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Updated: 18 फरवरी, 2018 05:53 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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त्रिपुरा विधानसभा की 60 में से 59 सीटों पर मतदान जारी है. 3,214 मतदान केन्द्रों पर दोपहर 3 बजे तक 67 प्रतिशत पोलिंग हुई है. कहा जा सकता है कि त्रिपुरा का ये चुनाव राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार और सीपीएम की प्रतिष्ठा का चुनाव है. ऐसा इसलिए क्योंकि त्रिपुरा ही भारत के उन गिने चुने राज्यों में है जहां वाम का लाल झंडा अभी भी बचा हुआ है. वहीं दूसरी तरफ भाजपा भी इस चुनाव को लेकर बेहद गंभीर है. त्रिपुरा के इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की साख का चुनाव माना जा रहा है. इसके पीछे का कारण राज्य में प्रधानमंत्री की रैलियां और अमित शाह का मैनेजमेंट है.

त्रिपुरा, मतदान, माणिक सरकार, नरेंद्र मोदी त्रिपुरा का ये चुनाव पीएम मोदी और माणिक सरकार दोनों के ही लिए बेहद खास है

ज्ञात हो कि, चुनावों के मद्देनजर पूर्व में त्रिपुरा में की गयी रैलियों में पीएम ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री माणिक सरकार पर जम कर हमला बोला था. पीएम मोदी ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री माणिक सरकार की ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा था कि 'यहां की सरकार, केंद्र की ओर से दिए गए पैसों को भी खर्च नहीं कर पाई. त्रिपुरा में अगर 100 रुपए खर्च होता है, तो उसमें से 80 रुपए केंद्र खर्च करती है.' साथ ही पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि वर्तमान सरकार घोटालों की सरकार है, जिनके घोटालों से पर्दा उठ चुका है और जनता जिसका जवाब चुनावों में देगी

अब माणिक सरकार कितने "भ्रष्ट" हैं. और भाजपा राज्य में वाम के प्रमुख दुर्ग को गिराकर कितना "विकास" करेगी फ़िलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन जब राज्य में चल रहे चुनावों को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर के मद्देनजर देखें तो मिल रहा है कि भाजपा ने वाम के दुर्ग पर कब्ज़ा कर लिया है और त्रिपुरा की राजनीति के उस कीचड़ में कमल खिल चुका है.

जी हां, इसमें हैरत में पड़ने वाली कोई बात नहीं है. ट्विटर पर जिस तरह के ट्वीट्स आ रहे हैं, उन्हें देखकर यही लग रहा है कि राज्य से ज्यादा देश की जनता ये चाहती है कि वहां से सीपीएम का सूपड़ा साफ हो और कमल का उदय हो. आइये नजर डालते हैं उन ट्वीट्स पर जिनको देखकर स्थिति खुद-ब-खुद साफ हो जाती है.

बहरहाल, इन ट्वीट्स को देखकर एक बात तो साफ है कि लोग चाहते हैं राज्य में परिवर्तन आए. ऐसा इसलिए क्योंकि शायद राज्य के लोग पिछले 20 वर्षों से एक ही मुख्यमंत्री को देखते हुए बोर हो गए हैं. इस बार के इलेक्शन को देखकर महसूस हो रहा है कि त्रिपुरा में, लोग अपने वोट के जरिये कुछ तूफानी, कुछ बड़ा करना चाह रहे हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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