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Updated: 03 जनवरी, 2020 08:46 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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सेलिब्रिटी शेफ विकास खन्ना(Chef Vikas Khanna) की फिल्म The Last Color के ऑस्कर जाने की खबर सुनकर अगर आपके मन में भी ये सवाल कौंध रह है कि एक खाना बनाने वाला फिल्म कैसे बना सकता है? तो आप विकास खन्ना के बारे में जरा कम जानते हैं. विकास खन्ना जिनके नाम के आगे शेफ लगा हुआ है वो सिर्फ एक शेफ नहीं हैं बल्कि मिश्लिन शेफ हैं, दुनिया के Top 10 chef में से एक विकास भी हैं. इसके अलावा वो एक writer भी हैं और अब एक बेहतरीन डायरेक्टर बनकर भी दिखा चुके हैं. बेहतरीन इसलिए कि उनकी पहली फिल्म Oscar Awards के लिए चुनी गई है.

chef vikas khannaखाना ही नहीं फिल्में भी बेहतरीन बनाते हैं शेफ विकास खन्ना

फिल्म का नाम है The Last Colors और ये फिल्म विकास खन्ना की किताब की एक कहानी पर ही आधारित है. फिल्म में मुख्य किरदार निभा रही हैं नीना गुप्ता. फिल्म बनारस में रहने वाली विधवा औरतों की जिंदगी पर आधारित है. शेफ विकास खन्ना ने ऑस्कर्स की लिस्ट शेयर करते हुए इसे Miracle of belief कहा है.

ये फिल्म यूएसए के 30वें पाम स्प्रिंग्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 4 जनवरी 2019 को रिलीज की गई थी. लेकिन भारत में अभी तक रिलीज नहीं हो पाई है. लेकिन मुंबई फिल्म फेस्टिवल 2019 में इसकी स्क्रीनिंग रखी गई थी. फिल्म को  डलास इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला था.

यानी ये व्यक्ति जो भी बनाता है कमाल ही करता है. खाना बनाया तो मिशलिन, और फिल्म बनाई तो ऑस्कर! विकास खन्ना यूं ही खास नहीं हैं, बल्कि विकास खन्ना का जीवन इतनी कहानियां समेटे है कि अगर उन्हें एक साथ रखा जाए तो उनपर ही एक बेहतरीन फिल्म बन सकती है. उनके जीवन की खास बातें ये बताने के लिए काफी हैं कि शेफ विकास खन्ना आखिर क्यों इतने सफल हैं.

शेफ विकास खन्ना का अपना रेस्ट्रां जुनून न्यूयॉर्क में है जिसे मिशल्न स्टार से सम्मानित किया जा चुका है. वो पूरी दुनिया में खाने के मामले में भारत का प्रतितिधित्व करते हैं. खास इतने हैं कि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका टूर पर गए थे जहां पूरी दुनिया से Fortune 500 CEOs पहुंचे थे, उस खास मौके पर शेफ विकास खन्ना को उनके लिए खाना बनाने के लिए चुना गया था. भारत के 26 त्योहारों से एक एक चीज चुनकर विकास ने मेनू में रखी थी. जो उनकी रिसर्च का सार थी.

मुश्किलों से हार नहीं मानी

विकास खन्ना 1971 में अमृसर में पैदा हुए थे. ये वो दैर था जब भारत और पाकिस्तान में युद्ध चल रहा था. जब विकास पैदा हुए तो उनके पैर उल्टे थे जिसे देखकर डॉक्टरों ने कहा था कि वो कभी चल नहीं पाएंगे. लेकिन विकास की मां उन्हें दिल्ली लेकर गईं और उनका ऑपरेशन करवाया. तब भी चलने में उन्हें परेशानी होती थी, और जब लोग उनका मजाक बनाते थे तो उनकी मां कहती थीं कि 'विकास चलने के लिए नहीं बल्कि उड़ने के लिए पैदा हुआ है.'  

chef vikas khanna with motherअपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं शेफ विकास

संघर्षों से सीखा

विकास बचपन से ही घर की रसोई में मदद किया करते थे, और तभी से उन्हें खाना बनाने में रुचि जगने लगी. बचपन संघर्षों में बीता. बचपन में उनकी दादी अमृतसर की एक छोटी सी गली में पराठे बनाती थीं और वह अपनी मां के साथ उसे बेचा करते थे. विकास कहते हैं कि ‘मैंने कभी पैसों के लिए काम नहीं किया. आज भी मैं पैसों के लिए काम नहीं करता.’ हालांकि, शुरूआती संघर्ष में उन्होंने भटूरे सप्लाई करने से लेकर स्वेटर बनाने और बर्तन धोने तक का काम किया था.

'जुनून' यूं ही नहीं बना

दिल्ली में एक विदेशी शेफ के अंडर में काम करते थे, लेकिन वो उनसे बहुत चिड़ता था, एक दिन उस शेफ ने विकास के हाथ को जख्मी करने की कोशिश की. तब विकास को महसूस हुआ कि वो उनसे उनका गुरूर छीन रहा था. तब उन्होंने कसम खाई कि एक दिन वो कुछ बनकर दिखाएंगे. और न्यूयॉर्क में भारतीय खाने का रेस्त्राां 'जुनून' खोला गया जो दुनिया भार में जाना जाता है. शेफ विकास खन्ना के हाथों का जादू ऐसा चला कि उनकी लिखी cook book 'उत्सव' आज ओबामा, इंग्लैंड की महारानी, नरेंद्र मोदी, दलाई लामा, क्लिंटनस मार्क जकरबर्ग, पोप फ्रांसिस जैसे बड़े-बड़े लोगों के पास है.

chef vikas khannaअपनी किताब उन्होंने बड़े-बड़े लोगों को तोहफे में दी है

उनके विनम्र स्वाभाव ने जमीन से जोड़ रखा है

विकास की विनम्रता देखकर ये लगता ही नहीं कि वो इतने बड़े सेलिब्रिटी हैं. विकास इतने इमोशनल हैं कि एक मुस्लिम परिवार को सम्मान देने के लिए वो हर साल रमज़ान के महीने में एक दिन का रोज़ा रखते हैं. ये वो परिवार था जिसने 1992 के मुंबई दंगों में उनकी जान बचाई थी. दिसंबर 1992 में जिस वक्‍त दंगे भड़के विकास तब मुंबई के सीरॉक शेराटन में ट्रेनिंग ले रहे थे. कर्फ्यू की वजह से होटल का स्‍टाफ न तो बाहर जा पा रहा था और न ही अंदर आ पा रहा था. एक दिन उन्‍होंने सुना कि घाटकोपर में दंगों की वजह से हालात बेकाबू हो गए हैं और कई लोग घायल हो गए हैं. तब उन्‍हें घाटकोपर में रहने वाले अपने भाई की चिंता हुई और वो वहां जाने के लिए निकल पड़े. रास्‍ते में उन्‍हें एक मुस्लिम परिवार ने आगे न जाने की सलाह दी और उन्‍हें घर के अंदर कर लिया. तभी उस परिवार के घर में भीड़ आ धमकी और उनसे पूछने लगे कि ये लड़का कौन है. तब परिवार ने भीड़ को बताया, 'ये हमारा बेटा है.' फिर भीड़ वहां से चली गई.

भारत से भावनात्मक जुड़ाव

विकास ने वेटिकन सिटी जाकर पोप को भी अपने हाथों से बना खाना खिलाया है. विकास कहते हैं- पहले पोप ने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया था, पर मैंने मुंबई की एक तस्वीर उन्हें भेजी. ये तस्वीर सड़क पर काम कर रही एक मुस्लिम महिला की थी, जिसके हाथों में सेंटा क्लॉज की तस्वीर थी. तस्वीर के साथ मैंने लिखा था, ‘केवल भारत ऐसा देश है, जहां जीवन के हर हिस्से जन्म से लेकर मौत तक का जश्न मनाया जाता है. धर्म हमारे लिए छोटा मसला है.’ इस तस्वीर को देखने के बाद पोप ने उन्हें तुरंत बुलाया.

शेफ विकास खन्ना वो हैं जो आसमान में उड़ते हैं लेकिन पैर हमेशा जमीन पर ही टिके रहते हैं और रहते ये लोगों के दिलों में हैं. शेफ की जिंदगी से जुड़ी बातें किसी को भी इंस्पायर करने के लिए काफी हैं. ईश्वर ने सिर्फ उनके हाथों में ही नेमत नहीं बख्शी, बल्कि उन्हें जीवन में इतना कुछ दिया कि वो अपने अनुभव भी साझा करते हैं तो लोगों का भला हो जाता है. यूं ही कोई विकास खन्ना नहीं बनता.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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