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Updated: 14 दिसम्बर, 2021 07:47 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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इस तस्वीर को देखकर मन सिहर सा जाता है. ये दोनों फोटो एक ही लड़की की है. जिसके पति ने उस पर इतने जुर्म किए कि उसका ये हाल कर दिया. ये तस्वीर इस महिला की दास्तां खुद बयां कर रही है.

दिल को कचोटने वाली यह घटना ग्वालियर (Gwalior) की है. जहां पति ने अपनी पत्नी को 4 साल तक कमरे में बंधक (husband hostage wife) बनाकर रखा और उसके साथ जुर्म की सारी हदें पार कर दीं. उसने अपनी पत्नी को इतना प्रताड़ति किया कि वह 25 की उम्र में 50 की दिखने लगी. पति और ससुराल वालों ने लड़की को भरपेट खाना तक नहीं दिया, नतीजन वह कुपोषण की शिकार हो गई और अब उसे आखिरी स्टेज का टीबी (Tuberculosis) है.

ऐसी खबरें देखने सुनने के बाद मन करता है कि आरोपी को 2-4 थप्पड़ तो जड़ ही दें. साथ ही उन मायके वालों के ऊपर भी गुस्सा आता है जो बेटियों की शादी के बाद उन्हें भूल जाते हैं. जरा सोचिए, शादी के 4 साल तक बेटी पर जुर्म होता रहेगा और मायके वालों को खबर तक नहीं लगी, क्यों? क्या वे बेटी का हाल-चाल लेने उससे कभी मिलने नहीं गए या फिर फोन कर हाल नहीं जानना चाहा. 4 साल से बेटी अपने मायके नहीं गई औऱ किसी को कोई शक नहीं हुआ?

अब 4 साल बाद बेटी के बंधन होने की खबर मां को मिली तो उसने अपनी बेटी को उस कैदखाने से मुक्त करवाया. अब जाकर पत्नी ने अपने पति के खिलाफ दहेज एक्ट का मामला दर्ज किया है. अब जब वह मरने की कगार पर है. उसकी जिंदगी के 4 साल नर्क में बिता दिए. आखिर बेटी का हाल जानने में मां ने इतना लेट क्यों कर दिया. मन में सवाल उठता है कि क्या मां अपनी बेटी का हाल जानकर भी अनजान थी, क्योंकि महिलाओं को तो यह सब सहना ही पड़ता है. ऐसा तो है नहीं कि इसकी शुरुआत अचानक से हो गई हो.

Husband hostage wife in Gwalior, Gwalior, Gwalior husband, woman, hostage by husbandइस तस्वीर को देखकर मन सिहर सा जा रहा है

साल 2018 में सोनिया की शादी गुलफाम से हुई तो दहेज रूप में मायके वालों ने बाइक दिया. कुछ महीनों बाद गुलफाम ने वह बाईक बेच दी और फिर सोनिया के उपर मायके वालों से दूसरी बाइक मांगने का दबाव बनाने लगा. सोनिया ने दहेज का विरोध किया और मायके वालों से बाइक मांगने से इनकार कर दिया. आरोप है कि धीरे-धीरे पति ने सोनिया को प्रताड़ित करन शुरु कर दिया.

उसने सोनिया को मारना-पीटना शुरु कर दिया. सोनिया मानसिक और शारीरिक रूप से टॉर्चर होती रही. सोनिया को एक कमरे मे बंधक बना दिया गया. पति उसे सुबह-शाम सिर्फ काम करने के लिए कमरे से बाहर निकाला जाता. उसे पेट भर खाना भी नहीं मिला... जुर्म की हद देखिए कि पति काम पर जाने से पहले सोनिया को बंधक बनाकर जाता. लगभग 4 साल तक सोनिया ऐसे ही प्रताड़ित होती रही.

इसी बीच उसने एक बेटे और एक बेटी को भी जन्म दिया. एक दिन जब पति कहीं बाहर चला गया तब किसी तरह उसने अपनी मां को खबर भेजी, मां पहुंची तो बेटी का हाल देख हैरान रह गई, क्योंकि इसकी हालत मरने के कगार पर थी. पति को पता था कि सोनिया को टी.बी है लेकिन उसने उसका इलाज तक नहीं कराया.

बेटी को विदा करते समय मां को यह सिखाना चाहिए कि अगर ससुराल वाले जुर्म करें तो चुप मत रहना. हमारे यहां तो बेटियों को बचपन से यह सिखाया जाता है कि तुम्हें दूसरे घर जाना है, तुम पराई हो, काम नहीं सीखोगी तो घर कैसे संभालोगी. सदियों से यही परंपार निभाई जा रही है कि डोली मायके से उठती है और अर्थी ससुराल से...इसलिए वह अपने ससुराल में चुप रहकर सबकुछ सहती रहे, मुंह ना खोले.

कई लोग तो बेटियों की शादी करके उन्हें भूल ही जाते हैं. पति उनपर जुर्म करे लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए, क्योंकि यह पति-पत्नी के बीच की बात है. पति लोग तो ऐसे होते ही हैं. पत्नियों को घर चलाने के लिए बहुत कुछ सहना पड़ता है.

मायके वाले यह क्यों नहीं कहते कि बेटी जिस दिन तुझे ससुराल में तकलीफ हो अपने घर आ जाना...यह तेरा घर है और हमेशा रहेगा. तू पराया धन नहीं है. साल दो साल बाद बेटी घर आए तो ठीक वरना कोई बात नहीं. मायके वाले मान लेते हैं कि ससुराल की उसका संसार है और वह अब पूरी तरह वहीं की हो गई है. शादी के बाद मायके से फोन आते हैं. फोन पर भी घर संभालने, सास की सेवा करने और पति को खुश रखने की बातें की जाती हैं.

मायके वाले पूछते हैं कि सास कैसी है? यह बहुत कम ही लोग पूछते हैं कि बेटी तू कैसी है, नए घर को मैनेज कैसे कर रही है, तू खुश है भी या नहीं. उनका साफ कहना होता है कि अब तेरी शादी हो गई है और ससुराल के लोग तेरी जिम्मेदारी है. अब तू खुद को भूलकर ससुराल को संभालने में लग जा. दूसरी बात दहेज लोभी का मन तो कभी भरेगा नहीं ऐसे में बेटी की शादी ऐसे घर करते ही क्यों हैं?

दहेजलोभियों की डिमांड तो बढ़ती ही जाएगी. बेटी बोझ नहीं होती, यह बात आखिर लोग कब समझेंगे? अभी हरियाणा में इसलिए एक शादी टूट गई क्योंकि लड़कों वालों ने दहेज में फॉर्च्यूनर कार और 20 लाख रूपए मांगे थे. लड़की वालों ने पहले तो मनाया लेकिन जब वे नहीं माने तो पुलिस बुलाकर केस कर दिया अब आखिरकार लड़कों वालों ने सार्वजनिक रूप से मांफी मांग ली है. बस यही रवैया अपनाने की जरूरत है, दहेजलोभी खुद ही सुधर जाएंगे...शुरुआत कोई भी कर सकता है और इसमें कोई बदनामी की बात नहीं.

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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