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Updated: 12 अगस्त, 2018 04:49 PM
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चीन की सबसे भव्य मस्जिद पर शामत आई Hui है. उसे गिराने का फरमान जारी कर दिया गया है. उसका कुसूर सिर्फ इतना है कि बनाने वालों ने उसके डिज़ाइन में मिडिल-ईस्ट की बाकी मस्जिदों की तरह गुम्बद और मीनारों को प्रमुखता दी है. और यही बात चीन की सरकार को चुभ गई. चीन सरकार का कहना है कि इस मस्जिद का डिज़ाइन चीन की सभ्यता से मेल नहीं खाता. यदि मस्जिद बनाना भी थी तो उसका आकार बौद्ध पगोडा (प्रार्थना-स्थल) की तरह होना चाहिए. ये बिल्कुल वैसा ही है, जैसे भारत में कोई सरकार कहे कि यहाँ की मस्जिदों में गुम्बद की बजाए अब मंदिरों की तरह शिखर होंगे.

चीन के पश्चिमी प्रान्त में उइगर मुसलमान पर चीन के दमन का इतिहास पुराना है, लेकिन इस विवाद में मस्जिद से जुड़ा ये ताजा प्रकरण नई दिशा ले रहा है.

चीन के Hui प्रांत में हजारों की तादात में मुस्लिम एक मस्जिद को बचाने की तैयारी कर रहे हैं. कारण? वही जो पहले बताया गया. वीइझू मस्जिद (Weizhou Grand Mosque) अब बहस का मुद्दा बन गई है और इसकी वजह है इस मस्जिद का डिजाइन. 

चीन, मुस्लिम, मस्जिद, हुई मुस्लिमवो मस्जिद जिसे तोड़े जाने का आदेश था

हॉन्ग कॉन्ग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने स्थानीय सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. निंगसिया (Ningxia) स्वायत्त प्रांत के वीइझू शहर में यह प्रदर्शन हाल के दिनों में सबसे बड़ा टकराव था. दरअसल, चीन इस्लामीकरण और अरबीकरण के बढ़ते ट्रेंड को लेकर चिंतित है और वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार इसके खिलाफ अभियान चला रही है.

चीन में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं और करीब 23 मिलियन की आबादी है. निंगसिया प्रांत में इस्लाम एक अहम धर्म रहा है और सदियों से यही होता आया है. जिस मस्जिद की बात हो रही है उसमें कई मीनारें हैं और गुम्बद हैं. इसे मिडिल ईस्टर्न शैली में बनाया गया है.

सदियों से Hui मुस्लिम मस्जिद चीनी सभ्यता के अनुसार बनाए जा रहे थे, लेकिन मौजूदा मस्जिद ऐसा नहीं रहा और इसलिए शायद स्थानीय सरकार को लगने लगा कि इससे चीनी इस्लाम का अरबीकरण हो रहा है.

कैसे शुरू हुआ विरोध?

3 अगस्त को इसके खिलाफ एक नोटिस लगाया गया कि मस्जिद को बनाने से पहले जरूरी पर्मिट नहीं लिया गया है और इसलिए इसे तोड़ दिया जाएगा.

इस नोटिस को ऑनलाइन Hui मुसलमानों ने शेयर किया. कई लोगों ने सवाल किया कि जब ये बनाया जा रहा था तब इसे क्यों नहीं रोका गया? इसे बनने में दो साल लगे हैं. अगर इसके लिए पर्मिट नहीं था तो उसी समय रोक देना था.

इसके बाद आने वाले गुरुवार से इसके खिलाफ विरोध शुरू हो गया जो अब तक चल रहा है. चीनी सोशल मीडिया पर इस विरोध प्रदर्शन की कई तस्वीरें भी पोस्ट की गईं.

इसका विरोध अब जनता बनाम सरकार की शक्ल ले चुका है और इस मस्जिद को बचाने के लिए लोग एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार लोकल इस्लामिक असोसिएशन का कहना है कि पूरा मस्जिद नहीं तोड़ा जाएगा. उसे रेनोवेट किया जाएगा ताकि उसे बदला जा सके.

प्रशासन ने 8 गुम्बद तोड़ने की बात कही है. पर ये मुस्लिम समुदाय के हिसाब से नहीं है और समाज के लोग इसके खिलाफ हैं. विरोधकर्ताओं का कहना है कि ये मस्जिद हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है और इसे बनाया भी डोनेशन से गया है.

क्या चीन में अपने धर्म को मानने की है आजादी?

अगर कागजी तौर पर बात करें तो चीन के संविधान में लिखा है कि किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म को मानने की आजादी है, लेकिन अगर असलियत की बात करें तो चीन में सरकार द्वारा इसे कंट्रोल किया जाता है. उदाहरण के तौर पर चीन में इसाई चर्चों की छतों पर से क्रॉस हटा दिए गए थे. सरकार का कहना था कि इससे प्लानिंग रूल्स का उलंघन किया जा रहा है.

साथ ही मुसलमानों को मस्जिदों में गुम्बद लगाने की इजाजत नहीं है. इस तरह के नियम यदाकदा चीनी सरकार लगाती रहती है जिससे ये जाहिर होता है कि चीन में भले ही सभी को अपने धर्म निभाने की आजादी हो, लेकिन ये कैसा होगा ये सरकार तय करेगी.

दिलचस्प ये है कि जो पाकिस्तान भारतीय मुसलमानों को लेकर टिप्पणी करता रहता है, वो चीन की सरकार के इस कदम पर मौन है. हालांकि, पाकिस्तान के अखबार डॉन ने इस खबर को छापा है, लेकिन साथ ही यह जानकारी भी दी है कि मुसलमानों के विरोध के कारण मस्जिद को गिराए जाने का फैसला अभी टाल दिया गया है. पाकिस्तान के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान तो अपने पहले भाषण में चीन पर फिदा नज़र आए हैं. ये समझ लेना चाहिए कि सियासत एक ऐसी मजबूरी है जिसमें नेता अपनी सुविधा से आंख खोलते और बंद करते हैं. जब दुनिया के मुस्लिम हज की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में चीन के मुस्लिम एक मस्जिद बचाने की.

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