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Updated: 07 अगस्त, 2018 09:44 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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अपनी अनोखी कांवड़ यात्रा से हर साल पब्लिक को भौचक्का कर मीडिया के DSLR का अटेंशन पाने वाले गाजियाबाद के गोल्डन बाबा फिर एक बार चर्चा में हैं. अपने भक्तों के अलावा 21 लक्जरी कारों और 20 किलो सोने के साथ कांवड़ यात्रा के लिए निकले हैं. बाबा को इस तरह सोने में लदा देख मुझे अपने हाई स्कूल के दिन याद आ गए. तब की सरकार अब की सरकारों की तरह रहमदिल नहीं थी. तो बहुत पढ़ना पड़ता था. पहला पेपर हिन्दी का था अलंकार और उसके प्रकार पढ़ रहा था. गुजरे तीन सालों के क्वेश्चन बैंक ने कहा था कि, कुछ पढ़ो न पढ़ो पेपर के लिए यमक अलंकार जरूर पढ़ना. पढ़ा तो कबीर के दोहे के रूप में उसका एक उदाहरण मिला. दोहा था...

कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय,

या खाए बौराए जग, वा पाए बौराए.

गोल्डन बाबा, कांवड़ यात्रा, आस्था, अंधविश्वास, भक्ति  गोल्डन बाबा का ये रूप ऐसा है जो किसी भी आम आदमी को भौचक्का कर सकता है

अर्थ तब समझ नहीं आया था. मगर आज जब इस बरसों पहले पढ़े दोहे के साए में "गोल्डन बाबा" को देखा तो अर्थ समझ आ गया कि हो न हो कबीर ने ये दोहा निश्चित तौर पर गोल्डन बाबा के लिए ही लिखा था. गोल्डन बाबा ट्रेंड में हैं. जब से कांवड़ यात्रा शुरू हुई है चर्चा तो बस गोल्डन बाबा की ही है. हां, सवाल वाजिब है कि कौन गोल्डन बाबा? और इन्होंने क्या किया. चर्चा का दौर चलता रहेगा. मगर उससे पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर ये गोल्डन बाबा हैं कौन? ये बाबा बने कैसे और इनकी उपलब्धि क्या है? तो साहेबान, कद्रदान, मेहरबान अगर सोना पहनने को लेकर म्यूजिक डायरेक्टर बप्पी लहरी सोने की गुमटी या ठेला है तो गोल्डन बाबा को एसी लगा शो रूम कहना गलत न होगा.

गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर कुमार मक्कड़ है. किसी जमाने में इनका राजधानी दिल्ली में कपड़ों का बिजनेस था. राम जाने क्या हुआ मक्कड़ साहब का इस मायावी दुनिया से मोह भंग हो गया. इनको देखकर सबसे दिलचस्प बात ये है कि, भले ही दुनिया से इनका मोह भंग हो गया हो. मगर अभी तक ये माया से अपना पीछा नहीं छुड़ा पाए हैं और अपने वजन का चौथाई सोना पहने हैं. आपको बताते चलें कि कल के मक्कड़ साहब और आज के गोल्डन बाबा पिछले 25 सालों से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं और ये 2018 की यात्रा इनकी यात्राओं की सिल्वर जुबली है.

बात अगर इसपर हो कि इस बार बाबा ने क्या किया और कितना सोना पहना है? तो इसका जवाब बस इतना है कि इस बार बाबा के शरीर पर 25 सोने की चेन हैं जिनमें प्रत्येक कम से कम 500 ग्राम वजनी है. इसके साथ ही 21 सोने के लॉकेट, सोने के दस्तबंद और रोलेक्स की हीरों वाली घड़ी है. इतना सोना कैसे आया? इस पर बाबा का कहना है कि उनपर भगवान की कृपा है जिस कारण उनका सोना हर साल बढ़ रहा है.

गोल्डन बाबा, कांवड़ यात्रा, आस्था, अंधविश्वास, भक्ति सिक्योरिटी मिली है तो क्या हुआ बाबा को भी अपनी सुरक्षा की चिंता सताती होगी

एक ऐसे देश में जहां किसी महिला से उसकी कनपटी पर कट्टा लगाकर 50 रुपए जोड़ी के नकली झुमके लूट लिए जाते हों. बाबा कितने ही बड़े संत और मोह माया से दूर हों उन्हें अपनी सिक्योरिटी की चिंता होगी ही. बाबा संग कोई अनहोनी न हो इसके लिए प्रशासन की तरफ से भी पुख्ता इन्तेजाम किये गए हैं. करीब 20किलो सोने के गहने पहने हुए गोल्डन बाबा बीते दिन कांवड़ लेकर साहिबाबाद पहुंचे. उन्होंने सड़क पर बिस्तर लगाकर रात गुजारी थी.

इस दौरान उनकी सुरक्षा किसी मंत्री से कम नहीं रही. एक इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर व आधा दर्जन से अधिक कांस्टेबल गोल्डन बाबा की सुरक्षा में रात भर मुस्तैद रहे. इतना ही नहीं, सीओ साहिबाबाद व अन्य अधिकारी भी उनकी सुरक्षा का जायजा लेने के लिए रात भर चक्कर काटते रहे.

गोल्डन बाबा, कांवड़ यात्रा, आस्था, अंधविश्वास, भक्ति  बाबा संत आदमी हैं मगर माया से पीछा नहीं छुड़ा पाए

बहरहाल अपने काफिले में खुद की बीएमडब्लू, तीन फॉर्च्यूनर, दो ऑडी और दो इनोवा और कभी कभी किराए पर हमर, जैगुआर और लैंड रोवर्स जैसी कारें रखने वाले गोल्डन बाबा सच में विचलित करने वाले हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ तो आदमी अपने को संत बता रहा है और दूसरी तरफ वो इतना वैभव से रह रहा है और एक आलिशान और कल्पना से परे जीवन जी रहा है.

गोल्डन बाबा के इस रूप को आस्था कहें या अंधविश्वास मगर उन्होंने कई अहम सवालों के जवाब खुद-ब-खुद दे दिए हैं. खैर सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा को देखकर हमें इस बात का भी एहसास हो गया है कि गोल्डन बाबा ही हमारी आस्था क आईना हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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