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Updated: 22 दिसम्बर, 2016 05:16 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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अफसोस होता है कि हमारे सारे इमोशन्स किसी सेलिब्रिटी के बच्चे के लिए ही उमड़ते हैं. उन बच्चों की तस्वीरें 'हाउ क्यूट' और 'सो स्वीट' हैशटैग के साथ शेयर की जाती हैं. एक नाम की बदौलत भले ही करीना कपूर का बेटा आते ही ट्रेंड करने लगा हो, लेकिन नाम के अलावा भी बहुत कुछ होता है बच्चे की जिंदगी में, जो उसपर असर डालता है. सैलिब्रिटी के बच्चों की एक झलक के लिए मचलने वालों, जरा देश के बाकी बच्चों की तस्वीरों पर भी नजर डालो. नाम के अलावा बच्चे की ज़िंदगी पर ये 5 मुद्दे तैमूर लंग से भी ज्यादा घातक सिद्ध होते हैं.

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शिशु मृत्यु दर- जब कोई बच्‍चा जन्‍म लेगा तब तो उसका नाम रख पाएंगे न? हमारे देश में पैदा होने वाले हर 1000 में से 63 बच्चे जी ही नहीं पाते. इनमें से करीब 47% बच्चे जन्म के पहले महीने में ही मर जाते हैं. शिशु मृत्यु दर के ज्यादा होने के बहुत से कारण हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात ये कि महिलाओं को डिलिवरी के वक्त सही देखभाल और उचित इलाज नहीं मिलता. इन महिलाओं की देखभाल करीना की तरह भले न की गई हो, लेकिन कई गर्भवती महिलाओं को न्‍यूनतम देखभाल भी हासिल नहीं है.

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  पैदा होने वाले हर 1000 में से 63 बच्चे जी ही नहीं पाते

और दूसरा कारण है कि बच्चों का ठीक से वैक्सिनेशन नहीं हो पाता. पर आप चिंता न करें क्योंकि सैफ और करीना का बेटा तो सैलिब्रिटी किड है, उसे नामी अस्पताल के साथ-साथ ए-1 सुविधाएं मिल रही हैं. और तो और वैक्सिनेशन की याद दिलाने के लिए तो डॉक्टर्स ही इनके आगे पीछे घूमेंगे. जबकि बाकी देश में माता-पिता बनने वाले कई लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं होती. 

कुपोषण- ईश्‍वर तैमूर को खूब सेहतमंद रखे, लेकिन यूनिसेफ के मुताबिक भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. दक्षिण एशिया में कुपोषण के मामले में भारत सबसे बुरी हालत में है. 3 साल से कम उम्र के 46% बच्चे अपनी उम्र से छोटे लगते हैं.

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  हर साल कुपोषण से दस लाख से भी ज्यादा बच्चे मौत की नींद सो जाते हैं

शिक्षा- 6 से 14 साल के 20 % बच्चे आज भी स्कूल से वंचित हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 2014 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया में सबसे ज्यादा निरक्षर वयस्क भारत में ही हैं. कारण बच्चों को समान अधिकार न मिल पाना. देश में राइट टू एजुकेशन होने के बावजूद कई स्‍कूल गरीब बच्‍चों को ए‍डमिशन देने में ऐसे हिचकिचाते हैं मानो किसी तैमूर लंग को ही एडमिशन दे रहे हों.

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 6 से 14 साल के 20 % बच्चे आज भी स्कूल नहीं जाते

बाल मजदूरी- सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत में ही पाए जाते हैं. भारत के 12.6 मिलियन बच्चे किसी न किसी काम से जुड़े हुए हैं. ज्यादातर गरीब मां-बाप आमदनी के लिए बच्चों को प्राइमरी शिक्षा भी पूरी नहीं करने देते और काम पर लगा देते हैं. सोचिए, इनका नाम तो तैमूर नहीं था न?  

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 सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत में ही पाए जाते हैं

चाइल्ड ट्रैफिकिंग/अवैध व्यापार-

हमारे देश में बच्चों से मजदूरी कराने के लिए, घरों में काम करवाने के लिए, जल्दी शादी करवाने के लिए और यौन शोषण करने के लिए बच्चों का अवैध व्यापार किया जाता है. 40% सेक्स वर्करों का कहना है कि उन्हें 18 साल से पहले ही इस धंधे में धकेला गया था.

भारत के 53% बच्चे किसी न किसी तरह यौन शोषण के शिकार होते हैं. छोटे बच्चों के साथ बलात्कार और प्रताड़ना की खबरें आजकल आम हैं. तो बताइए, ऐसा करने वालों को नाम तो तैमूर नहीं रहा होगा न?

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 भारत के 53% बच्चे किसी न किसी तरह यौन शोषण के शिकार होते हैं

तो अगर किसी को तैमूर नाम से नफरत है, तो उन सभी कारणों का नाम तैमूर रख दीजिए, जिन्‍होंने हमारे देश के बच्‍चों से उनका बुनियादी हक छीन लिया है. ऐसे बेकार के मुद्दे पर लड़ने वालों को भूख से मरते बच्चों के पीठ से चिपके पेट नहीं दिखते, सड़कों पर भीख मांगते बच्चों क नंगे पैर नहीं दिखते, घरों में झाड़ू कटका करने वालों की आंखों में पढ़ाई के ख्वाब नहीं दिखते. और न ही आप यौन शोषण से जूझ रहे बच्चों के दर्द पर बौखलाते हैं. मगर बात सैलिब्रिटी किड की हो तो आप सबसे ज्यादा एक्टिव नजर आते हैं.

तो अगर आपको भारत के इन पिछड़े हुए बच्चों के नाम मालूम हैं, तभी सैफ और करीना के बच्चे के नाम पर डिस्कशन करें. अगर आप भारत के इन बच्चों बारे में नहीं सोच सकते तो सैफ और करीना के बच्चे के बारे में सोचने का आपको कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि करोड़ों रुपये कमाने वाले इन सैलिब्रिटीज़ को न तो आपकी ट्रॉलिंग से कोई फर्क पड़ता है और न आपकी राय से.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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