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Updated: 02 अगस्त, 2017 09:49 PM
प्राप्ति एलिजाबेथ
प्राप्ति एलिजाबेथ
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आज की तारीख में भारत और रेप कल्चर शब्द एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं. जब भी हम रेप शब्द सुनते हैं या फिर इसके बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में पुरुषों का ख्याल आता है. साथ ही समाज के पितृसत्तात्मक रवैये और महिलाओं को कमजोर और पुरुषों को मजबूत बताने वाले संस्कार आंखों के सामने आते हैं. तो स्वाभाविक है कि रेप कल्चर पूरी तरह से भारतीय समाज की उपज है और इसके लिए दोष समाज को जाता है न की इसमें रहने वाले स्त्री या पुरुष को.

कहा जाता है कि समाज लोगों से बनता है और अगर समाज के लोग मिलकर अपनी सोच को बदल लें तो समाज भी बदल जाएगा. यही कारण है कि महिलाओं को कुछ चीजें जानने की जरुरत है जिसे आजतक वो गलत करती आ रही हैं. ऐसी चीजें जो जाने-अनजाने रेप कल्चर को बढ़ावा देती है.

rape, societyरेप को हम भी बढ़ावा देते हैं

1- अगर आप भी 'Men will be Men' कहकर समझौता कर लेती हैं तो आप दोषी हैं-

'Men will be Men'. इस एक वाक्य के साथ आप पुरुषों को हर भयानक काम करने के बाद सफाई से छूट जाने की इजाजत दे रही हैं. किसी भी तरह की शारीरिक, मानसिक या फिर भावनात्मक बदतमीजी को उनके जेंडर के कारण नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. मांओं को कभी भी अपनी शादीशुदा बेटियों को- 'मर्द तो कभी नहीं बदलते' कहकर किसी भी तरह की बदतमीजी बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं करना चाहिए. किसी भी महिला को इस तरह का व्यवहार सहन करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि हिंसा कभी भी प्यार दिखाने का जरिया नहीं हो सकती और इसको प्यार के नाम पर बढ़ावा देना एक तरह से ऐसी बदतमीजी को स्वीकार करना ही है.

फिर ये सही कैसे हो सकता है?

अगर आपने किसी महिला को अपने ऊपर हुए हिंसा के बारे में चुप्पी साधने के लिए कहा है तो फिर आपने रेप कल्चर को बढ़ावा दिया है

वास्तव में महिलाओं की एक पीढ़ी को इस तरह से बड़ा करने की ज़रूरत है जो ये मानती हो कि उसके माता-पिता की इज्जत लड़की की वर्जिनीटी पर निर्भर नहीं करती. जैसे ही हम किसी भी हिंसा पर चुप्पी साधने का फैसला करते हैं तो इसके साथ ही पीड़ित को ही दोषी करार दे देते हैं. उसके शरीर को उसके साथ हुई हैवानियत के लिए दोषी ठहराने लगते हैं. किसी हिंसा की पीड़ित को ही शर्मिंदा करना अपने आप में हैरान करने वाला है.

क्योंकि कोई भी औरत हिंसा का पात्र नहीं बनना चाहती. कोई भी औरत रात के अंधेरे में रेपिस्ट को अपना रेप करवाने के लिए खोजती नहीं फिरती है. लेकिन फिर भी कोई बेहूदा इंसान उसका रेप करता है. इसमें आखिर औरत का क्या दोष है? ये प्रथा तुरंत बंद होनी चाहिए.

जब कभी भी आप किसी पीड़ित से ये पूछती हैं कि घटना के समय उसने पहन क्या रखा था तो आप में कोई दिक्कत है

एक महिला की छोटी स्कर्ट का मतलब ये नहीं होता कि अपने साथ जबरदस्ती कराने में उसकी सहमति है, साथ ही न तो उसके लाल लिपस्टिक या फिर उसका बैकलेस टॉप ये इशारा देता है कि अपना रेप करवाने के लिए वो तैयार है. बार-बार यही बात चीख-चीख कर दुनिया को बताना कि कोई औरत क्या पहनती या नहीं पहनती है इससे किसी और को कोई मतलब नहीं होना चाहिए. तो इसलिए जैसे ही आप उससे ये पूछती हैं कि उसने क्या पहन रखा था तो न सिर्फ आपने उस लड़की की आजादी की धज्जियां उड़ा दी बल्कि अपने साथ हुई दुर्घटना के लिए उसे ही दोषी भी करार दे दिया. जाने-अनजाने आपने लड़कियों को क्या करना चाहिए क्या नहीं के ठप्पे को अपनी सहमति भी दे दी. अपनी इस सोच के लिए किसी तरह का बहाना बनाना बंद कीजिए.

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अपने एक्स ब्वॉयफ्रेंड को डेट करने वाली लड़की से नफरत करना भी रेप कल्चर को बढ़ावा देता है

यह एक बहुत ही बुनियादी बात है. हो सकता है कि आपके ब्वॉयफ्रेंड ने उसके लिए आपका साथ छोड़ दिया हो, हो सकता है कि शायद उसने आपको धोखा दिया हो, उसने और भी बहुत सारे ऐसे काम किए हो जिससे की आपका खून खौल उठे. लेकिन फिर भी सच्चाई यही है कि उसने ये सब किया. आपकी जिंदगी को बदतर बनाने के लिए उसने ये सारे काम किए. इसलिए उस लड़के की कारस्तानियों के लिए किसी लड़की को दोष देना और उससे नफरत करना आपकी संकीर्ण और पितृसत्ता को स्वीकार लेने की तरफ इशारा करती है.

ऐसी दुनिया में जहां अभी भी महिलाओं को पुरुषों के समान जगह देने की जद्दोजहद चल रही है, वहां एक औरत को दूसरी औरत के साथ खड़े होने की बहुत जरुरत है. पितृसत्ता को बढ़ावा देने वाली जिस सोच और संस्कार के साथ हमें बड़ा किया गया है उसे तोड़ने की जरुरत है. अगर हम औरतें ही एक-दूसरे के साथ खड़ी नहीं होंगी तो फिर दुसरों को कैसे साथ आने के लिए समझाएंगे?

(OddNaari से साभार)

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लेखक

प्राप्ति एलिजाबेथ प्राप्ति एलिजाबेथ @pbelizabeth

लेखिका किताबी कीड़ा हैं और खास तौर पर हैरी पॉटर फैन.

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