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Updated: 06 दिसम्बर, 2022 03:12 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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बिहारी लहजे के साथ प्रतिस्‍पर्धी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले 'खान सर' अपने एक वीडियो की वजह से सुर्खियों में आ गए हैं. एक क्लास के दौरान खान सर ने द्वंद समास समझाते हुए 'सुरेश और अब्दुल' का उदाहरण दे दिया. जिसकी वजह से खान सर अब लोगों के निशाने पर आ गए हैं. सोशल मीडिया पर यूजर्स खान सर को मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भड़काने वाला बता रहे हैं. और, उन्हें गिरफ्तार किए जाने की मांग भी की जा रही है. लेकिन, यहां अहम सवाल ये है कि खान सर की गलती को स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी की तरह माफ करने की बात क्यों नहीं हो रही है? 

स्टैंडअप कॉमेडियन के तौर पर मुनव्वर फारूकी ने इससे भी नफरती और भड़काऊ मजाक किए हैं. जबकि, खान सर ने हल्के-फुल्के अंदाज में एक सामाजिक सच्चाई को ही छात्रों के सामने रखा है. लिखी सी बात है कि 9/11 और 26/11 के हमले में कोई ईसाई या हिंदू आतंकी तो शामिल नहीं ही था. और, अगर था. तब ही खान सर के मजाक को तथ्यात्मक रूप से गलत साबित किया जा सकता है. वरना, तार्किक रूप से खान सर ने शायद ही कुछ गलत कहा हो. अब मुस्लिम समुदाय को बुरा न लगे. केवल इस बात की वजह से तो मुस्लिम आतंकियों के नाम को ईसाई, हिंदू या सिख आतंकियों का नाम नहीं दिया जा सकता है.

Khan Sir abdul suresh controversial statement demand for arrest on social media Why is there no talk of forgiving his mistake like Munawar Faruquiजिस देश में लोगों को योग से लेकर राष्ट्रगान तक का धर्म पता हो. वहां के लोगों को बस आतंकवाद का मजहब नहीं पता है.

जिस देश में लोगों को योग से लेकर राष्ट्रगान तक का धर्म पता हो. वहां के लोगों को बस आतंकवाद का मजहब नहीं पता है. और, अगर कभी कोई बात कर देता है. तो, खान सर की इस वीडियो क्लिप की तरह ही उस पर भी बवाल होने लगता है. हां, भारत में हिंदू आतंकवाद की बात करने पर कोई कोहराम नहीं मचता है. क्योंकि, एक पार्टी विशेष, जो खान सर की गिरफ्तारी की मांग भी कर रही है, का मानना है कि भारत में हिंदू आतंकवाद हमेशा से ही रहा है. इतना ही नहीं, इस पार्टी के पैरोकार भी खान सर को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं.

लेकिन, जिस तरह से बुद्धिजीवी वर्ग से लेकर वोक समुदाय के प्रगतिवादी, क्रांतिकारी लोग और तमाम सियासी दल मुनव्वर फारूकी के समर्थन में नजर आते हैं. खान सर के समर्थन में नहीं दिखाई पड़ेंगे. क्योंकि, खान सर का समर्थन करने से मुस्लिम वोटबैंक का नुकसान हो सकता है. जबकि, हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने वाले मुनव्वर फारूकी के समर्थन से मुस्लिम वोटबैंक पक्का होता है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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