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Updated: 08 जून, 2022 12:53 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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7 मार्च, 2006 को वाराणसी संकटमोचन मंदिर और कैंट स्टेशन में हुए सिलसिलेवार बम धमाके में आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सजा मिली है. 16 साल बाद आतंकी वलीउल्लाह को मिली सजा पर कहीं कोई चर्चा नजर नहीं आती है. बताना जरूरी है कि 16 साल पहले वाराणसी में हुए इस सीरियल ब्‍लास्‍ट में 18 लोगों की मौत हो गई थी. लेकिन, आतंकी वलीउल्लाह को मौत की सजा होने पर भी सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक पर खामोशी छाई हुई है.

जबकि, इसी भारत देश में नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिये बयान से भड़के मुस्लिम समुदाय द्वारा कानपुर में पत्थरबाजी और बमबाजी तक कर दी जाती है. इतना ही नहीं, भारत में सोशल मीडिया के 'ईमानजीवी' वर्ग से जुड़े कई लोगों द्वारा इस मामले को ट्रेंड कराकर इस्लामिक देशों तक पहुंचाया जाता है. और, फिर खाड़ी देशों के कई मौलाना भारत से 'सार्वजनिक रूप' से माफी मांगने को लेकर बाकायदा पत्र जारी कर देते हैं. कई इस्लामिक देश इस टिप्पणी को पूरी दुनिया के मुसलमानों का अपमान बता देते हैं.

Varanasi Blast Case Arab Nations make Public Apology नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल का अपराध क्या और कितना संगीन है? इसे लेकर कितनी चर्चा हुई है?

शिवलिंग को लेकर किए गए बेहूदा कमेंट्स जायज कैसे?

ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने किस कदर जहर फैलाया था, ये किसी से छिपा नही है. 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के नाम पर 'ईमानजीवी' वर्ग के बहुत से लोगों ने हिंदू पक्ष के दावों को खारिज करने के लिए शिवलिंग को लेकर कई आपत्तिजनक तस्वीरें साझा कीं. लेकिन, क्या इन तस्वीरों के बाद देश के किसी हिस्से में हिंदुओं द्वारा कहीं कोई सांप्रदायिक घटना को अंजाम दिया गया. खैर, जवाब सबके सामने हैं. शिवलिंग के बारे में प्रोफेसर रतन लाल भी इस मामले में खुद को हिंदू कहते हुए जमानत पा गए.

खैर, प्रोफेसर रतन लाल का समझ आता है. लेकिन, शिवलिंग को आपत्तिजनक बातें कहते हुए सबा नकवी जैसे तमाम लोगों ने ट्वीट किया था. इतना ही नहीं, मुस्लिम समुदाय से आने वाले लोगों ने ऐसी तस्वीरों पर खूब 'हाहा' रिएक्शन दिए थे. लेकिन, मजाक को लेकर एक पुरानी कहावत है कि उतना ही करो, जितना झेल सको. और, मुस्लिमों को तो वैसे भी इस मामले में जागरुक होना चाहिए. जब वे अपने पैगंबर या इस्लाम पर कही कोई बात पचा नहीं पाते हैं, तो उन्हें हिंदुओं के देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने का अधिकार किसने दिया है?

क्या नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल से 'फ्रीडम ऑफ स्पीच' का ये अधिकार केवल इसलिए छीना जा सकता है. क्योंकि, वह दक्षिणपंथी हिंदू हैं. अगर ऐसा है, तो एमएफ हुसैन को हिंदू देवी-देवताओं के नग्न चित्र बनाने का अधिकार किसने दिया था? क्या भारत में इस तरह की बेहूदगी भरा अपमान केवल हिंदू धर्म के लिए ही तय कर दिया गया है? ह्यूमर और फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर कुछ भी सहन करने की आदत भारत के हिंदुओं में बहुतायत में पाई जाती है.

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता...

वैसे, आतंकी वलीउल्लाह को हुई फांसी की सजा मात्र एक आपराधिक मामला भर है. क्योंकि, भारत में आतंकवाद को लेकर एक स्थापित परिभाषा है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. भले ही इस्लामिक आतंकी कश्मीर में रोज धार्मिक आधार पर ही हिंदुओं का कत्ल कर रहे हों. भले ही हर आतंकी घटना में शामिल आतंकियों का नाम मुस्लिम समुदाय से ही जुड़ा रहता हो. लेकिन, जब ये पहले ही तय हो चुका है, तो आतंकवाद का कोई धर्म कैसे हो सकता है.

वैसे, भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल का अपराध क्या और कितना संगीन है? इसे लेकर अभी तक शायद ही कही कोई चर्चा नजर आई हो. लेकिन, हुआ केवल इतना है कि भारत के मुस्लिम समुदाय की भावना नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के बयान से आहत हो गई. और, इन आहत भावनाओं को सोशल मीडिया के कुछ 'ईमानजीवियों' ने ट्रेंड बना दिया. और, भाजपा ने इस्लामिक देशों के दबाव में आकर ना केवल दोनों नेताओं को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है. बल्कि, उनकी जान को खतरे में भी डाल दिया गया है.

वलीउल्लाह पर खाड़ी देशों के मौलानाओं की 'चुप्पी'?

आतंकी वलीउल्लाह ने इस आतंकी घटना को अपनी पत्नी से हुई लड़ाई के बाद उपजे गुस्से में अंजाम नहीं दिया था. वलीउल्लाह ने बाकायदा इस्लाम के जेहादी इरादों के साथ ही संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया था. जिससे ज्यादा संख्या में हिंदू मारे जा सकें. खैर, वाराणसी के संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट केस के आतंकी वलीउल्लाह की बात क्या की जाए? अब तक हुए किसी इस्लामिक आतंकी हमले के बाद भारत के हिंदुओं ने क्या खुद को इस्लाम का पैरोकार बता रहे इस्लामिक देश से माफी मांगने की बात कही है? क्या खाड़ी देशों के मौलानाओं को अब फांसी की सजा पाने वाले आतंकी वलीउल्लाह पर माफी मांगने से शर्म आ रही है क्या?

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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