मान देने के लिए यह सबसे जरूरी है, जिसे बचपन से ही सिखाया जाता है. आप भगवान को ऐसा फूल नहीं चढ़ा सकते है, जिसे आपने सूंघ लिया हो, आप मंदिर में जूते पहन कर नहीं जा सकते हैं. पेशाब करना, टॉयलेट करना और अन्य सभी चीजें जो नाइटक्लब के उस बाथरूम में हो रही हैं, वह गंदगी की कैटेगरी में ही आती हैं.

2- हिंदू धर्म शाश्वत विनाश में विश्वास नहीं करता है. इसमें किसी मिशन के तहत पूरी की पूरी सभ्यता को बदला भी नहीं गया है. इसका इतिहास ईसाई धर्म जैसा नहीं है. हिंदू धर्म में कोई रीफॉर्मेशन यानी सुधार का समय भी नहीं रहा है. मैं धरती पर रहने वाले हर दक्षिण एशियाई शख्स की बात नहीं कर रही, लेकिन मैंने लोगों को अपने धर्मों को मानने का एक जैसा नजरिया नहीं देखा है. इसलिए जो नियम ईसाई धर्म पर लागू होते हैं, वह जरूरी नहीं कि हिंदू धर्म पर लागू हों. आप अपने कल्चर के नियमों को किसी दूसरे कल्चर पर थोप नहीं सकते हैं. यह तो सिर्फ किसी चीज को गलत तरीके से दिखाना और उस पर अधिकार जताने की कोशिश करने जैसा है, जो आपका है ही नहीं.

3- हिंदू, बौद्ध और दक्षिण एशियाई कल्चर का पश्चिमी देशों द्वारा बार-बार शोषण किया गया. कभी इसे आध्यात्मिक जागृति का नाम दिया गया तो कभी यौन अन्वेषण का. हमारा कल्चर अपने आप को ढूंढ़ने के लिए आपका टिकट नहीं है. भारत करीब 200 सालों तक अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम रहा. मैं इस बात से परेशान हूं कि आखिर बिना जानकारी वाला अमेरिका उसी हुकूमत के जैसा कैसे हो सकता है. क्या आपको लगता है कि आप कभी उस योगा क्लास में होते, अगर उसे परफेक्ट तरीके से पैकेज करके आपको नहीं दिया गया होता?

4- हो सकता है कि कुछ लोगों को ऐसा लगे कि मैं नाइट क्लब में एक रात के तत्काल ज्ञान से ये बातें कह रही हूं. गलत. तांत्रिक बौद्धवाद, हिंदूवाद से काफी अलग है और हर हालत में उन देवी-देवाओं की तस्वीरों को गलत जगह लगाया गया है.

5- मैंने यह सिर्फ इसलिए देखा, क्योंकि मैं प्राइवेट बाथरूम में गई थी, जिसे उन लोगों के लिए रिजर्व रखा जाता है, तो 600 डॉलर से भी अधिक रुपए Grey Goose की बोतल के लिए देते हैं. मैं यह समझ सकती हूं कि Buddakan रेस्टोरेंट में हर रोज बहुत से ग्राहक आते होंगे और उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि एक पूरे कल्चर और धर्म का स्तर सिर्फ उनकी बोर्ड मीटिंग्स के लिए कितना गिरा दिया गया है.

6- मैंने 3 दिन तक यही सोचा कि आखिर किन वजहों से कोई ऐसी गलती कर सकता है. बात सिर्फ इतनी है कि उस वक्त किसी ने ये नहीं सोचा कि मेरे जैसा कोई शख्स इसे देखेगा तो उसे कैसे लगेगा. जैसे ही मैं टॉयलेट पर बैठी, मुझे लगा कि क्या मेरा कल्चर एक बार फिर से खतरे में है और उसे अमेरिकी लोग अपने इस्तेमाल की चीज समझते हैं.

नवंबर में मैं अपने माता-पिता के पास दिवाली मनाने जाने वाली हूं, एक त्योहार, जिसमें हर उस भगवान की पूजा होती है, जिसे आपने अपने बाथरूम में लगाया हुआ है. यह एक सक्रिय धर्म है, जिसे मानने वाले बहुत हैं. मैं चाहती हूं कि बाथरूम को तोड़ दिया जाना चाहिए. हो सकता है कि मेरे माता-पिता सही के साथ खड़े होने की हिम्मत नहीं कर सके हों, लेकिन उनकी बेटी होने के नाते मुझमें वो हिम्मत है. आपका मिशन स्टेटमेंट समावेशिता, सकारात्मकता और सुरक्षा की बात कहता है. कृपया मुझे मेरी ताकत पर भरोसा खोने पर मजूबर ना करें. हम सभी को कुछ गलत चीजों को सही करना होगा और एक-दूसरे की बात को सुनना होगा.

अगर आपने इस पत्र को अंत तक पढ़ा है तो मैं इसे पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद करती हूं.

नमस्ते,

अंकिता मिश्रा

हिंदू, भगवान, अमेरिकापब ने अंकिता मिश्रा से माफी मांगी.

अब ये बात तो हम सभी जानते हैं कि बिना किसी एक शख्स का नाम लिए कोई पत्र लिखने पर जवाब मुश्किल ही मिलता है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. अंकिता को पब की तरफ से जवाब आया, जिसमें उन्होंने अंकिता से माफी मांगी. क्लब ने अपने पत्र में लिखा-

हाय अंकिता,

मेरा नाम Kae Burke है. मैं Anya की पार्टनर और House of Yes की को-फाउंडर/क्रिएटिव डायरेक्टर हूं और मैं ही हूं, जो बाथरूम में देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाने के लिए जिम्मेदार है. मैंने ही उस बाथरूम की ऐसी सजावट करवाई.

मैं आपसे माफी मांगती हूं कि मैंने बाथरूम को सजाने से पहले उस कल्चर पर अच्छे से रिसर्च नहीं किया, जिससे मैं इतना प्रभावित थी. मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि आपको House of Yes में आपके कल्चर के प्रति अपमान देखने को मिला.

मैंने आपकी बात को अच्छे से सुना और समझा है और जितनी जल्दी हो सकेगा, उतनी जल्दी हम बाथरूम को तोड़कर दोबारा डिजाइन करेंगे. हैलोवीन के तुरंत बाद यह कर दिया जाएगा. अगर आप चाहें तो तब तक के लिए हम सभी तस्वीरों पर पेंट कर सकते हैं.

मैंने आपके ईमेल का हर शब्द दो बार पढ़ा और मैं आपको धन्यवाद करना चाहती हूं कि आपने अपने ईमेल के जरिए बहुत सारी जानकारी हमें दी और हम पर भरोसा किया कि हम आपकी बात को सुनेंगे.

अगर आप इस पर कुछ बात करना चाहें तो आप इन हमारे फोन नंबर xxxxxxxxxx पर कॉल कर सकती हैं.

एक बार फिर आपका धन्यवाद,

Kae

अपने पत्र का जवाब मिलने के बाद अंकिता को इस बात की खुशी तो थी कि उनकी बात सुनी गई और गलती के लिए उनसे माफी मांगी गई, लेकिन वह थोड़ा दुखी भी हैं. दरअसल, Kae ने उनसे वादा किया है कि वह बाथरूम की दीवारों पर पेंट करा देंगी. उन्होंने अब फैसला किया है कि वह बाथरूम की दीवारों पर मानवाधिकारों के लिए लड़ने वालों और महिलाओं की बात रखने वालों की तस्वीरें लगाएंगी. इस पर अंकिता सोच रही हैं कि आखिर देवी-देवाओं की तस्वीरें लगाने या फिर मानवाधिकारों के लिए लड़ने वालों और महिलाओं की बात रखने वालों की तस्वीरें लगाने में क्या फर्क है. वह कहती हैं कि आखिर किन चीजों को बाथरूम में लगाया जा सकता है, उसे लेकर क्या नियम हैं? अकिंता कहती हैं- मेरी मां बचपन में मुझे हमेशा कहती थीं कि आवाज उठाओ, लेकिन वह हल्के से मुस्करा भी देती थीं. मैंने अपने माता-पिता को पूरी जिंदगी अंग्रेजों की गुलामी करते ही देखा है, लेकिन उसके बदले उन्हें सम्मान नहीं मिला. अब उनकी हाइब्रिड बेटी होने के नाते मैं अपने माता-पिता के लिए ये सब करूंगी और भगवान से प्रार्थना करूंगी कि मेरे जैसे कुछ और भी लोग हों.

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