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Updated: 02 जुलाई, 2018 11:07 AM
सुशांत तलवार
सुशांत तलवार
  @Sushant.Talwar.33
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कैम्ब्रिज एनालिटिका डेटा लीक मामले में अपनी थू थू कराने के बाद भी फेसबुक ने कोई सबक नहीं लिया और एक बार फिर से आग के साथ खेलने के लिए तैयार हो गई है. एक ऐसे समय में जब डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर चिंताएं अपने चरम पर हैं, तो मार्क जुकरबर्ग और उनकी कंपनी द्वारा दायर एक पेटेंट से पता चलता है कि कैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म आपके टीवी देखने की आदतों की निगरानी के लिए आपके फोन के माइक का उपयोग करने की योजना बना रहा है.

दिलचस्प बात यह है कि फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कुछ हफ्ते पहले ही कांग्रेस की एक कमिटि के सामने गवाही दी थी. यहां उन्होंने डेटा उल्लंघन मामले में फेसबुक की संलिप्तता पर माफ़ी मांगी थी और अपने उपयोगकर्ताओं की डाटा गोपनीयता को बनाए रखने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता की पुष्टि की थी. हालांकि, इस नए पेटेंट को देखने पर उनकी माफी की गंभीरता पर सवाल खड़े हो जाते हैं.

Facebook, privacyयूजर के डाटा लीक की बात मानने के कुछ हफ्तों के अंदर ही फेसबुक का ये खतरनाक कदम खतरे की घंटी है

मेट्रो की रिपोर्ट के अनुसार, "आस पास के ऑडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर ब्रॉडकास्ट कंटेंट व्यू विश्लेषण" शीर्षक वाला पेटेंट एप्लिकेशन, एक ऐसे सिस्टम के बारे में बताता है जो टीवी के विज्ञापन या फिर किसी कार्यक्रम से निकली आवाज को कैच करते ही फेसबुक यूजर के स्मार्टफ़ोन के माइक्रोफोन का इस्तेमाल करने लगेगा. पेटेंट में कहा गया है कि ये साउंड इंसानों को सुनाई नहीं देगी. यह "मनुष्यों की सुनवाई सीमा" जानने के लिए है जिसके लिए फोन के आसपास की आवाज को रिकॉर्ड किया जाएगा.

इस तकनीक को भविष्य में फेसबुक-ब्रांडेड स्मार्ट स्पीकर में भी देखा जा सकता है. जिसके बाद ये रिकॉर्डिंग से पहले से ही अपने सर्वर पर सामग्री के डेटाबेस से मिलान कर लेगा. और न केवल यूजर जो कुछ देख रहा है उसे पहचानने के लिए प्रासंगिक विज्ञापन दिखाएगा, बल्कि यूजर की पसंद का कटेंट भी दिखाएगा.

क्या इससे कोई दिक्कत है?

बहुत!

हालांकि सैद्धांतिक रूप में, इससे सिर्फ यूजर के टीवी देखने के पैटर्न का विश्लेषण करना है. हालांकि, हकीकत में, यह और भी बहुत कुछ कर रहा होगा. टीवी पर क्या चल रहा है, उसे सुनने की कोशिश करते समय, इस तकनीक के साथ फेसबुक अपने यूजर की बातचीत को भी सुन रहा होगा. जो न सिर्फ अंतरंग बल्कि गोपनीय भी हो सकते हैं.

लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत की बात सिर्फ यही नहीं है. पेटेंट के बारे में और ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि फेसबुक अपने यूजर की बातचीत बिना उसे बताए सुनना चाहता है. ये कहने के लिए काफी है कि यह डरावनी तकनीक फेसबुक के हालिया डाटा उल्लंघनों की तुलना में हर फेसबुक यूजर की गोपनीयता के लिए और ज्यादा खतरनाक होगी.

ये ऐसा कोई पहला पेटेंट नहीं है-

अगर आपको इतने में ही छटपटाहट हो रही है कि फेसबुक आपके व्यक्तिगत जीवन में क्या बात हो रही है उसे सुन रहा है, तो आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दूं कि इसका तो ये भी प्लान है कि आप क्या देख रहे हैं उसकी भी निगरानी की जाए. पिछले साल की शुरुआत में, टेक एनालिटिक्स फर्म, CBinsights ने एक पेटेंट का पता लगाया था, जिसमें बताया गया है कि कैसे फेसबुक अपने फोन के कैमरों का उपयोग करके उपयोगकर्ता के मूड को ट्रैक करने के तरीके विकसित कर रहा है.

Facebook, privacyफेसबुक अब आपके चौबीस घंटों पर नजर रखेगा!

पेटेंट बताता है कि फेसबुक यूजर को "प्रासंगिक सामग्री" प्रदान करने के नाम पर किसी भी हर उस कैमरे का उपयोग करना चाहता है, जिसका उपयोग किसी भी समय यूजर करता है. और ऐसे कैमरा का भी जो यूजर के अभिव्यक्तियों को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है. इसमें भी यूजर को बिना खबर किए ही इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. यह सोचने में ही डरावना है कि यह पेटेंट दुनिया भर में फेसबुक यूजर के सबसे व्यक्तिगत क्षणों पर भी नजर रखेगा.

हम क्या कर सकते है?

हालांकि कंपनियों द्वारा दायर किए गए अधिकांश पेटेंट इस्तेमाल में नहीं आते और वो केवल प्रतिस्पर्धी कंपनी के खिलाफ सुरक्षा पाने के लिए उपकरणों के रूप में उपयोग किए जाते हैं. लेकिन सिर्फ ये सच्चाई ही कि फेसबुक इस पेटेंट मतदाता प्रोफाइलिंग फर्म को 250 मिलियन यूजर के व्यक्तिगत डेटा को लीक करने का दोषी पाए जाने के तुरंत बाद कर रहा है डरावना है और ये बताने के लिए काफी है कि उसे हमारी गोपनीयता की कितनी परवाह है.

इस तरह के पेटेंट लोगों की निजता का हनन करते हैं. अगर ऐसा पेटेंट प्रभावी हो जाता है, तो ये सोशल मीडिया जायंट, यूजर जो देख रहा है उस पर डाटा को पाने के अपने प्रयासों में, नैतिकता की सभी सीमाएं पार कर देगा और हमारी गोपनीयता पर हमला करने के एक नए नए तरीके लेकर आएगा. लेकिन अफसोस की बात ये है कि, गोपनीयता के मौजूदा कानूनों के तहत, फेसबुक को ऐसी तकनीक को वास्तविकता में बदलने से रोकने के लिए आपके पास कोई खास उपाय नहीं है.

तो सौ बातों की एक बात ये है कि अपनी भलाई के लिए अब फेसबुक डिलीट करने का समय आ गया है.

(DailyO के लिए साभार)

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लेखक

सुशांत तलवार सुशांत तलवार @sushant.talwar.33

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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