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Updated: 05 मार्च, 2019 03:20 PM
शिव अरूर
शिव अरूर
  @shiv.aroor
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पाकिस्तान पर दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही हिंदुस्तान का एक हीरो चर्चा में है. ये हीरो भारतीयों का रोल मॉडल बन चुका है और वो हीरो हैं विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान. 27 फरवरी की सुबह जब विंग कमांडर अभिनंदन एक डॉगफाइट में फंस गए जहां मिग 21 विमान से वो पाकिस्तानी फाइटर जेट का पीछा कर रहे थे. पीछा करते-करते अभिनंदन पाकिस्तानी सीमा पार कर गए और वहां एक मिसाइल का शिकार हो गए.

जैसे ही पाकिस्तानी मिसाइल उनके मिग विमान को लगी उन्हें मजबूरी में प्लेन से इजेक्ट होना पड़ा, लेकिन वो गिरे पाकिस्तान की तरफ. गिरने पर उन्हें गांव वालों ने पहचान लिया और उनपर हमला किया क्योंकि वो हिंदुस्तानी थे. इसके बाद उन्होंने कुछ गोलियां चलाईं और कम से कम आधा किलोमीटर भागे. एक तालाब में उन्होंने अपने पास मौजूद दस्तावेज डुबाने की कोशिश की और कुछ तो वो निगल भी गए. पर वहां पाकिस्तानी आर्मी ने उन्हें पकड़ लिया और फिर क्या हुआ ये तो पूरा हिंदुस्तान जानता है.

पर एक सवाल जिसे पूरा हिंदुस्तान पूछना चाहता है वो ये कि क्या अब विंग कमांडर अभिनंदन उड़ान भर पाएंगे?

अभिनंदन वर्धमान, वायुसेना, Mig 21, पाकिस्तानमिग 21 से इजेक्ट होने के बाद क्या अभिनंदन आर्मी के हिसाब से फिट रह पाएंगे?

जब अभिनंदन ने अपने जेट की Zvezda KM-1 इजेक्शन सीट का लिवर खींचा होगा तो उनके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा होगा. दरअसल, ये फैसला लेना पायलट के लिए आसान नहीं है. फाइटर प्लेन से इजेक्ट होने का मतलब ये नहीं कि पायलट सुरक्षित रहेगा, बल्कि ये है कि पायलट के पास खुद को बचाने का एक मौका है. मौजूदा हालात में एयर मार्शल ने कहा है कि अभिनंदन दोबारा प्लेन उड़ा पाएंगे या नहीं ये उनकी फिटनेस पर निर्भर करता है. पाकिस्तान का कहना है कि उसकी तरफ से अभिनंदन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है फिर आखिर क्यों अभिनंदन की फिटनेस पर सवाल उठ रहे हैं?

इजेक्शन और फिटनेस का कनेक्शन अभिनंदन का भविष्य तय कर सकता है-

इन सवालों का कारण है इजेक्शन सीट का काम करने का तरीका. अभिनंदन वर्धमान ने जैसे ही अपनी उस सीट का इजेक्शन प्रोसेसर शुरू किया होगा वैसे ही सीट के नीचे लगे विस्फोटक में हलचल शुरू हो गई होगी और 1 सेकंड के अंदर ही मिग-21 विमान की सीट के नीचे मिसाइल की तरह विस्फोट हुआ होगा और अभिनंदन की सीट उछलकर हवा में चली गई होगी. इस समय मिग 21 विमान किसी कनवर्टिबल गाड़ी की तरह खुल गया होगा. सीट इतनी तेज़ी से ऊपर उछली होगी कि मिग 21 विमान की स्पीड भी पीछे रह जाए क्योंकि आधे सेकंड की भी देरी पायलट को मौत के मुंह में ढकेल सकती है. अगर 10 मिलिसेकंड की देरी भी हुई इस घटना में तो पायलट विमान के पिछले हिस्से से टकरा सकता है. इसके बाद पैराशूट खुला होगा और अभिनंदन काफी स्पीड में नीचे आए होंगे. जहां वो पाकिस्तान के कब्जे में आ गए थे.

जो अभिनंदन ने किया वो किसी भी पायलट की जिंदगी के सबसे खतरनाक पलों में से एक होता है. कारण ये है कि इस पूरे प्रोसेस में एक भी गलती पायलट की जान पर बन सकती है और साथ ही साथ अगर कोई गलती न भी हुई तो भी हज़ारों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे विमान से बाहर आते समय जो फोर्स लगता है वो पायलट को काफी चोटिल कर सकता है.

इस पूरे कांड के बाद अभिनंदन अब सुरक्षित वापस आ गए हैं और भारत का हीरो अब अपने देश में है.

अभिनंदन की सेहत उनके आगे उड़ान भरने पर सवाल खड़े कर सकती है-

अभिनंदन का वापस उड़ान भरना इतना आसान भी नहीं है. भले ही वो खुद अपने पैंरों पर चलकर पाकिस्तान से हिंदुस्तान वापस आए हों, लेकिन फिर भी अभिनंदन को कई अंदरूनी चोट लगी हैं. उन्हें वापस उड़ान भरने के लिए सेना के हिसाब से फिट होना पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार अभिनंदन को रीढ़ की हड्डी में चोट आई है और उनकी एक पसली भी टूटी है. ये दोनों ही चौंकाने वाली बात नहीं है क्योंकि किसी भी पायलट के लिए इजेक्शन के बाद चोट लगना आम बात है. हर तीन में से एक पायलट जो विमान से इजेक्ट होता है उसे रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो सकता है. उस पायलट को 25-30G फोर्स (ग्रैविटेशनल फोर्स) का सामना करना होता है जिसमें एक इंसान आसानी से चोटिल हो सकता है यहां तक कि कई तो मारे भी जाते हैं.

पसलियों का टूटना, और गंभीर चोट लगना पायलट इजेक्शन प्रोसेस का हिस्सा होता है. उस फोर्स में अभिनंदन को वातावरण के कारण जलने जैसा अनुभव भी हुआ होगा. शरीर के कई सॉफ्ट टिशू टूट गए होंगे.

रिपोर्ट ये भी बताती हैं कि पाकिस्तान की कैद में उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी गई. उन्हें सोने नहीं दिया गया. हां, उन्हें शारीरिक प्रताड़ना नहीं मिली. अब अभिनंदन वर्धमान के उड़ने का फैसला उनके शरीर पर लगी चोट करेंगी जहां उन्हें आगे फाइटर प्लेन उड़ाने मिलेगा या नहीं. उनकी चोट उनके शरीर पर कितना असर करती है, उन्हें कितने दिनों में सेना से क्लियरेंस मिलता है, उन्हें कितना समय लगता है ठीक होने में ये सब निर्भर करेगा कि वो उड़ पाएंगे या नहीं.

IAF के पास ऐसे भी पायलट हैं जो दो बार इजेक्ट हो चुके हैं. इसलिए ये कहना कि प्लेन से इजेक्ट होने के बाद फाइटर प्लेन नहीं उड़ा सकते ये गलत होगा. सिद्धार्थ मुंजे जो अब एक एयरलाइन के पायलट हैं वो दो बार Su-30 MKI जेट से बाहर आ चुके हैं.

2012 में एयर मार्शल अनिल चोपड़ा 59 साल की उम्र में मिराज 2000 से इजेक्ट हुए थे. ये घटना चंबल घाटी में हुई थी. इसके बाद अनिल चोपड़ा दुनिया के कुछ सबसे ज्यादा उम्र के पायलट में से एक बन गए जो इतनी ज्यादा उम्र में फाइटर से बाहर आए हैं.

अपने इसी एक्सपीरियंस के बारे में लिखते हुए एयर मार्शल चोपड़ा ने बताया कि, 'फाइटर प्लेन में इजेक्शन हैंडल खींचते हुए कई सारे सवाल दिमाग में चल रहे होते हैं. और 59 साल की उम्र में इजेक्शन का फैसला लेना आसान नहीं है. रीढ़ की हड्डी और गर्दन काफी कमजोर होते हैं और गलत तरीके से बैठा हुआ पायलट भी चोटिल हो सकता है. उनका पूरा ध्यान उनकी बैठने की मुद्रा पर था जिसके कारण उनके शरीर के अहम हिस्से बच जाएं. इजेक्शन सीट का हैंडल खींचने से लेकर पैराशूट खुलने तक पूरा प्रोसेस सिर्फ 2.6 सेकंड में खत्म होता है. पर एक पायलट के लिए ये वो समय है जो खत्म ही नहीं होता. मैं याद कर सकता हूं एक आग जिसके बाद ऊपर का सुरक्षा कांच खुल गया था और मेरी सीट में लगे रॉकेट ने मुझे प्लेन से बाहर ढकेल दिया था. हवा का दबाव मुझे महसूस हुआ और मैं बेहोशी की हालत में आ गया. इसके बाद भी मैं शरीर में इधर-उधर होने का अहसास मसहूस कर सकता था. मेरे शरीर पर काफी दबाव था. मैं एक साथ कई गोलियों की आवाज़ सुन सकता था, मैं अपनी आंखों से धुंधली फायरिंग देख सकता था और उसके बाद सब कुछ शांत हो गया.'

एक डिफेंस जर्नलिस्ट के नाते मेरे पास 6 बार ये मौका आया कि मैं फाइटर जेट में उड़ सकूं. 2007 से शुरू होते ही मैं बोइंग F/A-18 सुपर हॉर्नेट, रशियन MiG-35, F-16 डिजर्ट फैल्कन, साब F-16, डसॉल्ट राफेल और हाल ही 2019 के एरो इंडिया शो में भारतीय एयरक्राफ्ट तेजस में भी बैठ चुका हूं. इन सभी उड़ानों के पहले कुछ निर्देश दिए जाते हैं और साथ ही इजेक्शन का प्रोसेस भी बताया जाता है. ये उन सिविलियन फ्लाइट की तरह नहीं होता है जहां एयरहोस्टेस आसान संदेश देती है. यहां फाइटर फ्लाइट में निर्देश दिए जाते हैं कि इजेक्शन किसी भी तरह की बकवास के चलते नहीं होगा. हर पायलट जिसके साथ मैं उड़ा हूं वो मुझे सीट के बारे में बेहद गंभीरता से बताता है, उनमें से एक ने मुझे कहा था कि मैं इजेक्शन हैंडल सिर्फ तभी इस्तेमाल करूं जब वो Eject! Eject! Eject! चिल्लाए. या फिर तब जब मुझे एकदम सही-सही पता हो कि सामने वाला पायलट मर चुका है या किसी कारण से प्लेन उड़ा पाने में असमर्थ है.

मैं खुश हूं कि मुझे कभी इजेक्ट नहीं होना पड़ा, लेकिन अगर कभी होना होगा तो मैं कभी वो निर्देश नहीं भूलूंगा. और अपना पूरा करियर फाइटर पायलटों के साथ बिताकर मुझे इतना तो समझ आ गया है कि अभिनंदन को अभी कुछ और नहीं चाहिए होगा. वो बस ये दुआ कर रहे होंगे कि वो उड़ने के लिए फिट घोषित कर दिए जाएं.

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लेखक

शिव अरूर शिव अरूर @shiv.aroor

लेखक इंडिया टुडे टीवी में पत्रकार हैं.

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