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Updated: 01 जून, 2016 05:52 PM
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अगर आप सोचते हैं कि अंग्रेजों के चले जाने के बाद हमारे देश में दास प्रथा खत्म हो चुकी है, तो जरा ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के आंकड़ों पर नजर डाल लीजिए. इन आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में करोड़ों लोग 'आधुनिक गुलामी' के शिकार हैं, और इनमें सबसे ज्यादा देश में ही हैं. मतलब दास प्रथा आज भी जारी है, लेकिन एक नये नाम का लबादा ओढ़े. आजकल के दास 'मॉर्डन स्लेव्स' या आधुनिक गुलाम कहे जाते हैं.  

दुनिया के अलग अलग देशों में लोगों के अधिकारों का कितना सम्मान होता है, उसी के आधार पर ये इंडेक्स तैयार किया जाता है. इसके अलावा बंधुआ मजदूरी, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन भीख मांगना, जबरन सशस्त्र संस्थाओं में झोंक दिया जाना, जबरन शादी भी आधुनिक गुलामी के दायरे में शामिल हैं. और इसी आधार पर तैयार किए गए global slavery index में भारत सबसे ऊपर है.

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 जबरन भीख मांगते और बाल मजदूरी करते बच्चे हैं हमारे देश के आधुनिक गुलाम

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आस्ट्रेलिया के मानवाधिकर समूह ‘वाक फ्री फाउंडेशन’ की तरफ से जारी 2016 ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार -

- दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों समेत 4 करोड़ 58 लाख लोग आधुनिक गुलामी के गिरफ्त में है.

-  सभी 167 देशों में आधुनिक गुलाम पाए जाते हैं. लेकिन इसमें शीर्ष पांच देश एशिया के हैं. यानि दुनिया भर के आधुनिक गुलामों में से 58% सिर्फ एशिया में रहते हैं, और भारत इसमें सबसे ऊपर है.

- भारत की करीब 1 अरब 30 करोड़ की आबादी में, 1 करोड़ 83 लाख 50 हजार लोग आधुनिक गुलाम हैं.

- भारत के बाद चीन (33 लाख 90 हजार), पाकिस्तान (21 लाख 30 हजार), बांग्लादेश (15 लाख 30 हजार) और उज्बेकिस्तान (12 लाख 30 हजार) आते हैं है.

- पिछले दो वर्षों में भारत में आधुनिक गुलामों की संख्या बढ़ी है, वर्ष 2014 में भारत में 1 करोड़ 40 लाख गुलाम थे. यानी पिछले दो वर्षों में भारत के 43 लाख 50 हज़ार लोग गुलाम बन गए.

- दुनिया के 167 देशों में आधुनिक गुलामी पाई गई है।

- जनसंख्या के अनुपात में लग्जेम्बर्ग, आयरलैंड, नॉरवे, डेनमार्क, स्विटजर्लैंड, ऑस्ट्रिया, स्वीडन और बैल्जियम में सबसे कम लोग गुलाम हैं.

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जबरन वेश्य़ावृत्ति और जबरन शादी भी आधुनिक गुलामी के दायरे में आते हैं

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भारत अग्रेजों से तो आजाद हो गया, लेकिन आज भी यहां के लोग गुलामी में जीवन बिता रहे हैं. और इन्हें गुलाम बनाने वाले बाहर से नहीं आए, यहीं के हैं. लोगों के पास आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं, पेट भरने की मजबूरी के चलते लोग बच्चों को बचपन से ही काम पर लगा देते हैं. बाल मजदूरी, सेक्स स्लेव और बच्चों से भीख मंगवाना, ये सब ढके-छुपे बिंदास चल रहा है, और सपना भारत के विश्व गुरू बनने का देखा जा रहा है. इन आंकड़ों से भारत की वो तस्वीर दुनिया के सामने आई है जो भयावह है. यहां गुलाम देश नहीं, बल्कि देश में रहने वाले लोग हैं. जिस दिन इन लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने की आज़ादी मिल जाएगी उसी दिन समझा जाए कि देश आजाद है.

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