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Updated: 21 अप्रिल, 2022 08:53 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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जिस तरह से उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम 'बुलडोजर' के साथ एक ब्रांड की तरह चिपक गया है. ठीक उसी तरह अमेरिकी मुस्लिम सांसद इल्हान उमर के नाम के साथ 'इस्लामोफोबिया' को जोड़ा जाता है. अमेरिकी डेमोक्रेट सांसद इल्हान उमर दुनिया भर में 'इस्लामोफोबिया' से जुड़े मामलों पर अपनी राय देने के लिए मशहूर हैं. इल्हान उमर को स्वघोषित तौर पर पूरी दुनिया के मुस्लिमों के मानवाधिकारों का सबसे बड़ा रक्षक माना जा सकता है. क्योंकि, उमर ने बीते साल अमेरिका में उस इस्लामोफोबिया बिल को पास करवा लिया था. जिसके तहत पूरे विश्व में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा की एक छोटी सी घटना का भी रिकॉर्ड रखा जाएगा. खैर, इल्हान उमर इन दिनों पाकिस्तान की चार दिवसीय यात्रा पर हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान उमर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर भी जाएंगी.

इल्हान उमर ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के पहले दिन पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान, वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी समेत कई नेताओं से मुलाकात की. पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के साथ मुलाकात में उमर ने अफगानिस्तान में उपजे मानवीय संकट का अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जरिये हल निकालने की बात की. पीटीआई के नेता इमरान खान के साथ इस्लामोफोबिया और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा की. इस दौरान इमरान खान ने वैश्विक स्तर पर इस्लामोफोबिया के खिलाफ काम करने के लिए इल्हान उमर की तारीफ भी की. आसान शब्दों में कहा जाए, तो इल्हान उमर पाकिस्तान के भारत विरोधी एजेंडे में शामिल तमाम चीजों पर मुहर लगाने ही पड़ोसी मुल्क पहुंची हैं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या उन्हें पाकिस्तान में 'अल्पसंख्यक' हिंदू-सिखों का उत्पीड़न नजर आएगा?

ilhan Omar Pakistan Visit'बहुसंस्कृतिवाद' के तहत अमेरिका में मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने की वकालत करने वाली इल्हान उमर सोमालिया में जन्मी थीं.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज की स्थिति पर 'चुप्पी'

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं-सिखों-ईसाईयों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, ये किसी से छिपी नहीं है. दशकों से पाकिस्तान से भागकर 'अपने' देश भारत आ रहे हिंदुओं-सिखों ने वहां हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न को दुनिया के सामने रखा है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति दोयम दर्जे के नागरिकों की बना दी गई है. हिंदुओं और सिखों की नाबालिग और बालिग लड़कियों का खुलेआम अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है. ईश निंदा कानून के नाम पर लोगों को मौत का डर दिखाते हुए धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की हालत बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन, पाकिस्तान की सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है. बताना जरूरी है कि इल्हान उमर की पाकिस्तान यात्रा से एक दिन पहले ही सिखों की पवित्र धार्मिक स्थल ननकाना साहिब में दो युवकों पर जानलेवा हमला किया गया है. पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मस्तान सिंह के परिवार पर ननकाना साहिब में हमला हुआ. लेकिन, सिख परिवार की मानें, तो पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. 

इस्लामोफोबिया के बीच कैसे दिखेगा उत्पीड़न?

वैसे, इल्हान उमर की नजर में सिखों पर हुए इस हमले का मामला नहीं आया होगा. लेकिन, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं-सिखों की दुर्दशा पर अब तक कई रिपोर्ट्स छप चुकी हैं. तो, माना जा सकता है कि उन पर इल्हान की नजर जरूर गई होगी. क्योंकि, भारत में पत्थरबाजों के खिलाफ होने वाली किसी भी कार्रवाई पर इल्हान उमर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जिम्मेदार बता देती हैं. कुछ दिनों पहले ही इल्हान उमर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित मुस्लिम विरोधी नीतियों के खिलाफ अमेरिकी संसद में बाइडेन प्रशासन पर सवाल खड़ा किया था. कहा जा सकता है कि इल्हान उमर के दबाव में ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को मानवाधिकार पर 'ज्ञान' देना पड़ा था. हालांकि, एस जयशंकर ने अमेरिका में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात कर उस किस्से को वहीं खत्म कर दिया था.

वैसे, इल्हान उमर को जब हर जगह इस्लामोफोबिया ही नजर आता है, तो उन्हें पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न शायद ही नजर आएगा. ऐसा कहने की वजह ये है कि इस्लामोफोबिया बिल पेश करने के दौरान इल्हान उमर को पाकिस्तान में भी अल्पसंख्यक मुस्लिमों की ही चिंता थी. ये स्थिति तब है, जब पाकिस्तान में मुस्लिमों का उत्पीड़न करने वाले मुस्लिम ही हैं. इल्हान उमर हमेशा से ही मुसलमानों की बात करती नजर आती हैं. और, इसके लिए वह दूसरे धर्मों की चीजों पर भी टिप्पणी करने से नही चूकती हैं.

कौन हैं इल्हान उमर?

इल्हान उमर की बात की जाए, तो वह सोमालियाई-अमेरिकी नागरिक हैं. सोमालिया में छिड़े गृहयुद्ध के दौरान उनके पिता भागकर अमेरिका आ गए थे. 'बहुसंस्कृतिवाद' के तहत अमेरिका में मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने की वकालत करने वाली इल्हान उमर जिस सोमालिया देश से आई हैं. उस देश में एक मजहब (इस्लाम) और एक संस्कृति है. इसके बावजूद सोमालिया में गृहयुद्ध छिड़ गया. जो चौंकाने वाला है. क्योंकि, इस्लाम को लेकर दुनियाभर में यही दावा किया जाता है कि ये शांति का मजहब है. जबकि, सोमालिया में इस्लाम को मानने वालों की आबादी 99 फीसदी से ज्यादा है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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