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Updated: 02 मई, 2020 10:18 PM
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आज तक के ई-एजेंडा कार्यक्रम में शामिल योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सहित कई और मुख्यमंत्रियों ने तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के लोगों की वजह से कोरोना (Coronavirus) मामलों में तेजी से इजाफे की बात कही - और योगी आदित्यनाथ ने तो तब्लीगी जमात के मामले में खामोश अख्तियार करने वालों को भी सवालों के कठघरे में खड़ा किया है.

लॉकडाउन और कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच, कर्नाटक सरकार ने एक आईएएस अफसर को तब्लीगी जमात से जुड़े ट्वीट के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. अफसर ने एक ट्वीट में प्लाज्मा डोनेट करने वाले तब्लीगी जमात के लोगों को हीरो बताते हुए मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़ा किया था - सवाल है कि क्या तब्लीगी जमात पर कोरोना वायरस फैलाने के जो दाग लगे हैं वो प्लाज्मा डोनेट करने के धुल सकते हैं?

तब्लीगी जमात से परेशान हैं कई मुख्यमंत्री

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि राज्य में सामने आये कोरोना संक्रमण के 357 में से 135 केस ऐसे लोगों के हैं जो तब्लीगी जमात से जुड़े हैं. ये पता करने के लिए हरियाणा सरकार को 1350 लोगों पर नजर रखनी पड़ी. मनोहरलाल खट्टर ने साफ तौर पर कहा कि हरियाणा में कोरोना संक्रमण बढ़ाने तब्लीगी जमात का बड़ा हाथ है.

मनोहरलाल खट्टर की ही तरह बताने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पास भी आंकड़े हैं और सभी ने ई-एजेंडा में शेयर भी किया है. विजय रुपाणी ने बताया कि अहमदाबाद में 90 फीसदी मामलों के पीछे भूमिका सिर्फ तब्लीगी जमात के लोगों की है, तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि दिल्ली के मरकज से जुड़े तब्लीगी जमात के 1465 लोग उत्तराखंड में छिपे हुए थे, जिसे पुलिस को खोजना पड़ा.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तब्लीगी जमात की हरकतों से सबसे ज्यादा खफा नजर आये - साथ ही, योगी आदित्यनाथ ने उन सभी राजनीतिक दलों की भूमिका पर भी सवाल उठाया जो इस मुद्दे पर खामोशी अख्तियार किये हुए हैं.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी में 1600 एक्टिव मामले हैं और उनमें 1000 से ज्यादा तब्लीगी जमात से जुड़े हुए हैं. तब्लीगी जमात के लोगों ने बीमारी को छिपाया और बयानबाजी की जिससे लोगों में अंधविश्वास फैला और उनके रवैये के राज्य में संक्रमण बहुत तेजी से फैला. योगी आदित्यनाथ ने कहा - 'लोग बीमारी को छिपाकर जगह-जगह फैलाएं - ये हम नहीं होने देंगे.'

yogi adityanath on tablighi jamaatयोगी आदित्यनाथ का सवाल - तब्लीगी जमात पर अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी वाड्रा चुप क्यों?

तब्लीगी जमात के लोगों के साथ साथ योगी आदित्यनाथ अपने राजनीतिक विरोधियों की चुप्पी से खासे खफा दिखे. अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी की चुप्पी की तरफ इशारा करते हुए योगी आदित्यनाथ बोले, 'किसी अपराधी को जाति, मत और मजहब के साथ न जोड़ा जाये. अपराध किया है तो कानून की धाराओं के तहत कार्रवाई होनी चाहिये - जो लोग इस तरह के लोगों का बचाव कर रहे हैं, वे देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.'

प्लाज्मा डोनेट करने वाले हीरो हैं, लेकिन जमात वाले नहीं!

कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने IAS अधिकारी मोहम्मद मोहसिन को नोटिस देकर पांच दिन के भीतर जवाब मांगा है. जिस ट्वीट के लिए कर्नाटक सरकार ने नोटिस जारी किया है उसे वो डिलीट कर चुके हैं, लेकिन नोटिस में ट्वीट का पूरा कंटेंट भी दिया गया है. मोहम्मद मोहसिन ने ट्विटर पर लिखा था, 'तबलीगी जमात के 300 से ज्यादा लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया. मीडिया कहां है? ये लोग इन हीरो की कहानियां नहीं दिखाएंगे, जिन्होंने मानवता का काम किया है.'

मोहम्मद मोहसिन ने अपने ट्वीट में एक हैशटैग का इस्तेमाल भी किया था - गोदी मीडिया. ये सरकारी नोटिस में साफ तौर पर देखा जा सकता है.

सवाल ये है कि मोहम्मद मोहसिन को प्लाज्मा डोनेट करने वाले तब्लीगी जमात के लोग हीरो क्यों लगते हैं?

पहला सवाल तो मोहम्मद मोहसिन से यही बनता है कि जब तब्लीगी जमात के लोग कोरोना वॉरियर्स पर थूक रहे थे, महिला स्वास्थ्यकर्मियों के सामने अश्लील हरकत करते थे, सरेआम कपड़े बदलने लगते थे - क्या कभी मोहम्मद मोहसिन ने ऐसे लोगों को विलेन बताया था. अगर मोहम्मद मोहसिन ने ऐसा किया होता तो एक बार उनके दावे पर निश्चित तौर पर विचार किया जा सकता था.

मोहम्मद मोहसिन वही अफसर हैं जिनको 2019 के आम चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलीकॉप्टर की चेकिंग के लिए चुनाव आयोग ने ड्यूटी से हटा दिया था. तब मोहम्मद मोहसिन ओडिशा में चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर थे और SPG सुरक्षा प्राप्त लोगों की चेकिंग को लेकर नियमों के उल्लंघन के चलते सस्पेंड कर दिया था. ये वाकया ओडिशा के संबलपुर का है.

रही बात प्लाज्मा डोनेट करने की तो ये हीरो जैसा काम हो सकता है, लेकिन सिर्फ इसके वे हकदार हैं जो डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ सहयोग किये और सम्मान दिये. बाकी सब अगर प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं तो वे उन हीरो की तरफ से किये गये एहसानों का थोड़ा सा कर्ज उतार रहे हैं. कानपुर और कुछ अन्य जगहों से खबर आयी थी कि किस तरह तब्लीगी जमात के लोगों का व्यवहार बदल गया जब उन्हें एहसास हुआ कि जिंदगी पर बन आयी है. वे डॉक्टरों से लगातार गिड़गिड़ा रहे थे कि वे उनकी जान किसी भी तरीके से बचा लें.

महाराष्ट्र में अमरावती के रहने वाले अरशद अहमद को हरियाणा के झज्जर में एम्स के डेडिकेटेड कोविड-19 सेंटर में क्वारंटीन किया गया था. अरशद अहमद तब्लीगी जमात के सदस्य हैं और अब उनका कोरोना टेस्ट निगेटिव आ चुका है.

कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के बाद अरशद अहमद दो बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं. अब कहते हैं कि जरूरत 10 बार पड़ी तो हर बार डोनेट करेंगे. अरशद अहमद अरशद ने अपील की है कि सभी को सरकारी गाइडलाइन माननी चाहिए - और हर हाल में सहयोग करना चाहिये.

लेकिन अरशद अहमद जैसा तो अब तक कोई सामने नहीं आया है. ऐसी अपील तो दिल्ली पुलिस के दो नोटिस मिलने के बाद तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने भी की थी, लेकिन अब तक वो सामने आये भी नहीं हैं - मैसेज भी उनका आता है तो ऑडियो. अब तक एक भी वीडियो मैसेज नहीं आया है.

आज तक के ई-एजेंडा में शामिल हरियाणा के मुख्यमंत्री तब्लीगी जमात की हरकतों से बाकी मुख्यमंत्रियों की तरह ही खफा नजर आये. नाराजगी तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी देखी जा चुकी है और उस पर दिल्ली का अल्पसंख्यक आयोग आपत्ति भी जता चुका है.

तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद की तरफ से लेटेस्ट दावा यही है कि कोरोना टेस्ट के उनके दो नतीजे निगेटिव हैं. हालांकि, दोनों में से एक भी रिपोर्ट अब तक दिल्ली पुलिस को नहीं मिली है. तब्लीगी जमात से जुड़े मामलों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से मौलाना साद को अब तक चार नोटिस भेजे जा चुके हैं. मौलाना साद सहित सात लोगों के खिलाफ निजामुद्दीन मरकज में आयोजन और उससे जुड़ी बाद की गतिविधियों के लिए केस दर्ज हैं.

दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद से एम्स में कोरोना वायरस का टेस्ट करा कर रिपोर्ट मांगा था, लेकिन मौलाना की तरफ से बताया गया है कि एक टेस्ट निजी लैब लाल पैथोलॉजी से कराया है. मौलाना साद की तरफ से पहले भी दावा किया जा चुका है कि उनको कोरोना संक्रमण नहीं है, फिर भी वो मरकज से निकलने के बाद सेल्फ क्वारंटीन में रह रहे थे.

लेकिन मौलाना साद के दावे पर यकीन करना बड़ा मुश्किल हो रहा है और ये मुश्किल तब तक बनी रहेगी जब तक मौलाना साद की टेस्ट रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को नहीं मिल जाती. मुश्किल इसलिए कि जिस मरकज के आयोजन में पहुंचे बहुत सारे लोग देश भर में हुई जांच में संक्रमित पाये गये हों, वहां मौलाना साद का ऐसा कौन सा खौफ रहा कि कोरोना वायरस बाल भी बांका नहीं कर पाया.

मरकज से निकलने के बाद ही लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये थे - फिर मौलाना साद के पास ऐसा कौन सा पीपीई किट रहा होगा जिसकी बदौलत वो कोरोना वायरस को कभी करीब फटकने नहीं दिये. मौलाना साद के दावे पर यकीन करना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि वो एम्स में जाकर जांच कराने से भी बच रहे हैं.

मौलाना साद के दावे पर यकीन करना मुश्किल इसलिए भी हो रहा है क्योंकि तब्लीगी जमात केस की जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के पांच पुलिसकर्मी अब तक कोरोना पॉजिटिव पाये जा चुके हैं.

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