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Updated: 07 जनवरी, 2018 04:46 PM
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मोदी सरकार ने नये साल की शुभकामनाओं के साथ ही नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के लिए खास तोहफे भी दिये. 1 जनवरी, 2018 को प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पूर्वोत्तर की दो भाषाओं असमी और मणिपुरी में भी शुरू की गयी. इसके साथ ही पीएमओ की वेवसाइट पर 11 भाषाओं में उपलब्ध हो गयी है. बीजेपी के नॉर्थ-ईस्ट राज्यों पर खास जोर की असल वजह अगला आम चुनाव है. गुजरात के नतीजों के बाद पार्टी को समझ आ गया है कि अगर 2019 में नॉर्थ इंडिया ने झटका दिया तो नॉर्थ-ईस्ट ही बीजेपी को उबार सकता है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का ताजा नॉर्थ-ईस्ट दौरा कई मायने में बेहद अहम है.

मोदी-शाह का मिशन नॉर्थ-ईस्ट!

बीजेपी को ये तो मालूम है कि 2019 में भले ही सीटों के संख्या के मामले में वो 2014 की बराबरी कर ले, लेकिन जीती हुई सीटों पर दोबारा जीत मिलेगी ही इसकी बहुत कम संभावना है. बहुमत का आंकड़ा हासिल करने के लिए बीजेपी को जरूरी सीटें जीतनी ही होंगी. यही वजह है बीजेपी दो फैक्टर पर एक साथ काम कर रही है - एक, वे सीटें जहां बीजेपी का वोट शेयर 2014 में हार के बावजूद बढ़िया रहा - और दूसरा, पूर्वोत्तर के राज्यों में चुनाव जीतना. बीजेपी के कांग्रेस मुक्त अभियान के तहत दो राज्य - मेघालय और मिजोरम उसके टारगेट में हैं. साथ ही, कोशिश त्रिपुरा में भी जोड़-तोड़ कर सहयोगियों के साथ सरकार बनाने की कोशिश है. मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में इसी साल चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी इन्हीं राज्यों की लोक सभा सीटें जीत कर भरपाई करने की कोशिश में है.

amit shahकांग्रेस मुक्त करना है, या भ्रष्टाचार मुक्त?

नॉर्थ-ईस्ट के दौरे पर अमित शाह पूरी टीम के साथ निकले हैं. इस टीम में शाह के साथ नेडा यानी नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलाएंस के संयोजक हिमंता बिस्वा सरमा और बीजेपी महासचिव राम माधव हैं. दो साल पहले गठित नेडा में पूर्वोत्तर के गैर कांग्रेसी दल गठबंधन का हिस्सा हैं. इनमें पूर्व स्पीकर पीए संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम गण परिषद और नागा पीपुल्स फ्रंट जैसे राजनीतिक दल शामिल हैं. बीजेपी इन्हीं दलों के साथ सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर की गठबंधन सरकारों में पार्टनर है.

कामाख्या मंदिर में दर्शन के बाद, शाह सरमा के साथ मेघालय में सीधे कांग्रेसी मुख्यमंत्री मुकुल डी संगमा के गढ़ गारो हिल्स पर धावा बोला. शाह ने संगमा सरकार को सबसे भ्रष्ट सरकार करार दिया. मेघालय की रैली में केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस और बीजेपी प्रभारी नलिन कोहली भी साथ रहे.

'कारनामा बोल रहा है, बीजेपी सरकार बनी तो काम भी बोलेगा!'

अमित शाह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नॉर्थ-ईस्ट के दौरे पर थे - 16 दिसंबर, 2017 को. गुजरात चुनाव खत्म होने के दो दिन बाद और नतीजे आने के दो दिन पहले. शाह ने भी उसी अंदाज में वे ही सारी बातें कहीं जो उनसे ठीक तीन हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था.

narendra modi'बीजेपी को वोट दीजिए और...'

शाह ने कहा, 'मेघालय में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की जरूरत है जो केंद्र की मोदी सरकार के साथ मिल कर सूबे का विकास कर सके.' मोदी ने कहा था, 'मेघालय में भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बन रहा है. आखिर कांग्रेस सरकार इतने घोटाले क्यों कर रही है. मेघालय में तो बच्चों को दिये जाने वाले खाने में भी घोटाला हो रहा है. ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.'

शाह बोले, 'हर मोर्चे पर संगमा सरकार फेल कर रही है. पिछले पांच साल में संगमा सरकार सबसे भ्रष्ट सरकार है. कांग्रेस शासन में केंद्र से मेघालय को ₹ 5,817 करोड़ दिये गये थे. बाद में बीजेपी सरकार ने इसे बढ़ाकर ₹ 25,413 कर दिया. कांग्रेस सरकार को मेघालय के लोगों को बताना चाहिये ये पैसे गये तो कहां गये?'

असम की सोनवाल सरकार में मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी मुख्यमंत्री संगमा को निशाने पर लिया. मेघालय में विकास और स्वास्थ्य सेवाओं का उल्लेख करते हुए सरमा बोले, 'मुख्यमंत्री मुकुल संगमा खुद डॉक्टर हैं, लेकिन राज्य के अस्पतालों में डॉक्टर नदारद हैं.' सरमा ने लोगों से वादा किया कि राज्य में चुनाव जीतने के बाद बीजेपी की सरकार बनी तो छह महीने के भीतर एक मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा.

सरमा की तरह ही शाह ने भी कहा कि सत्ता में आने के बाद बीजेपी की सरकार मेघालय को देश के प्रमुख पर्यटन केंद्र को तौर पर विकसित करेगी. प्रधानमंत्री मोदी ने भी मिजोरम को लेकर ऐसी ही बातें कही थीं. मोदी ने कहा था, 'भारी साक्षरता, सुंदर दर्शनीय स्थल और अंग्रेजी बोलने वाली इतनी बड़ी आबादी तो मिजोरम को आदर्श पर्यटन स्थल बनाने के लिए परफेक्ट है.'

हालांकि, शाह ने ये भी साफ करने की कोशिश की कि उनका मिशन सिर्फ सरकार बनाना नहीं है. शाह ने कहा, 'हमारा मिशन सिर्फ सरकार बनाने के लिए ऐसा करना नहीं है... मिशन इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि मेघालय को आदर्श राज्य सर्वाधिक विकसित राज्यों में से एक-बनना चाहिए.' मेघालय और मिजोरम के बाद शाह की नजर त्रिपुरा की लेफ्ट फ्रंट सरकार भी है जो 1993 से सत्ता पर काबिज है.

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