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Updated: 27 सितम्बर, 2018 04:36 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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लड़कियां जब बैठती हैं तो उनके बैठने में शालीनता होती है. यानी वो पैरों को आपस में जोड़कर या पैर के ऊपर पैर रखकर बैठती हैं. और लड़कों को देखें तो उनके बैठने के तरीके में ही मर्दानगी साफ नजर आती है. वो दोनों पैरों को खोलकर बैठने में अपनी शान समझते हैं.

खास बात ये कि सार्वजनिक जगहों पर यदि लड़कियां लड़कों की तरह बैठें तो उन्हें अशिष्ट और अश्लील कहा जाता है. लेकिन लड़कों के मामले में शिष्टता की बात ही नहीं होती. फिर चाहे उनके खुले पैर कितने ही अजीब क्यों न लगें.

manspreadingक्या पुरुषों का इस तरह बैठना अजीब नहीं लगता??

पुरुषों के इस तरह बैठने को 'मैनस्प्रेडिंग(manspreading)' कहा जाता है और 'चूंकि वो पुरुष हैं इसलिए उनके लिए ये नॉर्मल है' इस सोच को gender agression कहा जाता है. लेकिन एक लड़की ने लड़कों की इसी हरकत का जवाब देने का तरीका खोज लिया है, जिससे पुरुषों को अब डरने की जरूरत है.

manspreadingपैर फैलाकर बैठने वाले पुरुषों का यही इलाज है

रूस में लॉ की पढ़ाई करने वाली 20 साल की एना डोवगल्युक (Anna Dovgalyuk) एक सोशल एक्टिविस्ट भी हैं, जो ट्रेन में सफर कर रहे उन लड़कों की बैंड बजा रही हैं जो पैर खोलकर बैठते हैं. एना ने बोतल में पानी और ब्लीच मिला रखी है और जब भी उन्हें कोई लड़का इस तरह बैठा दिखाई देता है वो उसके पैरों के बीचो बीच पानी डाल देती हैं. उन्होंने ऐसा करते हुए वीडियो बनाया जो इस समय वायरल हो रहा है.

अब पानी तो समझ में आता है, लेकिन सवाल ये कि ब्लीच क्यों?? तो जवाब हिला देने वाला है. वो ब्लीच इसलिए इस्तेमाल करती हैं कि कपड़े के जिस हिस्से पर ब्लीच वाला पानी गिरेगा कुछ ही मिनटों में उस जगह से कपड़े का रंग उड़ जाएगा. और वो कपड़ा अगर दोबारा पहना गया तो लोगों को लगेगा कि उस जगह कुछ तो हुआ है. और निगाहें वहीं टिक जाएंगी. एना ने 30 लीटर पानी में 6 लीटर ब्लीच मिलाया.

manspreadingब्लीच के इस्तेमाल से कपड़ों का रंग उड़ जाएगा

हम अक्सर मेट्रो में कुछ लड़कों को इसी तरह बैठा हुआ देखते हैं. भले ही उन्हें वो गलत न लगे लेकिन आस पास या सामने बैठी किसी भी महिला को वो बेहद भद्दा दिखाई देता है. ऐसे में हर महिला वही करना चाहेगी जो एना ने किया. बल्कि एना का ब्लीच वाला आइडिया और बेहद कमाल का है. एना ये सब उस देश में कर रही हैं जहां के राष्ट्रपति खुद 'मैनस्प्रेडिंग' का इलजाम झेल चुके हैं. जी हां व्लादिमीर पुतिन पर हिलैरी क्लिंटन ये आरोप लगा चुकी हैं.

hillary, putinहिलैरी क्लिंटन ने रूस के राष्ट्रपति पर मैनस्प्रेडिंग का आरोप लगाया था

एना कहती हैं कि- 'पूरी दुनिया में ये सब हो रहा है लेकिन खत्म ऐसे ही होगा.' एना ने अपना वीडियो उन सभी मर्दों को समर्पित किया है जिनके लिए पैर खोलकर बैठना बेहद नॉर्मल है. वो कहती हैं- 'हमने न सिर्फ उनकी मर्दानगी को शांत किया है बल्कि कुछ निशान भी छोड़ दिए हैं'. हालांकि उनका ये भी कहना है कि अभी तक किसी पुरुष ने इस बात की शिकायत नहीं की है.

आपको याद होगा एना वही हैं जिन्होंने पिछले साल अपस्कर्टिंग कानून के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए एक वीडियो बनाया था जिसमें वो सार्वजनिक स्थानों पर अपनी स्कर्ट हटाकर खड़ी हो गईं थीं.

ये बात सिर्फ रूस तक सीमित हो ऐसा नहीं है, पुरुष प्रधान हैं, ये दिखाने में पूरी दुनिया का यही हाल है. हाव भाव, चलने फिरने, उठने बैठने, पहनने-ओढने के तरीके महिला और पुरुषों दोनों के लिए अलग-अलग हैं. जब एक तरीका महिलाओं के लिए गलत हो सकता है तो वही गलत तरीका पुरुषों के लिए ठीक कैसे हो सकता है. समाज में जो चलता आ रहा है वो चलता ही रहता है और चूंकि इसे कोई गलत नहीं कहता तो वो तौर-तरीके लोगों के लिए नॉर्मल हो जाते हैं. अब आप किसी पुरुष को ऐसा बैठने पर टोकेंगे तो वो आपसे ही सवाल करेगा क्योंकि उसके लिए ऐसा बैठने में 'गलत क्या है??'.

पुरुष गालियां देते हैं तो नॉर्मल है, महिलाएं देती हैं तो अश्लीलता है. पुरुष कपड़े खोलकर कहीं भी बैठ सकते हैं, महिलाएं छोटे कपड़े पहने तो अश्लीलता है. पुरुष शराब पिएं तो नॉर्मल है, महिलाएं पिएं तो बिगड़ी हुई है. हम बराबरी की बात करते हैं, जबकि सच तो ये है कि पुरुष खुद को महिलाओं से श्रेष्ठ ही दिखाने में अपना पुरुषत्व संतुष्ट करता है. बराबरी की लड़ाई महिलाओं के लिए आसान नहीं है.   

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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