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Updated: 14 अक्टूबर, 2016 09:17 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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ये तो सब जानते हैं कि सुरेश प्रभु रेलवे की माली हालत सुधार नहीं पा रहे, लेकिन एक काम को लेकर उनकी प्रशंसा हमेशा होती है, वो है उनकी तुरंत सहायता सेवा जो वो जरूरतमंद यात्रियों को यात्रा के दौरान उपलब्ध कराते हैं. रेलवे ट्विटर पर मांगी गई मदद पर तुरंत प्रतिक्रिया देती है. यात्रा के दौरान चाहे छोटे बच्चों के लिए दूध या बिस्किट उपलब्ध कराना हो या फिर यात्रियों की कोई और मदद, रेलवे ने अपने काम में हमेशा मुस्तैदी दिखाई है.

लेकिन किसी भी सेवा का अगर गलत इस्तेमाल किया जाने लगे तो ये सेवाएं जल्दी ही फ्लॉप भी साबित हो जाती हैं. रेलवे की इस सेवा की गंभीरता न समझते हुए एक व्यक्ति ने रेलवे को अपनी सेवा करने वाला नौकर ही समझ लिया. प्रभाकर झा नाम के इस शख्स ने रेलवे को ट्वीट करते हुए लिखा कि 'मैं अपनी छोटी बच्ची के साथ सफर कर रहा हूं, मुझे डायपर चाहिए. मदद करें'.

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रेलवे से डायपर की गुहार लगा रहे इस शख्स के ट्वीट पर रेलवे ने तुरंत जवाब दिया और कहा कि- 'अपना पीएनआर, यात्रा की जानकारी और फोन नंबर बताइए जिससे कि हम आपसे संपर्क कर सकें.'  

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रेलवे को इस व्यक्ति पर दया आ गई, लेकिन देखा जाए तो डायपर मांगने वाला ये ट्वीट केवल इस व्यक्ति की लापरवाही दिखा रहा है, मजबूरी नहीं. एक व्यक्ति जो छोटे बच्चे के साथ सफर पर निकलता है वो बच्चे की जरूरत का सारा सामान भी साथ लेकर चलता है. जिनमें उसका खाना, कपड़े और डायपर वगैरह खास होते हैं, क्योंकि ये सामान स्टेशन पर नहीं मिलता. लेकिन हद है लापरवाही की, कि अपने बच्चे की जरूरत के लिए डायपर भी रेलवे से ही मांगे जा रहे हैं. जैसे रेलवे कोई डायपर उपलब्ध कराने वाली कंपनी हो.

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ट्विटर पर मौजूद लोगों को इस तरह की मांग इस सेवा का दुरुपयोग लगी. लोगों ने इस व्यक्ति की जमकर खबर ली, हालात ये हो गए कि इन्हें अपनी ट्वीट डिलीट करना पड़ा.

इतना ही नहीं लोगों ने रेलवे पर भी प्रश्न उठाए कि क्या इस तरह की कस्टमर सर्विस जायज है? रेलवे को इस तरह की रीक्वेस्ट पर ध्यान देने के बजाए खुद को कुशल, सुविधाजनक और सुरक्षित परिवहन बनने पर ध्यान देना चाहिए.

लोगों का गुस्सा अपनी जगह जायज था. क्योंकि अगर इस तरह की चीजों की मांग रेलवे से की जाएगी तो कहीं ऐसा न हो कि इन्हें पूरी करने के चक्कर में असल परेशानियां या जरूरतें अनदेखी रह जाएं. रेलवे के पास पहले से ही बहुत सी परेशानियां है, ऐसे में वो यात्रियों की सुविधा का ध्यान रख रही है ये काफी है, लेकिन अब अगर बच्चों के डायपर जैसी चीजों की सरदर्दी भी रेलवे को दे दी तो ये सेवा सिर्फ खानापूर्ती ही रह जाएगी और नुकसान जरूरतमंद यात्रियों का ही होगा. इसलिए रेलवे से सिर्फ मदद मांगो, मदद के नाम पर मसखरी नहीं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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