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Updated: 01 सितम्बर, 2018 05:54 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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अगर घर में बंदर घुस जाए या आपके मोहल्ले में बंदर घुस आएं और आपको परेशान करें तो आप क्या करेंगे? जाहिर सी बात है कि उसे भगाने की कोशिश की जाएगी. लेकिन अगर बंदर आपकी नाक में दम कर दे और मोहल्ले में आतंक मचा दे क्या तब भी आप उसे भगाते वक्त प्यार से पेश आएंगे? कोई और ऐसा करे ना करे, लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बंदरों से बहुत अधिक प्यार से पेश आते हैं. यहां तक कि जो लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं, उन्हें भी वह यह सीख देते हैं. हाल ही में वह मथुरा के वृन्दावन पहुंचे थे, जहां उन्होंने बंदरों के आतंक से बचने के लिए हनुमान चालीसा तक पढ़ने का पाठ पढ़ा डाला.

योगी आदित्यनाथ, बंदर, वृन्दावन, उत्तर प्रदेशयोगी आदित्यनाथ से बंदरों से बचने के लिए हनुमान चालीसा पढ़ने की सलाह दी है.

बंदरों से बचने के लिए हनुमान चालीसा

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को करीब 350 करोड़ रुपए के विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास के लिए एक दिन के दौरे पर वृन्दावन पहुंचे थे. वहां एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने कहा- 'मैं यहां आया तो मुझे कहा गया कि यहां पर बंदर बड़े परेशान कर रहे हैं. मैंने कहा बजरंग बली की आरती शुरू करो, हनुमान चालीसा का पाठ करो, बंदर कभी नुकसान नहीं पहुंचाएगा.' योगी आदित्यनाथ ने तो हनुमान चालीसा की बात कहते हुए वृन्दावन की एक बड़ी समस्या से पल्ला झाड़ लिया, लेकिन ये समझने की कोशिश नहीं की कि आखिर ये बंदर चाहते क्या हैं. क्या बंदर ये चाहते हैं कि लोग उनकी पूजा करें? या ये चाहते हैं कि लोग उनके आते ही हाथ जोड़कर हनुमान चालीसा पढ़ने लगें या आरती गाने लगें? नीचे दिया गया ये वीडियो देखकर आप भी समझ जाएंगे कि वृन्दावन के ये आतंक मचाने वाले बंदर आखिर चाहते क्या हैं-

वीडियो देखकर आप समझ ही गए होंगे के ये बंदर क्यों आंतक मचाते हैं. जी हां, खाने के लिए. योगी आदित्यनाथ को वृन्दावन के हालात की गंभीरता का अंदाजा नहीं है. यहां बंदर सबसे अधिक लोगों के चश्मे को अपना निशाना बनाते हैं. लोग अपने मोबाइल, पर्स आदि को तो बचाकर जेब में रख सकते हैं, लेकिन बिना चश्मे के देखेंगे कैसे. कई बार तो इन बंदरों को कुछ खाने-पीने की चीजें दे दी जाएं तो वो चश्मा वापस कर देते हैं, लेकिन कई बार उसे तोड़कर बर्बाद भी कर देते हैं.

बंदरों को भगाने के लिए आदमी बने 'लंगूर'

ऐसा नहीं है कि बंदर सिर्फ लोगों के सामान को ही निशाना बनाते हैं. कई बार बंदरों की छीना-झपटी में लोगों को चोट भी लग जाया करती है. लेकिन मामला वहीं आकर रुक जाता है कि क्या किया जाए? अगर कोई बंदर को मार को मारकर भगाने की कोशिश करता है तो वहां मौजूद लोग हनुमान जी का हवाला देकर उसे ऐसा नहीं करने देते और प्रशासन के लोग कानून का हवाला देकर बंदरों को बचा लेते हैं, लेकिन कोई भी यह नहीं सुझाता कि इनसे निजात कैसे पाई जाए. केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकारवादी मेनका गांधी भी बंदरों को बचाने में लगी रहती हैं. दिल्ली में लंगूर से बंदर भगाने वालों लोगों से लंगूर तक छीन लिए और अब वो खुद ही लंगूर की आवाजें निकाल-निकाल कर बंदर भगा रहे हैं. यूं लगता है मानों इंसानों की बस्ती में इंसान से ज्यादा जानवर जरूरी हो गए हैं. दिल्ली में कुछ लोग कैसे खुद ही लंगूर की आवाज निकाल कर बंदर भगा रहे हैं, देख लीजिए.

अब सोचिए जरा, जिसे बिना चश्मे के दिखता ना हो, वह घूमने वृन्दावन पहुंचे और बंदर उसका चश्मा छीन कर तोड़ दे, या महंगा आईफोन छीनकर तोड़ दे तो क्या होगा? योगी आदित्यनाथ को समझना होगा कि यहां न कोई आरती काम आती है ना ही हनुमान चालीसा. वृन्दावन में बंदरों का आतंक है, जिससे निजात पाने से अक्षम स्थानीय निकाय के लिए ऐसी घटनाएं शर्म की बात हैं. इन्हें भगाने के लिए सरकारी कोशिशों की जरूरत है ना कि हनुमान चालीसा पढ़ने की और आरती करने की. योगी जी... विदेशी मेहमान जब वृन्दावन से लौटकर अपने देश जाते होंगे, तो जरा आप ही सोचिए वो अपने साथ कैसा यूपी लेकर जाते होंगे और उसकी क्या कहानी लोगों को सुनाते होंगे.

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