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Updated: 02 अप्रिल, 2017 05:20 PM
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सुरक्षा के हिसाब से भारत ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी स्मार्ट टनल में आपदा प्रबंधन का पुख्ता इंतजाम किया गया है. आतंकी हमले की स्थिति में 90 सेकेंड में सुरक्षा बल स्पॉट पर पहुंच जाएंगे और चार मिनट के अंदर आतंकियों का सफाया हो जाएगा. ये सुरंद जम्मू-कश्मीर को सुरक्षा देने के साथ आर्थिक मजबूती की हैसियत से भी काफी मददगार साबित होगी. इसी के साथ, ये जम्मू कश्मीर को भारत जोड़े रखने के नजरिए से भी अहम कदम साबित होगी. देश की सबसे लंबी चेनानी नाशरी सुरंग जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर बनकर तैयार है. इस सुरंग को देश की सबसे स्मार्ट सुरंग भी कहा जा रहा है.

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यह है इसकी खासियतें..

* इस सुरंग के चालू होने के बाद से जम्मू से श्रीनगर के बीच की दूरी 31 किलोमीटर कम हो जाएगी.* सुरंग के माध्यम से जाने पर सालान 99 करोड़ यानी रोजाना 27 लाख रुपए के ईंधन की बचत होगी.* यह भारत की पहली सुरंग होगी जिसमें ‘इंटीग्रेटेड टनल कंट्रोल सिस्टम’(आईटीसीआर) लगाया गया है. मतलब इसमें हवा के आवागमन, अग्निशमन, सिग्नल, संचार और बिजली की व्यवस्था स्वचालित तरीके से काम करेगी.* सुरंग में लोगों को हवा मिलती रहे इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है. हर 100 मीटर पर हवा के लिए अरेंजमेंट्स हैं.* इसमें 120 से ज्यादा सीसीटीवी लगाए गए हैं, जिनमें हर कैमरे की दूरी 75 मीटर है.* आईटीसीआर आपात स्थिति में सुरंग के अंदर मौजूद कर्मचारियों से संपर्क करके समस्या का निदान करेगा.* आपात स्थिति में यात्री इन आईटीसीआर को हॉट लाइन की तरह उपयोग कर सकेंगे और मदद के लिए उन्हें इसे खोलकर बस “हैलो” बोलना होगा.* सुरंग में हर 150 मीटर पर एसओएस बॉक्स लगे हैं जिनमें फर्स्टएड का सामान और कुछ जरूरी दवाएं भी होंगी.* सुरंग में सुरक्षा को पुख्ता इंतजाम हैं और इसके बरबरी में दो टनल गुजर रहीं है. अपात स्थिति में सुरंग में बने 29 रास्तों से सुरक्षा टनल में पहुंचा जा सकता है.* सुरंग से गुजरने के लिए कार वालों को टोल टैक्स के रूप में 55 रुपए, छोटी बसों को 90 रुपए जबकि बड़ी बसों या ट्रकों को क्रमशः 190 और 285 रुपए देने होंगे.* सुरंग में नेटवर्क का भी पूर बंदोबस्त है और यात्री इसके भीतर से गुजरने के दौरान भी अपने मोबाइल से कॉल कर सकेंगे.* इस सुरंग को बनाने में जहां 6 साल का समय लगा वहीं इसकी लागत 3720 करोड़ रुपए आई है. * इस सुरंग के बनने के बाद जम्‍मू और श्रीनगर के बीच सफर के लिए लगने वाले समय में करीब ढाई घंटे की कमी आएगी. * अगर कोई दुर्घटना होती है तो टनल के साथ एस्केप टनल बनाया गया है. इस टनल से ही यात्रियों को बाहर निकला जाएगा.* टनल में आयल टैंकर या फिर गैस टैंकर को चलने की इजाजत नहीं होगी.* टनल के बीच एसओएस बनाए गए हैं. इनमें कोई भी समस्या आने पर यात्री तुरंत यहां बटन दबाकर कंट्रोल रूम को सूचित कर सकता है.* टनल पूरी तरह से मानव रहित होगी और इसका पूरा संचालन कंट्रोल रूम से होगा.* पर्यावरण को विशेष ध्यान रखा गया है. टनल के बाहर केवल स्वच्छ हवा ही जाएगी ताकि पर्यावरण प्रदूषित न हो.* टनल के आने और जाने का एक ही रास्ता है.* इसे बनाने में बारह हजार टन स्टील और पैंसठ लाख सीमेंट की बोरियां इस्तेमाल हुई हैं.* इस सुरंग को बनाने में कुल 1,500 इंजिनियरों, जियोलॉजिस्ट्स और श्रमिकों की मेहनत लगी है.* इस सुरंग में दो ट्यूब्स हैं. ये दोनों रास्ते 29 क्रॉस पैसेजों की मदद से आपस में जुड़े हुए हैं. हर एक पैसेज 300 मीटर की दूरी पर है.* इस सुरंग के अंदर पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है. अगर सुरंग के अंदर कोई गाड़ी खराब हो जाती है, तो उस स्थिति में ये पार्किंग स्पॉट्स बहुत काम आएंगे.

इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि जिन कश्मीरी युवाओं के हाथों में पत्थर दिए जाते हैं, उसी कश्मीर के लिए पत्थरों और पहाड़ों को काटकर भारत के गर्व करने के लिए एक अद्भुत मिसाल तैयार कर दी गई है.

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लेखक

जगत सिंह जगत सिंह @jagat.singh.9210

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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