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Updated: 01 अगस्त, 2018 10:38 AM
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गायों को लेकर गौ रक्षा और गौ तस्करों में मारपीट के विवाद के बीच खबर आई है कि राजस्थान में गौ मूत्र पीनेवाले पांच साल में डेढ़ सौ गुना तक बढ़ गए हैं और दूध से 3 गुना ज्यादा दामों पर राज्य में गौमूत्र बिक रहा है. राजस्थान में गौमूत्र से सैकड़ों औषधियां और कृषि सामग्री बनाई जा रही है.

सज गया है गौमूत्र का बाजार

जयपुर के बाजार में आजकल गौमूत्र और गाय के मूत्र से बने दूसरे सामानों की दुकानें दिख रही हैं. इन दुकानों पर बड़ी संख्या में लोग गौमूत्र खरीदने आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से मोटापा, डायबिटीज, दिल की बीमारी और पेट संबंधी रोगों के लिए लोगों ने बड़ी संख्या में गौमूत्र पीना शुरू कर दिया है. दुकान पर 1 लीटर गोमूत्र की कीमत ₹130 है. गोमूत्र की तुलना में अगर दूध का दाम देखें तो 40 से लेकर 50 रुपए लीटर तक गाय का दूध मिल रहा है. गोमूत्र के अलावा दुकानों पर कैंसर और दूसरे असाध्य रोगों की दवाएं भी बिक रही हैं जो गाय के मूत्र से बनी हैं. इस तरह की 77 तरह की दवाएं गोमूत्र से तैयार हो रही हैं. दुकानदार बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों में ग्राहकों की संख्या बढ़ी है.

gomutraएक लीटर दूध 50 रुपए और एक लीटर गौमूत्र130 रुपए

लोगों को मिल रही है निरोगी काया

जयपुर के दुर्गापुरा गौशाला में कई लोग ताजा दूध लेने पहुंचते हैं तो कई लोग सुबह-सुबह ताजा मूत्र पीने ग्लास लेकर पहुंचते हैं. एक ऐसे ही गौमूत्र सेवक शिवदत्त शर्मा हैं जो कहते हैं कि रोजाना के एक ग्लास गौमूत्र के सेवन ने उन्हें कभी बीमार नहीं होने दिया. लेकिन इसमें भी देसी विदेशी का फर्क है. यहां केवल देसी गाय का मूत्र ही बिकता है. विदेशी और जर्सी गायों के मूत्र को बीमारी बताया जाता है.

नीरज सिंह राजावत गौमूत्र विक्रेता हैं. ये कहते हैं कि गौमूत्र अमृत को समान होता है. पीते ही नया जीवन और आरोग्य देता है. बड़ी संख्या में कैंसर के मरीज पीते हैं और कैंसर प्रतिरोधी दवाई के रूप में इसका प्रयोग होता है. निरोगी काया और पुनर्जन्म के लिए इससे उत्तम कुछ भी नहीं है.

सिर्फ पीने के लिए नहीं, हर तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है गौमूत्र

लोग गौमूत्र पी ही नहीं रहे हैं, बल्कि खाने में भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. पानी की जगह कुछ लोग खाना पकाने में गौमूत्र का प्रयोग कर रहे हैं. गौमूत्र को एंटीसेप्टिक यानी रोगाणु रोधी, एंटी पार्टिकल यानी ज्वरनाशी, एंटीफंगल यानी कवक रोधी, एंटीबायोटिक यानी प्रतिजीवाणु कहा जा रहा है.

खेती में प्रयोग करने के लिए खाद और दवाइयों में भी गौमूत्र से बनी हुई सामग्री की मांग बढ़ी है. देवी सिंह गौमूत्र खाद विक्रेता हैं. कहते हैं यूरिया का सबसे अच्छा साधन है गौमूत्र की खाद. बाबा कामदेव की कंपनी पंचाली तो लोगों को भावनात्मक रूप से गौमूत्र के प्रयोग करने की अपील कर रही है. बाबा सीधे-सीधे दिन में सैकड़ों बार अलग-अलग चैनलों पर प्रचार कर रहे हैं कि गौ माता को कत्लखाने में जाने से बचाने के लिए गौमूत्र से बना फिनाइल अपनाएं.

gomutraगौमूत्र की मांग बढ़ने लगी है

दिन दूनी रात चौगनी तरक्की कर रहा है ये व्यापार

दुर्गापुरा की फैक्ट्री में रोजाना करीब 2000 लीटर गोमूत्र तैयार हो रहा है जिसे गर्म करके अमोनिया निकालकर, पैक कर बाजार में भेजा जाता है. बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो ताजा गौमूत्र पीने के लिए गौशाला आते हैं. उनका कहना है कि रोजाना के गौमूत्र सेवन से उन्हें रोगों से मुक्ति मिली है.

अगर हम पिछले 13 साल के गौमूत्र की बिक्री के आंकड़े देखें तो 2005 में पूजा पाठ के लिए 80 हजार रूपए तक की बिक्री राजस्थान में होती थी, लेकिन आजकल एक करोड़ रुपए से ज्यादा की बिक्री हर महीने हो रही है. पिछले साल तक गौमूत्र की खपत करीब 50 हजार लीटर के आसपास थी लेकिन इस साल 5 लाख लीटर हो गई है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी संख्या में लोग गौमूत्र का सेवन कर रहे हैं.

रोजगार भी दिला रहा है गौमूत्र

गौमूत्र की बिक्री के साथ ही गाय पालने वालों की संख्या भी बढ़ रही है क्योंकि दूध के अलावा गौमूत्र का फायदा लोगों को मिल रहा है. अक्षय पात्र फाउंडेशन तो गौमूत्र को लेकर यह प्रचारित कर रहा है कि वेद के अनुसार गीर गाय के मूत्र में स्वर्ण भस्म मिलता है. हरे कृष्णा मूवमेंट के राधाप्रिय दास जो इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं वो कहते हैं कि गीर गाय के स्वर्ण ऊष्म के प्रयोग से मानव बलिष्ठ बनता है.

गौमूत्र का धंधा बढ़ने से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है. गौशाला के आस-पास के गांव में गौशाला वालों ने गांव वालों को रोजगार दिया है. सुबह-सुबह गौमूत्र इकट्ठा करके लाएं. यह गोमूत्र 25 से 30 रूपए लीटर गौशाला को लोग बेचते हैं. एशिया की सबसे बड़ी गौशाला माने जाने वाले पथमेड़ा गोशाला ने तो हजार किसानों को गौ मूत्र कलेक्शन के लिए जोड़ रखा है. पथमेड़ा गौशाला के लड़के-लड़कियां सुबह-सुबह बाल्टी लेकर गोमूत्र इकट्ठा करते हैं.

गौमूत्र में कितना स्वर्ण भस्म मिल रहा है ये तो पता नही. लेकिन गौमूत्र बनाने वाली कंपनियों को कुबेर का खजाना हाथ लग गया है.

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