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Updated: 12 अप्रिल, 2017 05:32 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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पति और पत्नी की एक प्यारी सी तस्वीर सोशल मीडिया पर ऐसे वायरल हो गई जैसे कोई राष्ट्रीय समस्या हो. तस्वीर थी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी और तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और उनकी पत्नी हसीन जहां की. अब ये सोशल मीडिया है, जहां कुछ लोग तो बस इसीलिए बैठे रहते हैं कि कैसे किसी के फटे में टांग अड़ाई जाए, कैसे लोगों को ज्ञान दिया जाए, खासतौर पर जब सिलेब्रिटी हों तो ये कुछ लोग खुद को उनके माता-पिता समझकर सलाह भी देने में पीछे नहीं हिचकते.

अभी कुछ दिनों पहले लोगों को करीना और सैफ के बेटे का नाम पसंद नहीं आया था, और अब मोहम्मद शमी की बीवी के कपड़े रास नहीं आ रहे. मोहम्मद शमी को इस्लाम का हवाला देकर समझाइश दी जा रही है कि उन्हें अपनी बीवी को किस तरह के कपड़े पहनाने चाहिए.  

एक ने कहा कि 'शमी भाई अल्लाह के लिए आप अपनी बीवी को इस्लामी तरीके से रखो', एक कहता है, 'शर्म करो आप एक मुस्लिम हो, बीवी को पर्दे में रखो'. एक कहता है 'अल्लाह से डरो' वगैरह वगैरह... एक ने तो उन्हें दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर हाशिम अमला से सीख लेने की सलाह दे डाली.

वो इसलिए कि हाशिम अमला की बीवी बुर्का पहनती हैं.

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 हाशिम अमला की बीवी को हमेशा बुर्के में ही देखा गया.

लोगों ने मोहम्मद शमी को शर्मिंदा करने की पूरी कोशिश की लेकिन नाकाम रहे. उनके खुले विचारों की तारीफ करते हुए बहुत से लोगों ने उन्हें सपोर्ट किया, और भद्दे कमेंट्स करने वालों को खरी खोटी सुनाई.

ऐसे बहुत से मुस्लिम थे जिन्होंने मोहम्मद शमी का समर्थन किया और इस्लाम के सही मायने समझाए.

भारत आजाद है, यहां के हर बाशिंदे को अपने हिसाब से जीने की पूरी आजादी है, यहां एयरफोर्स की तरह कड़े नियम और कायदे नहीं चलते. जिसे जो पहनना है वो पहनता है, लेकिन सिर्फ इस्लाम के जानकारों को ही अपने लोगों के पहनने ओड़ने पर ऐतराज होता है. लेकिन जब दकियानूसी मान्यताओं के दरकिनार कर, एक मुस्लिम अपनी पत्नी को आजादी के मायने समझने का मौका दे रहा है तो दूसरे उसे पीछे खींचने में अपनी जान लड़ा दे रहे हैं. इस्लाम का हवाला देकर कभी सानिया मिर्जा की स्कर्ट पर आपत्ति जताते हैं तो कभी मुस्लिम क्रिकेटर्स की पत्नियों की तस्वीरें खंगालते हैं और देखते हैं कि कौन इस्लामी तरीके से रह रहा है और कौन नहीं. अगर हाशिम अमला जैसे लोग इन्हें प्रेरित करते हैं, तो इन्हें भारत में रहने की जरूरत ही क्या है. इन्हें भी तालिबान जैसे किसी मुल्क में बस जाना चाहिए, जहां ये अपने कट्टरपन के साथ आराम से जी सकें.

कभी कभी तो समझ नहीं आता कि सोशल मीडिया पर इस तरह का ज्ञान देने के लिए लोगों के पास कितना समय है. पर ऐसे लोगों के लिए जवाब देना तो बनता है, जो मोहम्मद शमी ने उन्हें देकर उनकी बोलती बंद की. पर ये जरूरी है कि भारतीय मुस्लिमों के हित में, ऐसे जवाब इन्हें मिलते रहने चाहिए.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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