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Updated: 10 अक्टूबर, 2020 03:13 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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दुनिया का कोई भी कोना हो, प्रायः ये देखा गया है कि जब कहीं पर शादी होती है तो प्रायः वर वधु के लिए खुश होते हैं. उनकी समृद्धि और खुशहाली के लिए उन्हें आशीर्वाद मिलता है. उनके फलने फूलने की दुआ की जाती है. ध्यान रहे बड़े बूढ़ों या फिर समुदाय का आशीर्वाद तब ही मिलेगा जब विवाह 'वर वधु' के बीच हो. सीधे शब्दों में कहें तो विवाह समारोह के लिए एक लड़के और एक लड़की का होना जरूरी है. यदि लड़का-लड़का हुए या लड़की-लड़की यदि ये लोग आपस में शादी कर रहे हैं तो मामला उलट है. देश तो छोड़ दीजिए विदेश तक में आदमी की लंका लग जाती है और उसे तमाम तरह के विरोध का सामना करना पड़ता है. हमारी बातों पर न यकीन हो तो सात समुंदर पार अमेरिका में जो शादी हुई उसे ही देख लीजिए. अमेरिका में हुई इस शादी में 'कपल' दो लड़के हैं और विवाद की जड़ कपड़े और उन कपड़ों को देखकर एक समुदाय बना है जिसने जो बातें कहीं हैं वो 21 वीं सदी के इस दौर में विचलित करने वाली हैं.

Karnataka,Marraige, Lesbian, Gay, Culture, America, Oppose अमेरिका में हुई वो शादी जिसने कर्नाटक के एक समुदाय के लोगों को आहत  कर दिया है 

अमेरिका में हुए समलैंगिक विवाह (gay wedding) ने कर्नाटक के कोडावा समुदाय को खासा आहत किया है. कारण बनी है कोडावा समुदाय की परंपरागत ड्रेस जो उस शादी में लड़के ने पहनी थी. बता दें कि कोडावा समुदाय से ताल्लुख रखने वाले और पेशे से डॉक्टर शरथ पोनप्पा ने बीते दिनों ही कैलिफोर्निया में अपने दोस्त संदीप दोसांझ के साथ शादी की है. शरथ जहां कर्नाटक से हैं तो वहीं संदीप नार्थ इंडियन हैं. कोई 20 साल पहले शरथ कर्नाटक छोड़कर अपने परिवार के साथ अमेरिका गए थे तब से वो वहीं के हो कर रह गए. एक पुरुष से शादी करने वाले शरथ ने शादी अपने परिवार की उपस्थिति में कोडावा रीति रिवाजों के तहत की है.

इंटरनेट पर जो तस्वीर उनकी वायरल हुई है उसमें अमेरिका जैसे देश में रहने के बावजूद शरथ ने कोडावा समुदाय के कपड़े पहने हैं और यही बात विवाद की वजह बनी है. कर्नाटक के कुर्ग जिले में कोडावा सामुदाय के लोग शरथ और उनके परिवार की तीखी आलोचना कर रहे हैं. आरोप लग रहे हैं कि परिवार ने ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जो समुदाय की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है.

इस विवाह के मद्देनजर इस शादी और परिवार के विरोध में मडिकेरी कोडवा समाज के अध्यक्ष केएस देवैया ने इस गुस्ताखी पर अपने तर्क देते हुए कहा है कि समुदाय इस "ईशनिंदा" अधिनियम के लिए पोनप्पा को निष्कासित और बर्खास्त करेगा. उन्होंने कहा है कि इस तरह की चौंकाने वाली बात अतीत में कभी नहीं हुई है. यह हमारे समुदाय और हमारी मान्यताओं का अपमान है. हम इस तरह की बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते. समलैंगिक विवाह एक बात है और समलैंगिक विवाह को पवित्र करने के लिए पवित्र कोडावा पहनना दूसरी बात है. हम इसके ख़िलाफ़ हैं.

वहीं कोडावा समुदाय के एक अन्य नेता ने कहा है कि इस घटना ने पूरे कबीले को 'शर्मिंदा' और अपमानित किया है.

बहरहाल इस मामले में अभी पोनप्पा की तरफ़ से कोई टिप्पणी नहीं आई है और न ही उनके परिजनों ने इस बारे में कोई बात नहीं की है. चूंकि विवाद की जड़ समुदाय के कपड़े बने हैं तो बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब समुदाय और कपड़े चर्चा में आए हैं. बात गुजरे साल की है कुर्ग के एक पांच सितारा होटल ने ये कपड़े अपने गेस्ट को पहनाए थे और उसके बाद विवाद हो गया था. मामले ने कुछ इस तरह तूल पकड़ा कि बाद में होटल को समुदाय से सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी.

ज्ञात हो कि पूरी दुनिया में इस समुदाय के करीब 3 लाख लोग है जिनमें से एक बड़ी आबादी आज भी कर्नाटक स्थित अपने पैतृक गांव में है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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