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Updated: 20 मई, 2018 11:09 AM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए रेलवे ने एक नया तरीका निकाला है. अब North Eastern Railway (NER) की तरफ से ट्रेन के डब्बों में महिलाओं के लिए महिला पुलिस (रात में) और डब्बों में पैनिक बटन की व्यवस्था की जाएगी.

रात के समय महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए महिला पुलिस और 24*7 पैनिक बटन जो गार्ड कोच से लिंक होगा ये एक अच्छी पहल कही जा सकती है.

ये बटन उन जगहों पर लगाए जाएंगे जहां महिला यात्रियों के लिए पहुंचना काफी आसान हो. जैसे इलेक्ट्रिक स्विचबोर्ड के ऊपर. जब इन्हें दबाया जाएगा तब सीधे गार्ड के पास उस कोच की सूचना पहुंच जाएगी जहां कोई महिला परेशानी में है. रेलवे स्टाफ को भी इसकी जानकारी तुरंत दी जाएगी.

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अभी तक महिला यात्रियों को हेल्पलाइन नंबरों पर निर्भर रहना पड़ता था या फिर कॉल, एसएमएस या ट्वीट कर या फिर चेन पुलिंग कर किसी भी घटना से खुद को बचाना होता था. ये पूरे प्रोसेस में काफी लंबा समय लगता था, लेकिन अब पैनिक बटन इस समय को घटा देगा और मदद जल्दी पहुंच पाएगी. महिलाओं की सुरक्षा के लिए अन्य कदम भी उठाए जाएंगे जैसे महिला कोच के लिए अलग रंग, महिला कोच में खिड़कियों पर तार लगाए जाएंगे.

ऐसा माना जा रहा है कि इनमें से पैनिक बटन वाला सिस्टम इस साल के अंत तक ही प्रोसेस में आ जाए. अगर महिला सुरक्षा की ही बात करें तो हम कह सकते हैं कि भारतीय रेलवे का ट्रैक रिकॉर्ड इसके लिए कुछ अच्छा नहीं है. कई बार महिलाओं के लिए ट्रेन में स्थिती खराब हो जाती है. अगर सिर्फ रेलवे द्वारा किए कामों की ही बात करें तो जितना सजग रेल मंत्रालय ट्विटर पर रहता है उतना असल में नहीं और सुरक्षा की हालत राम भरोसे ही चल रही है.

अब पैनिक बटन एक तरह से अच्छा कदम कहा जा सकता है. मुंबई लोकल में महिला कोच में रात के समय हमेशा एक पुलिस वाला रहता है. ये वाकई सुरक्षा के लिए बेहतर है. कई बार ऐसी खबरें आती रही हैं जहां महिलाओं के साथ ट्रेन में कोई न कोई गलत हरकत कर देता है. अगर ट्रेन में एक टीटी के साथ-साथ महिला पुलिस भी होगी तो कम से कम ऐसी हरकतों पर अंकुश लग सकेगा.

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लेकिन फिर भी अगर देखा जाए तो मौजूदा समय में ये कोशिशें नाकाफी लग रही हैं. अगर महिलाओं की सुरक्षा की चिंता है तो ट्रेनों में पुलिस वालों की नियुक्ति इतनी बड़ी बात नहीं. मुंबई इसका जीता जागता उदाहरण है कि कैसे महिलाओं को सुरक्षित रखा जा सकता है. मान लिया इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में वक्त लगेगा और पैनिक बटन जल्दी नहीं बन सकता, लेकिन इस साल पुलिस वालों को ट्रेनों में इम्प्लॉय करने का काम तो हो सकता है.

साल दर साल सुरक्षा को नजरअंदाज़ किया जाता है. 2018 में भी हमें इस बात के लिए सोचना पड़ रहा है कि आखिर ट्रेनों में सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या किया जाए. आखिर ये सही बात नहीं.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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