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Updated: 16 नवम्बर, 2017 04:26 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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योग एक बार फिर से लोगों की जुबान पर है और सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. फेसबुक और ट्विटर के इस दौर में बहुत सी चीजें और बातें रोजाना ट्रेंड में आती हैं और फिर ये चर्चा का विषय बनती हैं. प्रायः ये देखा गया है कि लोगों के इन पर दो तरह के मत होते हैं एक सकारात्मक, दूसरा नकारात्मक. जो लोग सकारात्मक के पक्ष में होते हैं वो इसके गुण बताते हैं जो इसे नकारात्मक समझते हैं, जाहिर है, वो ऐसे - ऐसे तर्क लेकर आते हैं जिनको काट पाना या काटने का प्रयास करना केवल और केवल अपना समय बर्बाद करना है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिसने किसी चीज या किसी बात को बुरा मान लिया है वो आपके लाख दावे के बावजूद उनकी नजर में खराब रहेगी.

सकारात्मक मत और नकारात्मक मत वाली इस बात को समझने के लिए 'योग' से बेहतर उदाहरण और कुछ नहीं हो सकता. जो इसके पक्ष में हैं उनका मानना है कि ये व्यक्ति को निरोग करता है, व्यक्ति इससे स्वस्थ रहता है. वहीं जो इसके विरोध में हैं वो इसे अमूमन, किसी विशेष धर्म से जोड़ कर देखते हैं और जानकारी के आभाव में अजीब ओ गरीब तर्क देते हैं. खैर प्राचीन काल से भारतीय जनमानस के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला योग का एक बार फिर खबरों में है और चर्चा में आने का कारण ऐसा है जो किसी भी आम भारतीय के गर्व की वजह बन सकता है.

योग, मुस्लिम, कट्टरपंथ, इस्लाम    योग के लिए सऊदी की इस महिला ने जो किया वो प्रेरणा देने वाला है 

योग की ये खबर मुस्लिम राष्ट्र सऊदी अरब से जुड़ी हुई है. जिसने भारत में या कहीं भी योग का विरोध करने वाले लोगों के मुंह में करारा तमाचा मारते हुए योग को एक स्पोर्ट्स एक्टिविटी माना है और इसका अप्रूवल दिया है. सरकार द्वारा योग को अप्रूवल मिलने के बाद अब सऊदी अरब में बैठा कोई भी व्यक्ति आसानी से योग कर सकता है और किसी को ये अधिकार नहीं कि वो उसकी इस गतिविधि पर किसी करह का कोई सवालिया निशान लगाए.

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. एक तरफ भारत में रहने वाले कुछ लोग जहां इसे गैर इस्लामिक बता रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं. वहीं सऊदी जैसे कट्टर इस्लामिक देश में योग को बिना किसी लाग लपेट के मिला अप्रूवल ये साफ बताता है कि अब लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति फिक्रमंद हैं और उस दिशा में काम कार रहे हैं. सऊदी में योग कैसे शुरू हुआ इस पर गौर करें तो मिलता है कि इसका पूरा श्रेय नोफ मारवाई नाम की महिला को जाता है. जिन्होंने अपनी बीमारी में योग किया और उन्हें फायदा पहुंचा.

अपने देश में योग को मान्यता दिलाना, नोफ मारवाई के लिए इतना आसन नहीं था. शुरूआती दौर में नोफ को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा जहां उन्हें धमकियां और उनके खिलाफ फतवे तक आए मगर उन्होंने हार नहीं मानी. ये नोफ मारवाई के प्रयासों का नतीजा है कि अब मुस्लिम देश सऊदी अरब में, योग को एक खेल के तौर पर आधिकारिक मान्यता मिल गई है. सऊदी अरब की ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने स्पोर्ट्स ऐक्टिविटीज के तौर योग सिखाने को आधिकारिक मान्यता दे दी है.

योग, मुस्लिम, कट्टरपंथ, इस्लाम    लोगों को ये समझ लेना चाहिए कि योग जीवन जीने की एक प्रणाली है जिसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है

अब सऊदी में रहने वाला कोई भी व्यक्ति सरकार से लाइसेंस लेकर जितनी आसानी से योग सिखा सकता है उतनी ही आसानी से लोग इसे सीख सकते हैं. बताया जा रहा है कि नोफ ये अपनी ये मुहीम 2005 में शुरू की और अंततः राजकुमारी रीमा बिंत बन्दर अल सऊद ने उनकी बात सुनी और सरकार को प्रस्तावित किया कि योग को देश में एक खेल का दर्जा दिया जाए.

बहरहाल, योग को लेकर सऊदी जैसी जटिल हुकूमत का ये प्रयास सराहनीय है और इसकी वाकई तारीफ होनी चाहिए. साथ ही अब उन लोगों को भी इस खबर से सबक लेना चाहिए जो हर एक चीज को धर्म के सांचे में रख के देखते हैं. अंत में इतना ही कि योग जितना किसी हिन्दू का है उतना ही किसी मुस्लिम का है. अब ऐसे में कोई उसे ये कहकर खारिज कर दे कि इससे उसका धर्म भ्रष्ट हो रहा है या फिर उसे उसके धर्म से खारिज कर दिया जाएगा तो वो समाज की नजरों में हंसी के पात्र के अलावा और कुछ नहीं बन पाएगा. और रही बात धर्म की तो धर्म भी यही बताता है कि उसे फॉलो करने वाला स्वस्थ रहे, पवित्र रहे और तमाम बीमारियों और बुराइयों से दूर, निरोग रहे. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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