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Updated: 04 मार्च, 2019 09:57 PM
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ये बात तो साबित हो गई है कि पुलवामा हमले के बाद भारत POK में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की. लेकिन इन ठिकानों पर हुई बमबारी में कितने आतंकी मारे गए इस बात पर राजनीति फिलहाल गर्म है.

जिस एयर स्ट्राइक को बीजेपी अपनी बड़ी उपलब्धि के रुप में गिना रही है, जिसमें सौकड़ों आतंकियों के मारे जाने की बात कह रही थी उसपर केंद्रीय मंत्री एसएस आहलूवालिया ने कहा है कि इस हमले का उद्देश्य मानवीय क्षति पहुंचाना नहीं बल्कि एक संदेश देना था कि भारत दुश्मन के क्षेत्र में अंदर दूर तक घुसकर प्रहार कर सकता है. इसपर फिलहाल बहस चल रही है. लेकिन पाकिस्तान से आ रही एक खबर सरकार और भारतीय वायु सेना के लिए एक नए चैलेंज से कम नहीं है.

इमरान खान सरकार ने पाकिस्तान आर्मी के साथ मिलकर जो नई योजना बनाई है, उसमें आतंकियों को पहचानना आसान नहीं होगा. क्योंकि आतंकी पाकिस्तान सेना की वर्दी में जो दिखाई देंगे.

पाकिस्तान के पत्रकार हामिद मीर ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा कि - 'दिसंबर 2018 में पाकिस्तान ने प्रतिबंधित संगठनों द्वारा चलाए जा रहे मदरसों को अपने कब्जे में लेकर उनके सदस्यों को अर्ध-सैनिक बलों में भर्ती करने का फैसला किया था. लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण इसके कार्यान्वयन में देरी हुई. अब सरकार ने आने वाले बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए धन आवंटित करने का फैसला किया है.'

tweetइसे पाकिस्तान की बेवकूफी समझने की गलती न करना

हामिद मीर की बातों को गहराई समझेंगे तो ये भी जान जाएंगे कि इमरान खान किस तरह से नया पाकिस्तान बनाने जा रहे हैं. नए पाकिस्तान में न आतंकी दिखाई देंगे और न आतंक क्योंकि अब ये आतंकी पाकिस्तानी सेना के सदस्य होंगे.

ये बात तो सभी जानते हैं कि ये आतंकी अपने जिहादी मदरसे चलाते हैं. लेकिन पाकिस्तान सरकार की इस योजना के बाद आने वाले समय में अगर मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे सरगना सेना के जनरल कहे जाने लगें जो आश्चर्य की बात नहीं होगी.

imran khanक्या यही होगा इमरान खान का नया पाकिस्तान?

पाकिस्तान का शांति की बात करना बेमानी है

पाकिस्तान शांति की बात करता है. शांति का पैगाम देकर इमरान खान ने भारत को अभिनंदन भी लौटा दिया(जैसा कि इमरान दावा कर रहे हैं). इमरान खान दुनिया भर में शांति और पीस का गाना गा रहे हैं. यहां तक कि इमरान को शांति का नोबल तक दिए जाने की सिफारिशें हो रही हैं. लेकिन ये शांतिदूत असल में नया ही खेल रच रहे हैं. ये इमरान खान की बेवकूफी नहीं बल्कि होशियारी है. जेहादी मदरसों को अपने कब्जे में लेकर तो वो हीरो बन रहे हैं, नई सोच ला रहे हैं. लेकिन जिहादी मानसिकता वाले मदरसों के सदस्यों को सेना में भर्ती करके वो सिर्फ काले को सफेद करना चाह रहे हैं.

तो आज भले ही भारत मरने वाले आतंकियों की संख्या पर बहस कर ले, लेकिन आने वाले समय में भारतीय सेना का मुकाबला जवानों के भेस में छिपे आतंकियों से होने वाला है.

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