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Updated: 26 दिसम्बर, 2017 11:59 AM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के 'बाटी-चोखा कच्चा वोट, दारू-मुर्गा पक्का वोट' वाले बयान को लेकर खूब बहस चल रही है. कोई इसे विवादित बयान कह रहा है तो कोई इसे राजभर की नादानी बता रहा है. वहीं राजभर के चाहने वाले उनके इस बयान का अलग-अलग मतलब निकाल कर उन्हें सही साबित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इस बयान के आते ही सभी ने यह तो देखा कि राजभर ने विवादित बयान दिया, लेकिन यह किसी ने नहीं जानना चाहा कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा. क्या आपको लगता है कि राजभर इस तरह का बयान सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए दे रहे हैं या फिर वह नादानी में यह सब बोल गए?

योगी आदित्यनाथ, राजनीति, चुनाव, उत्तर प्रदेशआखिर ऐसा नेता कहां मिलेगा, जो चुनावी पैंतरेबाजी को खुलकर बता रहा है.

आखिर ऐसा नेता कहां मिलेगा, जो चुनावी पैंतरेबाजी को खुलकर बता रहा है. भले ही इस बयान को विवादित कहा जाए, भले ही योगी सरकार राजभर के खिलाफ एक्शन ले, या फिर भले ही उनके इस बयान की वजह से उनकी छवि खराब हो जाए, लेकिन सच तो वही है जो उन्होंने कहा है. चुनावों के दौरान दारू और मुर्गे की दावत कोई नई बात नहीं है. भले ही वो चुनाव किसी ग्राम प्रधान का हो या फिर मुख्यमंत्री पद का, दारू-मुर्गा तो हमेशा से ही चुनावी रण में एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है. कोई खुद से इन बातों को माने या न माने, लेकिन वोटों के लिए क्या-क्या होता है, इसका काला-चिट्ठा जानने के लिए इतिहास हमेशा गवाह रहेगा.

तमिलनाडु में वोट के बदले नोट

हाल ही में तमिलनाडु के आरके नगर में हुए उपचुनाव को ही देख लीजिए. यहां पर वोट के बदले नोट बांटे जाने का आरोप है. इस आरोप में तीन महिलाओं को गिरफ्तार भी किया गया है. हर वोट के लिए 1000 से 6000 रुपए तक देने की पेशकश की गई. हो सकता है कि नोट बांटने के आरोपी अगले कुछ दिनों में निर्दोष साबित हो जाएं और छूट जाएं, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि नोट तो बांटे गए हैं. किसी न किसी ने तो बांटे ही हैं ये नोट. भले ही सबूतों के अभाव में कोई पकड़ा न जाए, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनावी रण में नोटों का हथियार खूब चलाया जाता है..

वोट के बदले बांटे गए थे टीवी

मई 2015 में तमिलनाडु में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान तीन ट्रकों में ले जाए जा रहे 570 करोड़ रुपए कैश बरामद हुए थे, जिन्हें चुनाव में वोट मांगने के लिए बांटा जाना था. तमिलनाडु के लिए चुनावी मौसम में पैसे और तोहफे बांटना कोई नई बात नहीं है. यहां पिछले करीब दो दशकों से डीएमके और एआईएडीएमके वोट के बदले टेलीविजन, मिक्सर ग्राइंडर और मुफ्त चावल देने जैसे तोहफे देते आए हैं. यहां चुनाव जीतने में पैसों और तोहफों का खूब इस्तेमाल होता है, जो योगी के मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बयान पर मुहर लगाता है.

गुजरात से भी सामने आई थी ऐसी तस्वीर

हाल ही में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान वलसाड़ में भी नोट के बदले वोट की घटना सामने आई थी. इसे लेकर एक वीडिया भी सामने आया था, जिसके आधार पर डीएम ने जांच के आदेश दिए थे. यह तो पता नहीं चल सका था कि नोट बांटने वाला शख्स किस पार्टी का था, लेकिन एक बात तो साफ है कि नोट बांटे गए थे. यानी अगर राजभर के बयान पर कोई उन्हें कोसता है, तो उसे उनके बयान की सच्चाई भी जान लेनी चाहिए. सच्चाई भी ऐसी, जो सिर्फ यूपी या उत्तर भारत नहीं, बल्कि पूरे देश में देखने को मिल रही है.

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी लगाई मुहर

खुद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडु ने इस बात पर मुहर लगाई है कि चुनावों में नोट के बदले वोट की राजनीति होती है. हाल ही में किसामा नाम के एक गांव में हुए 'हॉर्नबिल फेस्टिवल' में खांडु ने कहा कि नागालैंड में राजनीतिक पार्टियां चुनावों के दौरान पैसों की ताकत का इस्तेमाल करती हैं. आपको बता दें कि 2018 में अरुणाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं, जिसमें भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा होगा.

अब आप यह तो समझ ही गए होंगे कि ओम प्रकाश राजभर का बयान विवादित नहीं, बल्कि सियासी गलियारे का वो कड़वा सच है, जो हर कोई नहीं बोल पाता. राजभर के बयान की आने वाले दिनों में निंदा भी होगी और हो सकता है कि खुद राजभर किसी के दबाव में आकर अपने बयान के पीछे कोई तर्क दें. लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि सियासी मैदान में होने वाली लड़ाई के लिए नोट और लुभावने तोहफे हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं.

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