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Updated: 01 जून, 2016 01:36 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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हाल ही में टीवी सीरियल 'देवों के देव महादेव' में पार्वती का किरदार निभाने वाली सोनारिका भदौरिया भी मॉरिशस छुट्टियां मनाने गईं थीं और उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी कुछ फोटो शेयर कीं.

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फोटो शेयर करते ही संस्कारों के ठेकेदार उन फोटोज पर टूट पड़े, और सोनारिका को अपशब्द कहने लगे, इतना ही नहीं अश्लील कमेंट्स भी दागे गए. ये सब सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि सोनारिका बीच पर थीं, और उस वक्त उन्होंने बिकनी पहनी हुई थी. उन्हें 'बेशर्म' कहा गया. उनसे कहा गया कि एक तरफ तो उन्होंने पार्वती का रोल निभाया और दूसरी तरफ बिकनी पहनी है.

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देवों के देव महादेव तीन साल तक चला था और दिसंबर 2014 में बंद हो गया था. लेकिन हमारे कथित 'संस्कारी' दर्शकों के दिमाग में सोनारिका अब भी पार्वती ही हैं. सीरियल खत्म होने के डेढ़ साल बाद भी. ये शायद सोनारिका के परिपक्व अभिनय का ही नतीजा है कि ये लोग इस बात को मानने को भी तैयार नहीं कि सीरियल में पार्वती जी का किरदार किसी इंसान ने ही निभाया था.

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लेकिन असल बात तो ये है कि इन लोगों ने धार्मिक भावनाओं का सहारा लेकर अपने मन की कुंठाओं को कमेंट्स में उतारा है. क्योंकि सोशल मीडिया पर चौबीसों घंटे एक्टिव रहने वाले ये नौजवान, रील और रियल लाइफ का फर्क अच्छी तरह से समझते हैं. किसी अभिनेत्री के बिकनी पहनने से कैसे इनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो जाती हैं. सिर्फ इसलिए कि वो अभिनेत्री एक सीरियल में देवी बन गई??

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पार्वती का किरदार निभाने वाली सोनारिका भदौरिया भले ही बेहद गंभीर किरदार में रही हों, लेकिन असल में वो महज 23 साल की एक बिंदास एक्ट्रेस हैं, जो इस सीरियल के खत्म होने के बाद, तमिल फिल्मों में काम कर रही हैं. अपने फिल्मी करियर में वो न जाने कितने ही किरदार निभाएंगी, कितनी ही बार बिकनी पहनेंगी, लेकिन किसी जमाने में उन्होंने पार्वती का रोल क्या कर लिया, अब वो इन सो कॉल्ड धार्मिक लोगों के लिए सर्टीफाइड देवी बन गई हैं. उनकी तस्वीरों पर इस तरह के कमेंट्स करके लोग क्या उनसे अब ये उम्मीदें कर रहे हैं कि वो हमेशा उसी छवि में दिखाई दें जैसे वो पार्वती का रोल निभाते वक्त थीं? क्या किसी भी एक्ट्रेस के लिए ये संभव है? कल को शायद वो ये चाहने लगें कि सोनारिका के होने वाले पति के हाथ में त्रिशूल और गले में नाग लिपटा होना चाहिए. और उनकी होने वाली संतान गणेश जी जैसी दिखनी चाहिए.

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तो अगर बिकनी देखकर किसी की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, तो कसूर बिकनी पहनने वाली का नहीं, उसे देखने वालों की नजरों का है, जो रील और रियल लाइफ में फर्क समझना नहीं चाहते. सोनारिका एक ऐक्ट्रस हैं जिन्हें कैसे रहना है, क्या पहनना है, इसका निर्णय करने वाली वो खुद हैं. वो अपनी एक्टिंग स्किल्स से सिर्फ लोगों को इंटरटेन कर रही हैं, इसका मतलब ये नहीं कि उनके लिए फैसले करने का अधिकार उन्होंने दर्शकों को दे दिया है.

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बहरहाल सोनारिका ने उन लोगों को करारा जवाब देते हुए लिखा है कि- ''नहीं जानती कि हम किस दुनिया में जी रहे हैं. वेस्टर्न कंट्रीज में लोग बॉडी शेमिंग के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और हमारे देश में लड़की का बिकिनी पहनना क्राइम हो गया है. कुछ देर पहले मैंने बिकिनी में फोटो पोस्ट की और चंद मिनटों में डिलीट भी कर दी थी, सिर्फ इसलिए क्योंकि लोग मुझे कोस रहे थे और शर्मिंदा कर रहे थे. हालांकि, मैं इसे इग्नोर कर सकती थी, लेकिन मुझे लगता है कि मैं इतनी मैच्योर नहीं हुई कि इतनी नेगेटिविटी झेल सकूं.''

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ये सोशल मीडिया की उपलब्धि है कि बेइज्जती करने के लिए इससे बड़ा प्लेटफार्म कोई नहीं है. हमारे देश में तो कोई रोकने वाला भी नहीं. चाहे पीएम को गाली दो या किसी क्रिकेटर को, लिविंग लेजेंड्स का अपमान करो, या फिर किसी हीरो को जीरो बना दो. और अगर किसी लड़की के कपड़े हों, तो उसपर कमेंट्स करने के लिए तो बिल्कुल आजाद हैं आप. 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के नाम पर ट्विटर और फेसबुक को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हो, लेकिन क्या किसी की बेइज्जती करने का अधिकार भी संविधान आपको देता है?

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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