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Updated: 01 अक्टूबर, 2016 10:59 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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खून अपना हो या पराया हो

नस्ले-आदम का खून है आखिर

जंग मग़रिब में हो कि मशरिक में

अमने आलम का खून है आखिर

आक्रोश कितना भी हो, लेकिन जंग अच्छी नहीं होती, देश कोई भी हो लेकिन जंग सिर्फ दर्द देती है. क्योंकि जंग के बाद के नजारों में उजड़े हुए घर, खून और कफन दिखते हैं. सीरिया में जंग छिड़ी हुई है, आए दिन दिल को झकझोर देने वाली तस्वीरों से सामना होता है. पर ये नजारा इतना दुखी करने वाला था कि इसे टीवी पर बयां करते करते बीबीसी की न्यूज एंकर भी अपने आंसू रोक नहीं पाईं.

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 एक महीने की बच्ची को मलबे से निकाला गया

गुरुवार को सीरिया के इदलिब में एक इमारत पर बम गिरा, बचाव दल के एक सदस्य ने उस इमारत के मलबे से एक 30 दिन की बच्ची को बाहर निकाला. उस बच्ची को अपनी गोद में उठाए वो तेजी से एंबुलेंस की तरफ दौड़ा और उसे जीवित देखकर अपने आंसू रोक नहीं पाया.

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 बच्ची को जिंदा देखकर भावुक हो गया उसे बचाने वाला

सफेद हेल्मेट पहने इस शख्स का नाम अबू खलीफ है जिन्होंने दो घंटे तक मलबा खोदा और कड़ी मशक्कत के बाद इस बच्ची को वहां से बाहर निकाला और एंबुलेंस में बैठाकर उसे अस्पताल ले जाया गया.  

ये बेहद भावुक कर देने वाला वीडियो है. इसे जिसने भी देखा उसकी आंखें नम हो गईं.

जब इस खबर को बीबीसी न्यूज पर प्रसारित किया जा रहा था तो न्यूज एंकर केट सिलवरटन इस वीडियो को देखकर रो पड़ीं. हालांकि वो खबर पढ़ती रहीं, लेकिन आंसुओं से डबडबाई हुई आंखे साफ देखी जा सकती हैं.

इदलिब में हुए इस हमले में 11 लोग मारे गए जिनमें 7 बच्चे शामिल थे. एक साल से रूस सीरिया पर बमबारी कर रहा है, जिसमें अब तक करीब 3,800 लोगों की जान गई है.

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 एक साल में 3,800 लोगों की जान गई

पिछले पांच सालों से चल रही इस जंग में करीब तीन लाख लोग मारे गए हैं.

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 एक लाख बच्चे अब भी पूर्वी अलेप्पो में फंसे हुए हैं

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पूर्वी अलेप्पो में ढ़ाई लाख लोगों पर केवल 35 डॉक्टर ही बचे हैं.

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ये नजारे आम हैं

एक अस्पताल के मैनेजर के मुताबिक 'आईसीयू भरे हुए हैं. मरीजों को आईसीयू में बिस्तर पाने के लिए दूसरों के मरने का इंतजार करना होता है'.

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 अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं मिलती

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जंग होती है तो ये सब होता ही है. दर्द से भीगी हुई ये तस्वीरें सीरिया की हैं, लेकिन ऐसी तस्वीरें किसी भी देश की हो सकती हैं.

इसलिए ए शरीफ इंसानों

जंग टलती रहे तो बेहतर है

आप और हम सभी के आंगन में

शम्मा जलती रहे तो बेहतर है..

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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